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डॉ. अजय जोशी के हिंदी व्यंग्य संग्रह मत सुन जनता यह पैग़ाम तथा राजस्थानी निबंध संग्रह न्यारा निरवाळा निबंध का विमोचन

Release of Dr. Ajay Joshi's Hindi satire collection 'Mat Sun Janta Yeh Paigaam' and Rajasthani essay collection 'Nyara Nirvaala Nibandh'

NEERAJJOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा)  वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अजय जोशी के हिंदी व्यंग्य संग्रह मत सुन जनता यह पैग़ामतथा राजस्थानी निबंध संग्रह न्यारा निरवाळा निबंधका विमोचन मंगलवार को महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय (एमजीएसयू) बीकानेर के कुलपति सचिवालय में आयोजित समारोह के दौरान कुलपति कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने किया।

समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र जोशी ने की। विशिष्ट अतिथि राजभाषा संपर्क अधिकारी हरिशंकर आचार्य रहे। साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने दोनों पुस्तकों पर पत्र वाचन किया। डॉ. अजय जोशी ने दोनों पुस्तकों के विभिन्न अंशों का वाचन किया। उन्होंने अपनी साहित्यिक यात्रा तथा अब तक प्रकाशित विभिन्न पुस्तकों के बारे में जानकारी दी।

इस अवसर पर कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने कहा कि डॉ. अजय जोशी के व्यंग्य विविध विषयों और सार्थक व्यंजना से संचित हैं। राजस्थानी में लिखे गए इनके निबंध युवाओं को जागरुक करते हुए उन्हें व्यक्तित्व निर्माण और आत्मावलोकन की सीख देते हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. जोशी ने व्यंग्य के लिए विशिष्ट विषयों को चुनकर उन्हें रोचक शैली में प्रस्तुत किया है।

यह सारगर्भित होने के साथ हैं संदेशपरक

यह समाज को नई दृष्टि से सोचने के लिए प्रेरित करते हैं। यह सारगर्भित होने के साथ संदेशपरक हैं। कुलपति ने कहा कि निबंध लेखन अत्यंत चुनौती पूर्ण कार्य है। यह लेखक की लेखकीय क्षमता की परीक्षा होती है। उन्होंने कहा कि न्यारा निरवाळा निबंध में डॉ. जोशी ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए समाज को पठनीय साहित्य दिया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि असली व्यंग्य वही है, जो रोचक तरीके से संदेश दे।

जोशी के व्यंग्य करवाते हैं अपनापन सा एहसास

उन्होंने कहा कि डॉ. जोशी के व्यंग्य पाठक मन में उतर जाते हैं और अपनापन सा एहसास करवाते हैं। उन्होंने कहा कि जोशी के व्यंग्यों में दोहराव, विस्तार और अनावश्यक शब्दों के उपयोग जैसी कमियां नहीं हैं। जो कि इनकी सबसे बड़ी खूबी है। यह पाठक को बिना रुके पढ़ने के लिए प्रेरित करती है। विशिष्ट अतिथि राजभाषा संपर्क अधिकारी हरिशंकर आचार्य ने कहा कि गद्य लेखन कैनवास बेहद विस्तृत है।

निबंध संग्रह में है विषय विविधता

इसमें व्यंग्य लेखन का स्थान सम्मानजनक है। अच्छा व्यंग्य लेखक बहुत कम शब्दों में अपना संदेश पाठक तक पहुंचा देता है। डॉ. जोशी इसमें सफल हुए रहे हैं। उन्होंने कहा कि निबंध संग्रह में विषय विविधता है और यह धर्म, आध्यात्मिक, व्यक्तित्व, साहित्य सांस्कृतिक दृष्टि और युवाओं को दिशा दिखाने वाले हैं। साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने दोनों पुस्तकों पर पत्र वाचन करते हुए  डॉ. जोशी के लेखकीय कर्म और व्यक्तित्व-कृतित्व के बारे में विस्तार से बताया। विष्णु शर्मा ने आभार व्यक्त किया।

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