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आत्म शोधन का पर्व है पर्युषण महापर्व- मुनि श्रेयांस कुमार

NEERAJ JOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा) श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्म संघ के मुनि श्री श्रेयांस कुमार जी ने कहा कि पर्युषण महापर्व आत्म शोधन का पर्व है। आ‍ज के दिन जिस जिस से भी वैरविरोध हुआ हो और उनसे खमत खामणा हो तो श्रावक का श्रावकत्व चला जाता है।

मुनि श्री रविवार को जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के तत्वाधान में तेरापंथ भवन आयोजित भगवती संवत्सरी महापर्व समारोह के दौरान प्रवचन कर रहे थे। उन्‍होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति से, प्राणी मात्र से शुद्ध ह्दय से निर्मल अन्तकरण से इस पावन पर्व के अवसर पर क्षमायाचना करके अपनी आत्मा को निर्मल पावन पवित्र बनानी चाहिए। मुनि श्री ने गीतिका के माध्यम से भी जनता को राग -द्वेष से मुक्त होने की प्रेरणा प्रदान की।

इस अवसर पर साध्वी श्री चरितार्थ प्रभा जी ने कहा कि संवत्सरी का पर्व हमारे लिए महत्वपूर्ण पर्व है। साध्वी श्री प्रांजल प्रभा जी ने कहा कि लोग उपकार को भूल जाते हैं। एक बात होने पर गांठ पड़ जाती है। आज के दिन हमें भूलना है और सभी गांठो को तोड़ देना है। साध्वी श्रीजी ने कहा कि भगवान महावीर ने एक रास्ता बताया पर्यूषण महापर्व। आपने उपवास किया, पौषध किया, प्रत्याखान किया पर आपने सभी जीवों से क्षमा याचना सच्चे मन से नहीं की तो उन सभी का कोई अर्थ नहीं रहेगा।

कार्यक्रम में मुनि श्री विमल विहारी जी, मुनि श्री प्रबोध कुमार जी एवं साध्वी श्री कृतार्थ प्रभा जी, साध्वी श्री वैभव यशा जी, साध्वी श्री आगम प्रभा जी, साध्वी श्री आर्य प्रभा जी एवं साध्वी श्री मध्यस्थ प्रभा जी ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए।

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