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संगीत-जगत के सिरमौर कुंदनलाल सहगल (के.एल. सहगल)

Kundanlal Sehgal (KL Sehgal) Sirmaur of the music world

– डॉ. शिबन कृष्ण रैणा

बीकानेर, (समाचार सेवा) संगीत-जगत के सिरमौर कुंदनलाल सहगल (के.एल. सहगल), संगीत-जगत के सिरमौर प्रसिद्ध गायक कुंदनलाल सहगल की आज (18 जनवरी) पुण्य-तिथि है। उनकी गायकी का कौन कायल नहीं होगामैं भी उनका कायल हूँ। उनके द्वारा गाए लगभग सभी गीत/भजन/गजलें मेरे पास हैं।

K.L.Saigal-300x188 संगीत-जगत के सिरमौर कुंदनलाल सहगल (के.एल. सहगल)
Kundanlal Sehgal (KL Sehgal) Sirmaur of the music world..

आज से लगभग ५० वर्ष पूर्व मैं सहगल साहब के गानों के दो एल.पी. रिकॉर्ड खरीद लाया था। तब ग्रामोफ़ोन से ये रिकॉर्ड बजते और सुने जाते थे। ‘बालम आय बसो मोरे मन में, ‘इक बांग्ला बने न्यारा’, ‘जब दिल ही टूट गया’, ‘गम दिए मुस्तकिल,’ ‘सो जा राजकुमारी,’ ‘ऐ कातिबे तकदीर’––आदि गाने सहगल साहब की गायिकी की लाजवाब रचनाएं हैं।

कुंदन लाल सहगल अपने चहेतों के बीच के.एल सहगल के नाम से मशहूर थे। ऐसे सुपरस्टार, जो गायक भी थे और अभिनेता भी। सहगल साहब का जन्म 11 अप्रैल 1904 को जम्मू के नवाशहर में हुआ था और बाद में यह परिवार जालंधर में रहने लगा था।

इनके पिता अमरचंद सहगल के दो बेटे थे। रामलाल और हज़ारीलाल। तीसरे का नाम रखा गया कुंदनलाल। सवा महीना बीता तो कुंदन की मां केसर बाई अपनी देवरानी के साथ पहली बार घर से निकलीं। तवी नदी के किनारे दोनों ने स्नान किया और पास में बनी मजार पर सलमान यूसुफ़ पीर के चरणों में कुंदन को रख दिया।

यूसुफ़ पीर एक पहुंचे हुए सूफी पीर और सूफी संगीत के ज्ञाता थे। कुंदन रोने लगा तो माँ केसर बाई चुप कराने लगी। पीर ने रोक दिया। कहा, ‘उसे रोने दो। रोने से बच्चे का गला खुलता है, फेफड़े मज़बूत होते हैं। ’ कुछ देर के बाद उन्होंने कहा, ‘यह बच्चा अपनी मां की तरह ही गायन के सुरीले संस्कार लेकर पैदा हुआ है।

एक दिन यह बड़ा गायक जरूर बनेगा।‘ कुंदन बचपन से ही अपनी मां को रोज़ सुबह भजन गाते देखता था। रात को उनसे लोरी सुनता तभी नींद आती। स्कूल जाने की उम्र हुई तो पढ़ाई में मन नहीं लगा, लेकिन गाना सुनने-सुनाने को कहो तो तैयार रहता।

बड़ा होने लगा तो मां के गाए भजनों को हू-ब-हू वैसे ही गाकर सुनाने लगा। रोज सुबह उठकर हार्मोनियम लेकर बालकनी में बैठ जाता और दो भजन गाता: “उठो सोनेवालो सहर हो गई है, उठो रात सारी बसर हो गई है” और “पी ले रे तू ओ मतवाला, हरी नाम का प्याला.”।

हर कलाकार की तरह ही सहगल साहब को शोहरत की बुलंदियों तक पहुंचने में बहुत संघर्ष करना पड़ा। सहगल की प्रारंभिक शिक्षा बहुत ही साधारण तरीके से हुई थी। उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देनी पड़ी थी और जीवन-यापन के लिए उन्होंने रेलवे में टाईमकीपर की मामूली नौकरी की।

बाद में उन्होंने रेमिंगटन नामक टाइपराइटिंग मशीन की कंपनी में सेल्समैन की नौकरी भी की। संगीत से उनका गहरा लगाव था। कहते हैं कि वे एक बार उस्ताद फैयाज ख़ाँ के पास तालीम हासिल करने की गरज से गए, तो उस्ताद ने उनसे कुछ गाने के लिए कहा।

उन्होंने राग दरबारी में खयाल गाया, जिसे सुनकर उस्ताद ने गद्‌गद्‌ भाव से कहा कि बेटे मेरे पास ऐसा कुछ भी नहीं है कि जिसे सीखकर तुम और बड़े गायक बन सको। सहगल के पिता अमरचंद सहगल जम्मू शहर में तहसीलदार थे। अचानक एक दिन केएल सहगल बिना किसी से कुछ कहे घर छोड़कर चले गए।

नौकरी की तलाश में वे कई जगह घूमे-भटके जिनमें मुरादाबाद, कानपुर, बरेली, लाहौर, शिमला और दिल्ली शहर शामिल हैं। कोलकत्ता में उनके सम्मान में एक बड़ा आयोजन होने वाला था। सहगल साहब अपनी पत्नी आशा रानी के साथ कार द्वारा कानपुर के रास्ते कलकत्ता जा रहे थे।

कानपुर पहुंचने पर सहगल ने ड्रावर से रुकने के लिए कहा। ड्राइवर ने कार साइड में खड़ी कर दी। सहगल साहब पैदल ही शहर के भीतर चले गए। काफी देर हो गयी। सहगल साहब कहीं नजर नहीं आ रहे थे। पत्नी और ड्राइवर चिंता करने लगे।

तभी दूर से सहगल साहब कार की तरफ आते हुए दिखाई दिए। पत्नी ने देखा कि सहगल साहब की आँखें पुरनम थीं। पूछने पर सहगल बोले: “आशा! मैं आज उन गलियों और सड़कों को देखने गया था जिन पर बेकारी और गर्दिश के दिनों में मैं खूब भटका था।

‘कहते-कहते सहगल साहब ने अपनी आँखें पोंछी और कार में बैठ गए। यहूदी की लड़की, देवदास, परवाना, मोहब्बत के आंसू, ज़िंदा लाश और शाहजहां जैसी फ़िल्मों से अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाले के.एल.सहगल यानी कुंदनलाल सहगल बहुत कम उम्र में लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच तो गए मगर शराब से दूरी नहीं बना पाए।

शराब पर उनकी निर्भरता इस कद्र बढ़ गई थी कि इससे उनके काम और सेहत पर असर पड़ने लगा था। धीरे-धीरे उनकी सेहत इतनी ख़राब हो गई कि फिर उनका ठीक होना मुमकिन न हो सका।  18 जनवरी 1947 को सिर्फ 42 साल की उम्र में संगीत के शाहंशाह कुंदनलाल सहगल इस दुनिया को अलविदा कह गए।

DR.S.K.RAINA

 (डॉ. शिबन कृष्ण रैणा)

          MA(HINDI&ENGLISH)PhD

Former Fellow,IIAS,Rashtrapati Nivas,Shimla

 Ex-Member,Hindi Salahkar Samiti,Ministry of Law & Justice (Govt. of India)

SENIOR FELLOW,MINISTRY OF CULTURE (GOVT.OF INDIA)

 2/537 Aravali Vihar(Alwar) Rajasthan 301001

 Contact Nos; +919414216124, 01442360124 and +918209074186

Email: [email protected],

shibenraina.blogspot.com

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