बीकानेर, 8 जून। जिले के सातों विकास अधिकारियों की कार्य के प्रति उदासीनता बरतने का एक और नमूना सामने आया है। इससे ऐसा लगता है कि जिले के सभी सातों विकास अधिकारी पिछले छह माह से कुम्भकर्णी नींद में सोये हुए हैं।
इन विकास अधिकारियों के कारण ग्रामीण क्षेत्र के रजिस्टर्ड भवन निर्माण व अन्य संनिर्माण श्रमिकों के कल्याण के कार्य के लिये मिलने वाला बजट काफी समय से अटका हुआ है।
बीकानेर में इन्द्रा कॉलोनी स्थित संयुक्त श्रम आयुक्त श्रम विभाग कार्यालय दवारा जिले के सातों विकास अधिकारियों जिनमें बीकानेर बीडीओ, खाजूवाला, कोलायत, श्रीडूंगरगढ, नोखा, पांचू व लूणकरनसर बीडीओ को पिछले छह महीनों में कुल आठ पत्र लिख देने व ईमेल व फोन के जरिये सूचना करने के बावजूद इन विकास अधिकारियों ने अपने अपने क्षेत्रों में श्रमिकों के कल्याण के लिये उपलब्ध कराई गई राशि के उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं भिजवाये हैं।
प्रशासनिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार 8 जून को कार्यालय संयुक्त श्रम आयुक्त श्रम विभाग इन्द्रा कॉलोनी बीकानेर ने 9वां पत्र लिखकर बताया है कि राज्य सरकार के आदेश के अनुसार जिले के सभी विकास अधिकारियो को उनके क्षेत्र के रजिस्टर्ड हिताधिकारियों को भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल की योजनाओं में सहायता राशि सेंक्शन कर आवंटित बजट का उपयोगिता प्रमाण पत्र कार्यालय संयुक्त श्रम आयुक्त श्रम विभाग को भिजवायें।
परन्तु किसी भी बीडीओ ने आज तक संयुक्त श्रम आयुक्त श्रम विभाग कार्यालय को उपयोगिता प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराये हैं।
पत्र के अनुसार सभी बीडीओ को इस संबंध में गत वर्ष 28 दिसंबर, इस वर्ष 1 जनवरी, 5 जनवरी, 8 जनवरी, 11 जनवरी, 15 जनवरी, 27 फरवरी तथा 28 मई को भी स्मरण करवाया गया था उपयोगिता प्रमाण पत्र उपलब्ध करवाने का मामला ढाक के तीन पात वाला ही रहा।
अब श्रम विभाग के सामने समस्या यह आ रही है कि वह उपयोगिता प्रमाण पत्रों के अभाव में अपने यहां लेखा संधारण तथा राज्य सरकार को संकलित सूचनायें प्रस्तुत नहीं कर पा रहा है।
साथ ही पुराने बजट के उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं ेदने से नया बजट आवंटन भी संभव नहीं हो पा रहा है।
संयुक्त श्रम आयुक्त ने शुक्रवार 8 जून को लिखे अपने पत्र में सभी विकास अधिकारियें को आवंटित राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र जलद ही श्रम विभाग बीकानेर को उपलब्ध कराने को कहा है जिससे कि लेखा संधारण तथा बजट आबंटन की प्रक्रिया निर्बाध रूप से जारी रखी जा सके।
