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शिक्षा और साक्षरता के बिना नहीं की जा सकती किसी देश के विकास की परिकल्पना-राजेन्‍द्र जोशी

NEERAJ JOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा)। कवि-कथाकार राजेंद्र जोशी ने कहा कि शिक्षा और साक्षरता के बिना किसी देश के विकास की परिकल्पना नहीं की जा सकती। जोशी रविवारको अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर रविवार को मुक्ति संस्थान द्वारा सूचना केंद्र में  आयोजित शिक्षा और साक्षरता: मानव विकास की आवश्यकता’ विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए अपनी बात कह रहे थे। उन्‍होंने कहा कि सही मायने में शिक्षा और विकास एक-दूसरे के पूरक हैं।

जोशी ने कहा कि सरकारों द्वारा साक्षरता दर बढ़ाने के प्रयास नियमित रूप से किये जा रहे हैं, लेकिन इस लक्ष्य को पूरा करने में प्रत्येक जागरूक नागरिक को अपनी भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा और साक्षरता मनुष्य के विकास के लिए उतनी ही जरूरी है, जितनी मानव अस्तित्व के लिए हवा और पानी की जरूरत होती है। वरिष्ठ अधिवक्ता महेंद्र जैन ने कहा कि साक्षरता मानव का मौलिक अधिकार है। व्यक्तियों और समुदायों को सशक्त बनाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

उन्होंने कहा कि यूनेस्को के ताजा आंकड़ों के अनुसार आज भी दुनिया की 754 मिलियन वयस्क आबादी साक्षरता से वंचित है।  वरिष्ठ साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2030 तक शत-प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में यह बड़ी चुनौती है लेकिन यह लक्ष्य सर्वांगीण विकास के नए रास्ते खोलेगा। उन्होंने कहा की बहुभाषाओं में साक्षरता को बढ़ावा देने से विभिन्न संस्कृतियों में बेहतर संचार समझ और शांति को बढ़ावा मिलेगा।

‘बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देना: आपसी समझ एवं शांति के लिए साक्षरता’ 

इससे पहले जनसंपर्क विभाग के सहायक निदेशक हरिशंकर आचार्य ने बताया कि यूनेस्को द्वारा वर्ष 1965 में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाए जाने की घोषणा की तथा पहली बार 8 सितंबर 1967 को यह दिवस मनाया गया। उन्होंने बताया कि यूनेस्को ने इस वर्ष की थीम ‘बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देना: आपसी समझ एवं शांति के लिए साक्षरता’ निर्धारित की है। इसके तहत दुनिया भर में पूरे साल विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

इससे पहले अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। संचालन जनसंपर्क कार्यालय के प्रियांशु आचार्य ने किया। इस दौरान विष्णु शर्मा, मांगीलाल भद्रवाल, विजय जोशी, शिवकुमार पुरोहित, दिनेश चूरा ने विचार रखे।

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