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घाटे-नफे के हिचकोलों के बीच एमजीएस युनिवर्सिटी बीकानेर में एम.ए. राजस्थानी की पढ़ाई फिर हुई शुरू

Amidst the hustle and bustle of profit and loss, MGS University, Bikaner has MM. Rajasthani studies started again

धन के अभाव में राजस्थान में राजस्थानी की पढ़ाई रुके भामाशाहों को ये मंजूर नहीं

बीकानेर, (समाचारसेवा)। घाटे-नफे के हिचकोलों के बीच एमजीएस युनिवर्सिटी बीकानेर में एम.ए. राजस्थानी की पढ़ाई फिर हुई शुरू, घाटे-नफे के हिचकोलों के बीच महाराजा गंगासिंह विद्यालय (एमजीएसयू) बीकानेर में एम.ए. राजस्थानी की कक्षाएं अकादमिक सत्र 2021-22 शुरू कर दी गई हैं।

clip-230602-276x300 घाटे-नफे के हिचकोलों के बीच एमजीएस युनिवर्सिटी बीकानेर में एम.ए. राजस्थानी की पढ़ाई फिर हुई शुरू
Amidst the hustle and bustle of profit and loss, MGS University, Bikaner has MM. Rajasthani studies started again

सरकार द्वारा विवि में राजस्थानी विभाग खोलने तथा राजस्थानी शिक्षकों की भर्ती की स्वीकृति नहीं देने के चलते चालू अकादमिक सत्र में विवि प्रशासन ने सेल्फ फाईनेंस स्कीम के तहत चल रही एम.ए. राजस्थानी की पढ़ाई चालू सत्र से बंद करने की तैयारी कर ली थी। जब यह जानकारी सार्वजनिक हुई तो राजस्थानी प्रेमियो ने चिंता जाहिर की।

जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के राजस्थानी विभाग के अधिष्ठाता व पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. कल्याण सिंह शेखावत ने आर्थिक कारणों से राजस्थानी एमए में कक्षाएं बंद करने को सीधे तौर पर सरकार की कमजोरी बताया था।

विवि में राजस्थानी एमएक की कक्षाओं के आरंभ होने नहीं होने की जानकारी की तो पता चला कि राजस्थानी के हिमायती भामाशाह ने संज्ञान लेते हुए राजस्थानी की पढ़ाई जारी रखने के लिये अनुदान उपलब्ध कराया और इस प्रकार चालू सत्र में राजस्थानी एम.ए. की पढ़ाई फिर से शुरू करने की पूरी तैयारी की जा रही है।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनोदकुमार सिंह ने बताया कि चालू सत्र में अब तक 23 विद्यार्थियों ने एम.ए. राजस्थानी में प्रवेश के लिये अब तक 23 आवेदन आ चुके हैं। प्रवेश का प्रोसेस अभी जारी है।

राजस्थानी विभाग की गतिविधियां जारी रहे इसके लिये कोलकाता के ओंकार चैरिटेबल ट्रस्ट ने इस कोर्स में प्रवेश लेने वाले प्रथम 20 विद्यार्थियों को 5000 रू प्रति छात्र के हिसाब से 1 लाख रुपए की धनराशि विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराये हैं।

वैसे दो साल के इस कोर्स के लिये एक विद्यार्थी को वर्तमान में लगभग 15 हजार रुपये खर्च करने होते हैं। जानकारी के अनुसार महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय बीकानेर में सत्र 2018-2019 में एमए राजस्थानी की कक्षाएं शुरू की गई थी। पहले वर्ष में एमए राजस्थानी प्रीवियस में 13 विद्याथियों ने ही प्रवेश लिया।

इसके बाद सत्र 2019-2020 में एमए प्रीवियस व फाइनल दोनों मिलाकर कुछ 50 विद्यार्थी अध्ययनरत थे। विवि में राजस्थानी विभाग की प्रभारी डॉ. मेघना शर्मा के अनुसार विश्वविद्यालय ने अकादमिक सत्र 2018-19 से सत्र 2020-21 तक अपने स्तर पर विभाग को संचालित किया।

पूर्व में सत्र 2019-20 में भी कोलकाता के एक ट्रस्ट द्वारा राजस्थानी विभा से पीजी कर रहे विद्यार्थियों व शोधरत छात्र-छात्राओं के लिये छात्रवृत्ति की घोषणा की गई थी जो किन्ही कारणों से समय पर फलीभूत नहीं हो सकी।

अब पुन: इस सत्र में छात्रवृत्ति के स्थान पर प्रवेश शुल्क के माध्यम से भामाशाह प्रहलाद राय गोयनका राजस्थानी भाषा को बचाने हेतु आगे आए हैं।

डॉ. शर्मा के अनुसार अब तक के अकादमिक सत्रों में राजस्थानी विभाग ने दो राष्‍ट्रीय आयोजन करवाये। नवाचार के रूप में राजस्थानी कला संस्कृति संवर्धन राष्‍ट्रीय व राज्य स्तरीय कवितापाठ प्रतियोगिता, मांडणा, राजस्थानी लघुकथा लेखन कार्यशाला, शैक्षणिक भ्रमण कार्यक्रम, विस्तार व्याख्यान और संवाद कार्यक्रम आयोजित कर विद्यार्थियों में अपनी मातृभा के प्रति रुझान विकसित किया।

इनका कहना है

भामाशाह की मदद से इस वर्ष तो राजस्थानी की पीजी कक्षाएं शुरू की जा रही हैं मगर अलगे वर्ष यह जारी रह पाएंगी अभी कहा नहीं जा सकता।

जब तक सरकार राजस्थानी विभाग स्वीकृत नहीं करता, राजस्थानी के शिक्षकों की नियुक्ति की अनुमति नहीं देता राजस्थानी एमए का भविष्य क्या है सही रूप से कहा नहीं जा सकता। रोजगार से जुड़ी नहीं होने के कारण इस कोर्स में छात्र प्रवेश भी कम लेते हैं।

ऐसे में सेल्फ फाइनेंस स्कीम में एमए राजस्थानी जारी रखना संभव नहीं।

विनोद कुमार सिंह

कुलपति

महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय बीकानेर।

इनका कहना है

राजस्थानी भाषा शिक्षा का भविष्य उज्जवल है। गत अकादमिक सत्र में एम.ए. राजस्थानी के परीक्षा में बैठै सभी विद्यार्थी प्रथम श्रेणी से उर्तीण हुए हैं।

बीकानेर संभाग में एमजीएसयू का राजस्थानी विभाग ही एक ऐसा विभाग है जो राजस्थानी भाषा, साहित्य और सृजन के संवर्धन हेतु स्रातकोत्तर पाठ्यक्रम में लघु शोध प्रबंधनों के माध्यम से समकालीन राजस्थानी साहित्य पर शोध निर्देशन भी प्रदान कर रहा है।

डॉ. मेघना शर्मा

प्रभारी

राजस्थानी विभाग

महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय बीकानेर।

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