ओजोन परत के संरक्षण के लिये अधिक तत्परता से करना होगा काम -वंदना सिंघवी
एनआरसीसी में ‘ओजोन परत के क्षरण व इसके प्रभाव’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारम्भ
NEERAJ JOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा)। बीकानेर की संभागीय आयुक्त वंदना सिंघवी ने कहा कि धरती पर जीवन बचा रह सके इसके लिये ओजोन परत के संरक्षण की दिशा में अधिक तत्परता से काम किया जाना आवश्यक है।
संभागीय आयुक्त सोमवार को राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी) बीकानेर परिसर में नेशनल एनवॉयरमेंटल साइंस अकादमी (नेसा) नई दिल्ली द्वारा एनआरसीसी की ओर से आयोजित ‘ओजोन लेयर, इट्स डिप्लीशन एण्ड इम्पेक्ट ऑन लिविंग बींगस् विषयक दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस के शुभारंभ समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रही थी।
उन्होंने कहा कि सूरज से उत्पन्न होने वाली पराबैंगनी किरणों से धरती पर जीवन को बचाने के लिए ओजोन परत एक रक्षक की भूमिका निभाता है परंतु इसका क्षरण, मानवीय जागरूकता की मांग करता है।
इस सम्मेलन में देशभर के विभिन्न राज्यों से करीब 100 से अधिक विषय-विशेषज्ञ, अनुसंधानकर्त्ता, विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी गण भाग ले रहे हैं। सम्मेलन में निदेशक एनआरसीसी एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ.आर.के.सावल ने जलवायु परिवर्तन और इसमें ऊँट की अनुकूलनता पर भी प्रकाश डाला।
ऊँट बहुत कम मिथेन का उत्सर्जन करता है
विशिष्ट अतिथि डॉ.आर्तबन्धु साहू, निदेशक, राष्ट्रीय पशु पोषण एवं शरीर क्रिया विज्ञान संस्थान, बेंगलूरु ने कहा कि सभी पशुधनों में ऊँट बहुत कम मिथेन का उत्सर्जन करता है अत: यह एक पर्यावरणीय मैत्रीय पशु है। विशिष्ट अतिथि डॉ. एन.के.शर्मा, आचार्य, कृषि महाविद्यालय, श्रीगांगानगर ने कहा कि वातावरण में परिवर्तन से फसल प्रबंधन व ऐसे अनेक नुकसान पहुंचाने वाले उभरते पहलुओं पर समय रहते ध्यान दिया जाना चाहिए।
तकनीकी बुलेटिन का विमोचन किया
कार्यक्रम के दौरान सम्मेलन संबंधी एक कम्पेंडियम व ‘मरु क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने हेतु पशु पोषण की पौराणिक एवं नूतन तकनीकियां’ तथा ‘ सस्टेनेबल फोडर सोल्यूशन्स’ तकनीकी बुलेटिन का विमोचन किया गया। आयोजन सचिव डॉ.राकेश रंजन, प्रधान वैज्ञानिक, एनआरसीसी ने धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम का संचालन केन्द्र की वैज्ञानिक डॉ. प्रियंका गौतम द्वारा किया गया।
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