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अक्षय ऊर्जा दिवस- चिंतन तो जरूरी है इस पक्ष पर भी

Prof. Anil Kumar Chhangani, Head of the Department of Environmental Science, Maharaja Ganga Singh University (MGSU), Bikaner.

NEERAJ JOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा)महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय (एमजीएसयू) बीकानेर के पर्यावरण विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार छंगाणी के अनुसार ग्रीन एनर्जी के नाम पर थार मरुस्थल में सोलर प्लांट द्वारा खेजड़ी, रोहिड़ा, केर, बेर, जाल आदि स्थानीय प्रजातियों के पेड़ कटना कितना उचित है इस पर भी आज चिंतन जरूरी है।

प्रो. छंगाणी के अनुसार देश में अक्षय ऊर्जा को लेकर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से ही वर्ष 2004 से प्रतिवर्ष 20 अगस्त को अक्षय ऊर्जा दिवस मनाया जाता है लेकिन अक्षय ऊर्जा दिवस के इस अवसर पर हमें थार मरुस्थल में सोलर प्लांट और विंड मील से होने वाले दुष्प्रभावों पर चिंतन करने की भी उतनी ही आवश्यकता है।

वे बताते हैं कि ग्रीन एनर्जी के नाम पर थार मरुस्थल में सोलर प्लांट द्वारा जो स्थानीय प्रजातियों के पेड़ काटे जा रहे हैं वह एकदम उचित नहीं है। स्थानीय जलश्रोतो का दोहन, पॉलिनेशन करने वाले कीट पतंगों, मधुमक्खियों, तितलियों, पक्षियों, सरीश्रपो के आवास मिटाने को कतई ठीक नहीं बताया जा सकता।

इसी प्रकार प्रतिदिन पवन चक्कियों के पंखों से गोडावण, गिद्धों जैसे कई संकटग्रस्त प्रजातियों के पक्षियों के कट कर मारे जाने को किस प्रकार सही बताया जा सकता है जबकि थार की समृद्ध जैवविविधता के लिए यह सब प्रयास एक बड़ा खतरा बन चुके हैं।

प्रो. छंगाणी दोहराते हैं कि आज हमें सोलर, विंड एनर्जी के की एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट, एनवायरमेंट ऑडिट करवाने की नितांत आवश्यक है। इस ओर भी सभी लोगों को गंभीर चिंतन करना होगा।

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