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बीकानेर के पवन व्यास ने बांधी विश्व की सबसे बड़ी पगड़ी

Pawan Vyas of Bikaner tied the world's largest turban

बीकानेर, (samacharseva.in)। बीकानेर के पवन व्यास ने बांधी विश्व की सबसे बड़ी पगड़ी, बीकानेर के 20 वर्षीय कलाकार पवन व्यास ने विश्व में सबसे बड़ी पगड़ी बांधने का रिकार्ड बनाने का दावा किया है। व्यास का दावा है कि इस पगड़ी में किसी भी प्रकार की पिन एवं ग्लू का प्रयोग नही किया गया है।

व्यास ने बुधवार को बीकानेर के धरणीधर महादेव मंदिर परिसर स्थित रंगमंच पर मिस्टर राजस्थान का खिताब जीत चुके राहुल शंकर थानवी के सर पर सबसे बड़ी पगड़ी बांधने का लाइव प्रदर्शन किया। देश में हाथ की उंगलियों पर सबसे छोटी पगड़िया बांधने का रिकार्ड पहले से ही पवन व्यास के नाम है।अब उन्होंने सबसे बड़ी पगड़ी बांधने का रिकार्ड भी अपने नाम करने का प्रयास किया है। व्यास ने धरणीधर रंग मंच पर विश्व की सबसे लंबी ओर बड़ी पगड़ी बांधने का यह कारनामा जैसे ही पूरा किया हॉल में उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति ने ताली बजाकर व्यास का उत्साहवर्धन किया। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ लोकेश व्यास द्वारा शंखनाद व गणेश वंदना से हुवा।

पवन व्यास ने सुबह 11 बज कर 11 मिनट एवं 11 सैकंड पर यह पगड़ी मिस्टर राजस्थान का खिताब जीत चुके राहुल शंकर थानवी के सर पर बांधना शुरू किया जो कि महज 30 मिनट मे 55 साफो को मिलाकर 2 फीट चैड़ी एवं 2 फीट लंबी पगड़ी बाँध डाली।व्यास ने बताया कि एक साफे की लंबाई लगभग 8.7 मीटर तथा विश्व की इस सबसे बड़ी पगड़ी का कुल वजन लगभग 20 किलो है। पगड़ी के कपड़े लम्बाई 478.50 मीटर (1569.86 फुट), कुल पगड़ी 55 (8.7 मीटर प्रत्येक), पगड़ी बंधने के बाद परिधी 7 फुट 8 इंच, लम्बाई व चैडजाई लगभग 2 फुट से अधिक बताई गई है।

इसे बांधने में आधे घंटे का समय लगा। पवन व्यास जैसे युवा कलाकार ही कवि भरत व्यास की रचना ‘जब तक मरू की संतान रहे, इस पगड़ी का सम्मान रहे। मरूधर के बच्चे – बच्चे को अपनी पगड़ी पर नाज रहे।।’ को साकार करने में समर्पित हैं। लुप्त होती राजस्थानी संस्कृति बचाने का एक अथक प्रयास है।

सेवा भाव से निशुल्क बांधते हैं पगड़ी

पगड़ी बांधने के उस्ताद पवन व्यास पिछले 11 वर्षो से शादी समारोहों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों आदि में साफा बांधने का कार्य निशुल्क कर रहे है, विभिन्न प्रकार के साफे बांधने की कला में माहिर व्यास ने अभी तक हजारों साफे नि:शुल्क बांध दिये।उनका कहना है कि उनका उद्देश्य केवल समाज में साफे की साख बचाएं रखना है। व्यास ने अपनी इस कला का श्रेय अपने गुरूपिता पं. बज्रेश्वर लाल व्यास व चाचा गणेश लाल व्यास को दिया। किकाणी चैक स्थित व्यास परिवार पिछले 4 दशक से अधिक समय से समाज में नि:शुल्क साफा बांधने का कार्य कर रहा है।व्यास ने बताया कि वह गणगौर महोत्सव में ईसर व भाये के लिए, श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर लड्डूगोपाल के व विभिन्न अवसरों पर विभिन्न प्रकार के साफे बांधते है।

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