एमजीएसयू में हुई आजादी के अमृत महोत्सव पर हुई राष्ट्रीय कार्यशाला
बीकानेर, (समाचार सेवा)। अंग्रेजो ने भारत की संस्कृति को नष्ट करने के लिये संस्कृत साहित्य पर किए प्रहार : प्रो. रमाकांत पांडे, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भोपाल परिसर के निदेशक प्रो. रमाकांत पांडे ने कहा कि अंग्रेजों ने भारत की संस्कृति को नष्ट करने के उदेश्य से संस्कृत भाषा और उसके साहित्य पर योजनाबद्ध तरीके से लगातार वार किये।
प्रो पांडे सोमवार को महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय (एमजीएसयू) बीकानेर में संस्कृत में लिखित आज़ादी की लड़ाई के अज्ञात इतिहास : संग्रहालयों की ज़ुबानी विषयक कार्यशाला को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे।
एमजीएसयू के इतिहास विभाग एवम् संग्रहालय व प्रलेखन केंद्र द्वारा आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आयोजित इस कार्यशाला में प्रो. पांडे ने कहा कि अंग्रेज भली-भांति जानते थे कि अगर भारत में शासन करना है तो संस्कृत भाषा और उसके साहित्य को नष्ट करना होगा।
उन्होंने बताया कि लॉर्ड मैकाले ने इस काम को आगे बढ़ाने के लिए अंग्रेजी को भारत की सरकारी भाषा तथा शिक्षा का माध्यम बनाया और संस्कृत की पारंपरिक शिक्षा को अवैध घोषित किया। प्रतिक्रिया में अंग्रेजों के विरुद्ध विशाल आंदोलन खड़ा हुआ।
कार्यशाला की अध्यक्षता एमजीएसयू के कुलपति प्रो विनोद कुमार सिंह ने की। कार्यशाला की आयोजन सचिव तथा एमजीएसयू इतिहास विभाग की डॉ. मेघना शर्मा ने कहा कि अंग्रेजों के राज में संस्कृत के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं के साहित्य व प्रेस पर भी प्रतिबंध लगाए गए।
एमजीएसयू के संग्रहालय व प्रलेखन केंद्र की निदेशक डॉ. मेघना ने बताया कि अंग्रेजी राज में अखबार प्रकाशित करने से पहले अफसरों को दिखाए जाने के फरमान जारी हुए।
आयोजन के दौरान विवि की ओर से आजादी का अमृत महोत्सव विषयक तीन दिवसीय चित्र कार्यशाला में चित्रकला विद्यार्थियों द्वारा बनाये गए चित्र का विमोचन किया गया। साथ ही विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया।
विद्यार्थी राम कुमार भादाणी ने मुख्य वक्ता को स्केच भेंट किया। कुलसचिव यशपाल अहूजा ने आभार जताया। संचालन डॉ प्रगति सोबती ने किया।
समारोह में बी. एल. सर्वा, डॉ. बिट्ठल बिस्सा, प्रो. राजाराम चोयल, डॉ. रविंद्र मंगल, डॉ. प्रभुदान चारण, डॉ॰ अभिषेक वशिष्ठ, डॉ॰ सीमा शर्मा व उमेश शर्मा आदि उपस्थित रहे।