सरकार ने सोशल मीडिया के 1662 यूआरएल कराये ब्लाक
नई दिल्ली। सरकार ने सोशल मीडिया के 1662 यूआरएल कराये ब्लाक। केन्द्र सरकार ने बीते डेढ़ वर्ष 2017 से जून 2018 तक में सोशल मीडिया पर डाली जाने वाली गैर कानूनी सामग्री पर निगरानी रखते हुए फेसबुक, यूट्यूब, इन्सटाग्राम तथा अन्य सोशल साइट्स के कुल 1662 यूआरएल ब्लाक करवाये हैं।
जानकारी मंगलवार को लोकसभा में केन्द्रीय गृहराज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी है। इसमें बताया गया कि सुरक्षा एजेन्सिया वेब और सोशल मीडिया पर लगातार निगरानी रखती है और इसमें डाली जाने वली किसी भी गैर कानूनी विषय वस्तु पर रोक लगाने के लिये आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई करती है।
उन्होंने बताया कि पिछले डेढ वर्ष में कुल 2245 यूआरएल पर रोक लगाने का सुझाव आया था। इनमें सर्वाधिक फेसबुक के 1076 यूआरएल पर रोक लगाने का सुझावा था, इसके अलावा ट्वीटर के 728, यूट्यूब के 182, इंस्टाग्राम के 150 तथा अन्य वेब सोशल मीडिया के 109 यूआरएल को ब्लाक करने का सुझाव सरकार को मिला था।
इनमें से कुल 1662 यूआरएल को ब्लाक किया गया। इनमें फेसबुक के 956, ट्वीटर के 409, यूट्यूब के 152, इन्सटाग्राम के 66 तथा अन्य सोशल मीडिया के 79 यूआरएल ब्लाक किए गए।
केन्द्रीय गृहराज्य मंत्री ने बताया कि संविधान के अनुसार पुलिस तथा कानून व्यवस्था राज्य का विषय है। भारतीय दंड सहिता व सूचना प्रोद्योगिकी नियम के प्रावधानों के अनुसार राज्य सरकारें अपनी काूननी मशीनरी के जरिये साइबर अपराधों की रोकथाम , पहचान तथा जांच के लिये जिम्मेवार है।
उन्होंने बताया कि सुरक्षा एजेंसियां वेब व सोशल मीडिया पर लगातार निगरानी रखती है। सोशल मीडिया में डाली जाने वाली किसी भी गैर कानूनी विषय वस्तु पर रोक लगाने के लिये सूचना प्रोद्योगिकी कानून के तहत कार्रवाई करती है।
सावधिक निगरानी करती है। केन्द्रीय गृहराज्य मंत्री ने बताया कि कानून के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिये सरकार एक सहयोगी फ्रेमवर्क तैयार करने के लिये सभी पक्षों के साथ नियमित बैठक करती है।
* साइबर खतरों पर नियंत्रण
वर्तमान में साइबर पुलिस बल का गठन करने की कोई योजना नहीं है। सरकार भारत साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई 4 सी) की स्थापना करने पर कार्य कर रही है। आई 4 सी योजना का मुख्य उद्देश्य है – राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों में कानून लागू करने वाली एजेंसियों के लिए एक राष्ट्रीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र स्थापित करना, ताकि एक प्रभावी उपकरण के रूप में यह देश में साइबर अपराध से जुड़े मामलों को नियंत्रित करने में सहायता प्रदान कर सके।
साइबर सुरक्षा और साइबर अपराध से जुड़े मामलों से निपटने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और भारतीय दंड संहिता, 1860 के रूप में पर्याप्त कानूनी ढांचा मौजूद है। इसके अलावा, उभरती जरूरतों के अनुसार कानून में संशोधन का विकल्प मौजूद है। कानून में संशोधन एक सतत प्रक्रिया है।
उक्त जानाकारी केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री श्री हंसराज गंगाराम अहिर ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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