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कवि चंद्र सिंह ने बढ़ाया राजस्थानी भाषा का मान-डॉ.प्रजापत

Poet Chandra Singh has increased the prestige of Rajasthani language- Dr. Prajapat

NEERAJ JOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा) साहित्‍यकार डॉ. गौरीशंकर प्रजापत ने कहा कि अनेक कालजयी कृतियों के रचयिता स्‍व. चंद्र सिंह ने सदैव राजस्थानी भाषा का मान बढ़ाया। डॉ. प्रजापत मंगलवार को कवि स्व. चन्द्र सिंह बिरकाली की जयंती पर इन्टेक व रोटरी क्लब सुप्रीमों की ओर से रोटरी क्लब पुस्तकालय के प्रांगण में आयोजित संगोष्ठी में अपने विचार रख रहे थे।

उन्‍होंने कहा कि कवि बिरकाली ने बादली, लू, कह-मुकरणी, डांफर आदि अपने काव्य के माध्यम से प्रकृति का सांगोपांग वर्णन किया हैं। कुदरत के हर एक पल का वर्णन अपने काव्य के माध्यम से किया है। मुख्य अतिथि अरूण प्रकाश गुप्ता ने कहा कि बिरकाली ऐसे साहित्यकार थे जिन्‍होंने राजस्थानी भाषा को केवल राज्य मे ही नही अपितु पुरे देश में सम्मान दिलाया है।

गोष्ठी कि अध्यक्षता करते हुए डॉ. सुधा आचार्य ने कहा कि चंद्र सिंह ने जिन राजस्थानी शब्दों का वर्णन किया है उनका संरक्षण होना चाहिए, जिससे राजस्थानी का भविष्य उज्जवल हो सके। राजस्थानी भाषा साहित्य अकादमी के पूर्व सचिव पृथ्वी राज रतनू ने कहा कि चंद्र सिंह बीरकाली ने अपनी राजनैतिक महत्वकांक्षाओं को दरकिनार कर राजस्थानी भाषा के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण कार्य किया।

संगोष्‍ठी में राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति के सचिव शरद केवलिया, डॉ. किशन लाल बिश्नोई, एम. एल. जॉगिड़, भंवर सिंह राठौड़, सवाईसिंह पडिहार, डॉ. मो. फारूक, अमर सिंह खंगारोत, ऋषि व्यास ने भी विचार रखे।

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