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म्हारी छोरी के किसी छोरे थानेदार से कम है के..

PANCHNAMA 2 JULY 2018

पंचनामा : उषा जोशी

म्हारी छोरी के किसी छोरे थानेदार से कम है के.., उसे खाकी वर्दी पहना अभी थोड़ समय पहले ही आया है मगर वह किसी एक बड़े थाने की थानेदार बनना चाहती है। वो थोड़ी इमोशनल है, कुछ बातें रो धो कर भी मनवा लेती है मगर उसकी ये कला भी थानेदारी पाने में काम नहीं आ रही है।

उसके पिता भी मानते हैं कि उनकी छोरी किसी भी छोरे थानेदार से कम नहीं है मगर पता नहीं आला खाकीधारी उनकी क्यों नहीं सुन रहे हैं।  सुना है उसने थानेदारी पाने के लिये एमएलए से सिफारिश भी करवा ली है। जीओ भी करवा लिया है मगर उसे अब तक थानेदारी नहीं मिली है।

वह और उसका पूरा परिवार किसी भी सूरत में एक अदद थाना चाहते हैं मगर यह हो नहीं पा रहा है। वह जिस थाने में वह है वहां उसके ही समाज का व्यक्ति थानेदारी के मजे ले रहा है वह चाहती है वह यहा से जाए तो वह उसी थाने में थानेदारी पा जाए। उसे पता नहीं चल पा रहा है कि उसकी राह में रोड़ा कौन अटका रहा है।

हां वह लॉ एण्ड आर्डर मेंटेन करने व इन्वेस्टिगेशन की एबीसीडी सीख रही है ताकि थानेदार बन जाए तो काम भी कर सके। मैं उसके साथ हूं। गर्ल्स पावर।

अब कह रहे हैं कि अंगूर खट्टे हैं

शहर की लेडी सीओ सिटी अपने पारिवारिक कारणों से लंबी छुट्टी पर क्या चली गई, खाकीधारियों में सीओ सिटी बनने की होड़ लग गई।

शहर के ट्रेफिक को बेतरतीब छोड़ एक सीओ साहब भी इस लाइन में लगे थे और अपने को सबसे आगे बता रहे थे मगर अब जब सीओ सिटी का चार्ज किसी ओर को मिल गया तो साहब कहने लगे अंगूर खट्टे हैं।

एक अन्य इलाके के सीओ साहब भी सीओ सिटी बनना चाहते थे मगर बाद में कहने लगे कि हम तो अपनी जगह पर ही फिट हैं, शहर में टंटे बड़े रहते हैं। आपको बता दें कि जब तक सीओ सिटी का चार्ज किसी को सौंपा नहीं गया तब तक अण्डर ट्रेनिंग वाले कई खाकीधारी जिनकी अभी

पोस्टिंग होनी बाकी है वो भी सीओ सिटी बनने के लिये दौड़ में शामिल हो गए। अब सब पता नहीं ये क्यों कह रहे हैं कि अंगूर खट्टे हैं। सीओ मैडम की छुट्टी कईयों को ख्वाब दिखा गई थी मगर टाइगर ने ऐसा पत्ता चला कि इस पद का ख्वाब देने वाले सब खाकीधारियों के ख्वाब एक झटके में टूट गए।

हमसे का भूल हुई जो ये सजा..

ये मुआं चुनाव आयोग का भी अजीब झंझट है। पहले कहा कि जो खाकीधारी तीन साल से एक जगह पर है उसे अब जगह छोड़नी पड़ेगी। ठीक है मान ली बात मगर अब ये कहां का न्याय है कि जो पिछले विधानसभा चुनाव में जिस जिले में ड्यूटी पर था उसे भी वर्तमान स्थान से हटना पड़ेगा।

अरे भाई इसमें तो वो थानेदार भी आ गए जिन्होंने हाल ही में अपना विकास कराने के लिये गांव का थाना पाया था। उनके साथियों को मजा लेने का मौका मिल गया, कोई हंस के बता रहा है छतगरगढ़ वाले का विकास रुक गया। किसी ने कहा सेरुणा वाला अभी अभी लगा था। कोई कोटगेट वाले से हमदर्दी जता रहा है तो कोई बिना कुछ जाने ही मजे ले रहा है।

सुना है कुछ खाकीधारियों ने तो जोड़तोड़ कर, मंदिरों के चक्कर लगाकर, नेताओं से सिफारिशें करवाकर थाने पाये थे मगर अब सबको जाना होगा जो पिछले चुनाव में यहां थे। अब आज हटे कल हटे वाली पोजिशन में है।

* चल उड़ जा रहे पंक्षी

एक समय में एक थानेदार जी थे। वे किसी राम के लक्ष्मण बनकर थाने को चला रहे थे। उनको अपने राम का पूरा सपोर्ट था। तब वे हवा में उड़ते थे। जब टाइगर ने उनसे थाना छीन लिया तो वे अचानक जमीन पर आ गए।

सब से हाय हलो करने लगे। सोचा ऐसे ही कुछ समय निकाल लेंगे मगर अब चुनाव आयोग ने इनको भी छठी का दूध याद दिला दिया है। पिछले चुनाव में यहां खाकी का रौब चला चुके थे इसलिये इनको भी इस बार नयी जगहर पर घर बसाना होगा।

साभार, दैनिक नवज्‍योति बीकानेर।

 

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