×

बीकानेर स्‍थापना दिवस पर जमकर उड़ाए गए किन्‍ने

On the occasion of Bikaner's foundation day, fiercely blown away

NEERAJ JOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा) स्‍थापना दिवस पर बीकानेर में जमकर उड़ाए गए किन्‍ने, बीकानेर स्‍थापना दिवस पर शनिवार को बीकानेर का आसमान किन्‍नों (पतंगों) से अट गया। घरों की छतें जहां लोगों की भीड़ से पटी रही वहीं घर के आंगन में नई मटकी का पूजन किया गया और शाम को गेहूं का खीचड़ा व ईमलाणी पेय पदार्थ बनाया गया।

पतंगबाजी का दौरा रविवार को भी दिनभर जारी रहेगा। रविवार को सुबह भी स्‍थापना दिवस की खुशी में गेहूं और बाजरे का खीचड़ा बनाया जाएगा। साथ ही इमली की इमलाणी भी बनायी जाएगी। बीकानेर को स्‍थापित हुए 536 साल पूरे हो गए हैं। 537वें स्‍थापना दिवस को मनाने में स्‍थानीय लोग कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं। घर की छतों पर पतंगों के साथ डीजे का भी प्रबंध अनेक घरों में किया गया है।

पतंग के कटने पर गूंजी बोई काट्या की आवाज

कई घरों में माइक लगागार पतंग के कटने पर बोई काट़या की आवाज गुंजाने का पूरा प्रबंध किया गया है। शनिवार को ऐसे नजारे जहां शाम के समय अधिक देखने को मिले वहीं रविवार को ऐसे नजारे पूरे दिन देखने को मिलेंगे। पतंगों के शौकीनों का ही कमाल है कि बीकानेर शहर में स्‍थापना दिवस के दो दिन के समारोह के दौरान ही लगभग 10 करोड़ रूपये की पतंग व मांझा बिकने का कारोबार हो जाता है।

प्रतिबंध के बावजूद खूब चला चायनीज मांझा

हालांकि चायनीज मांझे पर प्रतिबंध है मगर गैर कानूनी रूप से इसके विक्रेता और खरीददार दोनों ही बड़ी मात्रा में अपना काम कर जाते हैं। शनिवार को सुबह सूर्योदय से पहले ही लोग छतों पर नजर आने शुरू हो गए। बोय काट्या और उड़ा-उड़ा के नारों से पूरा शहर गुंजायमान रहा। महिलाओं ने भी पतंगबाजी कर अपने हुनर का परिचय दिया। पतंग काटने पर महिलाएं भी उतनी ही जोश से खुशी मनाती दिखी जितने की बच्‍चे और युवा खुशी मनाते हैा।

अलग ही रहा पतंग लूटने वालों का उल्‍लास

पतंग लूटने वालों का उल्‍लास अलग ही सीमा पर था। कोटगेट, गोगागेट, जस्‍सूसर गेट, नत्‍थूसर गेट, शीतला गेट आदि शहर के परकोटे के प्रमुख गेटों के भीतरी इलकों में जमकर पतंगबाजी हुई। छतों पर डीजे तथा मोबाइल फोन पर गाने बजा कर भी स्‍थापना दिवस का उत्‍साह दिखाया गया। स्‍थापना दिवस से महीने भर पहले से शहर में पतंगों की सैकड़ों छोटी व बड़ी दुकानें सज जाती हैं। इन दुकानों में उत्‍तर प्रदेश के कानपूर बरेली, लखनऊ सहित राजस्‍थान के जयपुर आदि इलाकों में बनी पतंगें और मांझा अधिक बिकता है।

Share this content:

You May Have Missed

error: Content is protected by SITInovations!!