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बगैर चपरासी कैसे बजेगी स्‍कूल की घंटी

How will the school bell ring without a peon

बीकानेर, (समाचार सेवा)बगैर चपरासी कैसे बजेगी स्‍कूल की घंटी, स्‍कूलों में पर्याप्‍त संख्‍या में तथा अनेक स्‍कूलों में एक भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नियुक्‍त नहीं होने से स्‍कूलों में अनेक कार्य बाधित हो रहे हैं।

इन कामों में स्‍कूला का ताला खोलने, कक्षा-कक्ष, फर्नीचर की साफ सफाई, कालांश के अनुसार घंटी बजाने, पानी की टंकी की साफ करने, झाड़ू लगाने, मक्कड़ जाले साफ करने, फोटो कॉपी करवाने, आदेश स्टॉफ में प्रसारित करने में परेशानी हो रही है।

वर्तमान में ऐसे कार्य स्‍कूलों में शिक्षको अथवा  बालको की सहायता से पूरे किए जा रहे है। इसका असर बालको की पढ़ाई पर पड़ रहा है। राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय ने इस संबंध में सरकार को पत्र भेजकर विद्यालयों के लिये स्वीकृत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तथा जमादार पदों को तुरंत भरने की मांग की है।

शिक्षक नेता शिक्षक नेता महेंद्र कुमार लखारा, रवि आचार्य, नवीनकुमार शर्मा, अरविन्द व्यास, प्रहलाद शर्मा, ओमप्रकाश विश्नोई, सम्पतसिंह, जयमाला पानेरी, अरुणकुमार व्यास के अनुसार राज्य में प्राथमिक विद्यालय, उच्‍च प्राथमिक विद्यालय तथा उच्च माध्यमिक विद्यालयों की कुल संख्या तकरीबन 64 हजार 553 है।

तथा इन विद्यालयो में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के 25 हजार 348 पद स्वीकृत है। इनमे से करीब 6649 पदों पर ही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कार्यरत हैं, जबकि 74 प्रतिशत पद रिक्‍त हैं। स्वीकृत पदों में बढ़ोत्तरी कर प्रत्येक विद्यालय में न्यूनतम एक चतुर्थ श्रेणी कार्मिक की नियुक्ति प्रदान करना जरूरी है।

अनेक स्‍कूलों में चश्रेक के पद स्वीकृत नहीं

शिक्षक नेताओं के अनुसार गत वर्षों में सरकार द्वारा कई उच्च प्राथमिक विद्यालयों को उच्च माध्यमिक विद्यालयों में तथा प्राथमिक विद्यालयों को उच्च प्राथमिक विद्यालयों में क्रमोन्नत किया जा चुका है।

जबकि प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक विद्यालयों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद स्वीकृत नही है। अधिकांश उच्च माध्यमिक विद्यालयों में भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद स्वीकृत नहीं है।

विभाग द्वारा स्कूलों को प्रथामिक से उच्च प्राथमिक व उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत कर दिए किन्तु उनमे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नियुक्ति नहीं की जा रही है।

विद्यालय कोष अपर्याप्‍त

शिक्षक नेताओं के अनुसार वर्तमान में 1200 प्रतिमाह पर विद्यालय कोष से सफाई कर्मी रखा जा सकता है किन्तु 1200 रुपये में 2 बीएचके मकान में सफाई कर्मी झाड़ू-पोछा करने को तैयार नहीं होते।

ऐसे में इतनी ही राशि मे पूरे विद्यालय की साफ सफाई करने की उम्मीद करना बेईमानी होगा। एक तथ्‍य यह भी है कि प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विकास कोष ही नहीं होता है।

ऐसे में पूर्व में स्वीकृत रिक्त पदों व नवसृजित पदों पर कार्मिको की भर्ती करना विद्यालय हित मे होगा।

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