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निन्यानवे  के फेर में उलझ कर रह गई बीकानेर जिला परिषद की शिक्षक भर्ती

– आचार्य ज्योति मित्र  बीकानेर, (समाचार सेवा)। निन्यानवे  के फेर में उलझ कर रह गई बीकानेर की जिला परिषद  शिक्षक भर्ती, बीकानेर जिला परिषद में वर्ष 1999 में निकली तृतीय श्रेणी अध्यापकों की भर्ती राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव व नौकरशाही के अपने हितों की जोड़ बाकी में निन्यानवे के फेर में उलझ कर रह गई  है।

दिलचस्प तो यह है  कि इस नियुक्ति के लिए वित्तीय स्वीकृति भी जारी हो चुकी है लेकिन बेलगाम नौकरशाही ने इसे कभी सिरे ही नहीं चढ़ने दिया। इस भर्ती की आशा दिल मे रखे  कई आवेदक परलोक सिधार गए। कई लोग ओवरएज हो गए तो कइयों ने इस लोक में  गुजारे के लिए छोटा मोटा काम कर लिया।

इस भर्ती के विज्ञापन निकलने के बाद से राजस्थान में दोनों ही प्रमुख दलों की सरकारें कई बार बनी लेकिन यह मुद्दा जस का तस बना रहा। पिछले चुनाव में बीडी कल्ला ने इन आवेदकों को भरोसा दिलाया था राजस्थान में कांग्रेस की सरकार आने पर वे इस मामले को निपटा देंगे।

सरकार बने एक अरसा हो गया है इस कारण  से अब बेरोजगारों का भरोसा टूटने लगा है। अब अधेड़ावस्था  में पहुंच चुके यह सारे अभ्यर्थी सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री से गुहार लगा रहे हैं।

यहां गौरतलब है कि  जिला परिषद् बीकानेर मे 1999 मे 250 पदों पर भर्ती निकाली एवं जिसके लिए सम्पूर्ण भर्ती प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई थी। इस दौरान  एक सरकारी आदेश के माध्यम से इस पर रोक लगा दी गई,जो इस भर्ती प्रक्रिया के लम्बित होने का कारण बना।

इसके लिए  सभी चयनित लम्बे समय से संघर्षरत्त है। इस भर्ती के लिए आंदोलन का एक लंबा दौर चला। अर्द्धनग्न प्रदर्शन से लेकर आमरण-अनशन तक हुए। आंदोलनकारियों को अनशन के चलते कई बारअस्पताल में भर्ती होना पड़ा।

इस आंदोलन का इतना असर हुआ कि विभाग ने कई बार पत्र लिख कर सरकार से मार्गदर्शन माँगा। जिसमे ये स्पष्ट अंकित किया है कि यदि सरकार निर्देश दे तो इस भर्ती को पूर्ण किया जा सकता है।

आंदोलनकारियों के नेता पंकज आचार्य व बद्रीनारायण व्यास ने बताया कि इस प्रकरण पर किसी भी प्रकार की कोर्ट की रोक नही है । रोक सरकार ने  लगाई है और वही इसे हटाने मे सक्षम है । ऐसा जवाब विभाग प्रत्येक बार देता रहा है ।

आंदोलनकारी इंद्र जोशी बताते है कि  2013 में आमरण अनशन के दबाव से तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा निदेशक वी .श्रवण कुमार ने सरकार से भर्ती हैतु मार्गदर्शन एवं अनुमति माँगी थी,मगर उस पर भी कोई कार्यवाही नही हो पाई ।

भाजपा सरकार के समय  राजेन्द्र सिह राठौड की अध्यक्षता में गठित मंत्रीमण्डलीय उपसमिति में चयनितों के पक्ष को सुना गया। बताते है कि सुनवाई के बाद ये माना गया कि ये एक बहुत बड़ी प्रशासनिक गलती है।  इस प्रकरण में नियुक्ति हैतु सैद्धान्तिक सहमति देते हुए  जिला परिषद से तथ्यात्मक रिपोर्ट मंगवाई थी ।

वर्ष 2003 में गहलोत सरकार ने जुलाई में  शिक्षा सचिव के माध्यम से आदेश भी जारी किये लेकिन सरकार के  वे आदेश आज भी फाइलों में दफन है।

दिनेश आचार्य बताते है कि राज्य सरकार के पत्रांक एफ /13(244) प्रा.शि. वि./99 दिनांक 1/7/2003 को 250 पद हैतु वित्तिय स्वीकृति भी शासन सचिव विधि प्रकोष्ठ द्वारा दी जा चुकी है ।

बहरहाल  इस भर्ती प्रक्रिया पर  किसी प्रकार की अदालती  रोक नहीं है लेकिन नौकरशाही के निन्यानवे के फेर में चयनितों का भविष्य अंधकारमय हो चुका है।

– आचार्य ज्योति मित्र  बीकानेर, (समाचार सेवा)। निन्यानवे  के फेर में उलझ कर रह गई बीकानेर की जिला परिषद  शिक्षक भर्ती, बीकानेर जिला परिषद में वर्ष 1999 में निकली तृतीय श्रेणी अध्यापकों की भर्ती राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव व नौकरशाही के अपने हितों की जोड़ बाकी में निन्यानवे के फेर में उलझ कर रह गई  है।