पनामा पेपर्स जांच मामले में सरकार ने थपथपाई अपनी पीठ
नई दिल्ली। ‘पनामा पेपर लीक’ से संबंधित पनामा पेपर्स जांच मामले में मीडिया में जारी नए मामलों की बहु एजेंसी समूह ( एमएजी) कानून प्रवर्तन एजेन्सियों द्वारा तात्कालिक जांच की जा रही है। सरकार ने इस मामले में अपनी पीठ थपथपाते हुए बताया है कि पनामा पेपर मामलों में की गई जांच विदेशों में जमा काले धन से निपटने के सरकार के सतत फोकस को प्रदर्शित करती है।
सरकार द्वारा की जा रही त्वरित कार्रवाई पूरी तरह स्पष्ट हैं क्योंकि अधिकांश कार्रवाई योग्य मामलों को प्रभावी रूप से निपटाया गया है। यह भी बताया गया कि ऐसे मामलों की जांच के लिए विद्यमान मानक संचालनकारी प्रक्रियाओं के अनुरूप, आय कर के वार्षिक रिटर्न, विशेष रूप से विदेशी परिसंपत्ति (एफए) अनुसूची, विदेशी रेमिटेंस विवरण आदि के मामले में कथित व्यक्तियों द्वारा किए गए खुलासों के साथ मीडिया रिलीज में प्रकाशित सूचनाओं की जांच का काम तेजी से किया जाएगा और इसके बाद महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे जाएंगे।
इसके पश्चात, उपयुक्त मामलों में जांच की जाएगी जिससे उन्हें तार्किक परिणति तक लाया जा सके। पनामा पेपर लीक का खुलासा मूल रूप से खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय परिसंघ (आईसीआईजी) द्वारा 4 अप्रैल, 2016 को किया गया था। उसी दिन, सरकार ने इसके संयोजक के रूप में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एमएजी का गठन किया था जो आय कर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी), वित्तीय खुफिया ब्यूरो (एफआईयू) एवं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के प्रतिनिधियों से निर्मित्त था। पनामा पेपर लीक से संबंधित 426 व्यक्तियों की आय कर विभाग एवं एमएजी की अन्य सदस्य एजेंसियों द्वारा जांच की गई है।
चूंकि आईसीआईजी द्वारा जारी डाटाबेस में कोई वित्तीय विवरण या लाभदायक स्वामित्व से संबंधित कोई विवरण नहीं था, इसलिए अधिकांश मामलों में इनकी जानकारी कर समझौतों के तहत विदेशी न्यायाधिकार क्षेत्र से मांगनी पड़ी। जिन 74 मामलों को कार्रवाई योग्य पाया गया, उनमें 62 मामलों में बेहद सख्त तरीके से कदम उठाया गया तथा 50 मामलों में तलाशी की गई और 12 मामलों में सर्वेक्षण किया गया जिससे लगभग 1140 करोड़ रुपये के अघोषित विदेशी निवेश का पता चला। 16 मामलों में आपराधिक अभियोजन से संबंधित मुकदमा दायर किए गए हैं जो विभिन्न न्याय अधिकार क्षेत्र अदालतों में सुनवाई के विभिन्न चरणों में हैं। काला धन अधिनियम के खंड 10 के तहत 32 मामलों में नोटिस जारी किए गए हैं।
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