डॉ. नमामी शंकर आचार्य द्वारा पंजाबी से राजस्थानी में अनुदित उपन्यास गम्योड़ा अरथ का लोकार्पण
बीकानेर, (समाचार सेवा)। डॉ. नमामी शंकर आचार्य द्वारा पंजाबी से राजस्थानी में अनुदित उपन्यास गम्योड़ा अरथ का लोकार्पण, युवा लेखक डॉ. नमामी शंकर आचार्य द्वारा पंजाबी से राजस्थानी में अनुदित किये गए उपन्यास गम्योड़ा अरथ का लोकार्पण रविवार को किया गया। मुक्ति संस्था की ओर से आयोजित इस लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार बुलाकी शर्मा ने की।
इस अवसर पर डॉ. आचार्य ने उपन्यास के एक मर्मस्पर्शी अंश का वाचन किया। समारोह में डॉ. आचार्य ने अनुवाद कर्म पर अपनी बात रखते हुए कहा कि गम्योड़ा अरथ उपन्यास का अनुवाद करते हुए भावनात्मक रूप से वे पंजाब की दास्तान को झेलने वाले पंजाबी दिलों में गोते लगाने लगे।
उन्होंने बताया कि किसी मनुष्य के दर्द को भाषा में उकेरना उसमें शामिल होने जैसी अनुभूति होने लगती है। पंजाबी के वरिष्ठ साहित्यकार निरंजन सिंह तस्रीम के पंजाबी भाषा में लिखित उपन्यास गवाचे अरथ को साहित्य अकादेमी नई दिल्ली से 1999 में पुरस्कार मिला है जिसका राजस्थानी भाषा में युवा साहित्यकार डॉ नमामी शंकर आचार्य ने गम्योड़ा अरथ शीर्षक से अनुवाद किया तथा केन्द्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली ने प्रकाशित किया है।
वक्ताओं ने कहा कि आत्मकथात्मक शैली में लिखा गया यह उपन्यास राजस्थानी भाषा के पाठकों के लिए डॉ. आचार्य का मुकम्मल प्रयास है। युवा शोधार्थी डॉ आचार्य ने इस उपन्यास को राजस्थानी भाषा में अनुवाद कर इसके माध्यम से 1984 के और उसके बाद के पंजाब की तस्वीर रखकर उस समय से पाठकों को रूबरू करवाने का प्रयास किया है।
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