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महामारियों के इतिहास में कोरोना सबसे जटिल : डॉ. मेघना शर्मा

Corona most complex in the history of epidemics: Dr. Meghna Sharma

मानव संसाधन विकास मंत्रालय की राष्ट्रीय वेब गोष्ठी में डॉ मेघना ने किया बीकानेर का प्रतिनिधित्व

बीकानेर, (samacharseva.in)। Corona most complex in the history of epidemics: Dr. Meghna Sharma, महाराजा गंगासिंह विश्‍वविधालय (एमजीएसयू) के इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ मेघना शर्मा ने इतिहास से स्पेनिश फ्लू व स्वाइन फ्लू का उदाहरण देते हुए कहा कि महामारियों के इतिहास में कोरोना सबसे जटिल साबित हुआ है जिसने वर्तमान में अर्थव्यवस्था को तो पंगु किया ही है साथ ही साथ वैश्वीकरण के अहम मुद्दे को भी बहुत पीछे धकेल दिया है।

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dr. meghna sharma

डॉ. मेघना रविवार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग और माताजी जीतो जी कन्या महाविद्यालय सूरतगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित त्रि दिवसीय राष्ट्रीय गोष्ठी के अंतिम दिन अपने संबोधन में व्‍यक्‍त किए। माता जीतो जी कन्या महाविद्यालय, सूरतगढ़ के डॉ. मोहिनी दइया, डॉ नीलम शर्मा, नंद किशोर सोमानी के संयोजन में दिनांक 7 अगस्त से 9 अगस्त 2020 के मध्य आयोजित इस संगोष्ठी का विषय था कोविड-19 सामाजिक परिदृश्य में बदलाव और तकनीकी शब्दावली।

डॉ. मेघना ने कहा कि  उत्तर कोरोना में एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में तेजी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता भारत जैसे देश मैन्युफैक्चरिंग का हब बन सकते हैं और विकसित देश चीन की जगह भारत को अपने बाजार में विकल्प दे सकते हैं। उद्घाटन सत्र के अतिथियों में तकनीकी शब्दावली आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर अवनीश कुमार, पूर्व कुलपति जगतगुरु संस्कृत विश्वविद्यालय प्रोफेसर विनोद शास्त्री शामिल रहे तो तकनीकी सत्रों के बीज वक्ताओं में बीएचयू, वाराणसी की डॉ प्रीति सिंह,

दयाल सिंह कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ अशोक कुमार सिंह, डॉ विजय कुमार, जेएनयू की डॉ अनुजा, केंद्रीय विश्वविद्यालय गांधीनगर, गुजरात के डॉ प्रियरंजन, मध्यप्रदेश के वरिष्ठ लेखक, चिंतक प्रमोद भार्गव, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, कोलकाता के डॉ ललित कुमार के अलावा महिंद्रा महिला महाविद्यालय छपरा, बिहार से डॉ कृष्ण कुमार कृष्णा, रणजीत सिंह मेमोरियल पीजी कॉलेज, बिजनौर, उत्तर प्रदेश से डॉ अमित कुमार, भगवंत विश्वविद्यालय, अजमेर से डॉ दिनेश मंडोत आदि विद्वान शामिल रहे।

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