जल गया दिल मगर शमए इश्क जल ना सकी : रफीक
बीकानेर, (समाचार सेवा)। तन्हाई में दिल के दर्द खिलते हैं ऐ बेजिगर, जल गया दिल मगर शमए इश्क जल ना सकी। कवि रफीक बेजिगर ने रविवार को होटल मरुधर हेरिटेज में हुई त्रिभाषा काव्य गोष्ठी में अपनी गजल सुनाकर वाहवाही लूटी।
गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए रफीक ने अपनी अन्य रचनायें भी पेश कीं। पर्यटन लेखक संघ महफिले अदब की साप्ताहिक अदबी कार्यक्रम की इस 317 वीं कड़ी में नगर के हिंदी, उर्दू और राजस्थानी के रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर कलाम सुनाये।
अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार शिवप्रकाश शर्मा ने कहा कि मरुधर हेरिटेज की नियमित गोष्ठियों से शहर में साहित्य का माहौल बना हुआ है। इसके माध्यम से नगर में नए कवि और श्रोता वर्ग तयार हुए हैं। उन्होंने कहा कि इन गोष्ठियों की सेवाएं बेमिसाल हैं।
पर्यटन लेखक संघ के सचिव डॉ जिया उल हसन कादरी ने कागज रदीफ पर शे र सुना कर वाह वाही लूटी-जो दे दावते अम्न और प्यार कागज, हमें है हमें ऐसा दरकार कागज कहीं फूल है तो कहीं ख़ार कागज, ना समझो है कि ये तो बेकार कागज। रहमान बादशाह ने तरन्नुम से गजल सुना कर माहौल में रस भर दिया-रहमान पूछता है क्या चुप रहने का सबब, सदमा है दिल को आज भी अपनों की घात का।
कवि हरिमोहन जैन ने कविता सुना कर दाद लूटी-हर एक को मिले रोटी, कपड़ा और मकान, गरीब को इंसाफ और न्याय मिले। वरिष्ठ कमल किशोर पारीक ने हमदर्दी की बात की-है असली वही हमदर्द, जो बांटे दर्द दूसरों का। कवि धर्मेन्द्र गौड़ ने आम आदमी का दर्द बयान किया-दम घुटता है तो घुटने दे, आंसू ना बहा फरियाद ना कर, तेरी सुनने वाला कोई नहीं, किसी को नहीं तेरी चिंता फिकर।
डॉ जगदीश दान बारहठ भजन सुना कर माहौल में रूहानियत भर दी प्रभू से जिसका सम्बन्ध है उसको आनन्द ही आनन्द है। युवा कवि शकील अंसारी ने अपने गीत में प्यार करने का सन्देश दिया-तन को कर के शुद्ध और मन को संवार कर, हे मनुज तू प्यार कर, प्यार कर, तू प्यार कर। राजकुमार ग्रोवर ने बीकानेर की शान में गीत सुनाया-ये बीकानेर है,ये बीकानेर है। संचलन डॉ जिया उल हसन कादरी ने किया।
जबकि गिरिराज पारीक ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मरुधर हेरिटेज के अदबी कार्यक्रमों की धूम पूरे देश में है। इस तरह के अनूठे कार्यक्रमों की वजह साहित्य का पौधा फल फूल रहा है।
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