Home SAHITYA GATIVIDHI संगीत सभा सागर से निकली भजनों की सरिता

संगीत सभा सागर से निकली भजनों की सरिता

बीकानेर के उपनगर गंगाशहर में संगीत सभा समारोह में भजन प्रस्तुत करते कलाकार।

बीकानेर संगीत सभा सागर bikaner ke से निकली भजनों की सरिता। विरासत संवर्धन संगीत सभा परिसर में गंगाशहर में चयनित प्रशिक्षु कलाकारों ने रविवार 15 जुलाई को अपनी गायन कला का प्रदर्शन किया।

मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलन व वन्दना से शुरू की गई इस संगीत सभा में अंशु शर्मा ने राजस्थानी भजन हो जी थांनै अरज करै राधा प्यारी प्रस्तुत किया।

तबले पर गुलाम हुसैन-ताहिर हुसैन तथा पर हारमोनियम पर पुखराज शर्मा की संगत के साथ सभा में प्रशिक्षु सोमेश जावा ने भजन-राम का गुण-गान करिए गाया।

मानसी तिवारी ने ताल दादरा में चौमासा, आस्था पारीक ने मीरा का भजन सांसों की माला, गोपाल चांवरिया ने शास्त्रीय संगीत, सुनीता स्वामी ने उप शास्त्रीय ताल दादरा, कशिश ने गजल, किरण सैन ने लोक गीत जल्लो म्हारै जोड रौ गीत गाया।

सभा में मोनिका पारीक ने भजन, ओमप्रकाश चांवरिया ने लोकगीत बंजारा, मुकेश चांवरिया ने राग कहरवा में एक गजल शहर दर शहर लिए फिरता हूं तन्हाई को, नूतन सुराणा, सरिता स्वामी, हेमंत शर्मा, सरोजकुमारी और मनोज चारण ने संगीत की प्रस्तुतियां देकर प्रशिक्षु कलाकारों का हूनर संगीत प्रेमियों के समक्ष रखा।

इससे पूर्व शुभारंभ समारोह में मुख्य अतिथि संगीत भारती के निदेशक डॉ. मुरारी शर्मा ने कहा कि संगीत की कई विद्याएं लुप्त होने के कगार पर हैं, विद्यार्थी इन विद्याओं की तरफ भी ध्यान देवें और इन्हें अपनाएं तो ये कलाएं वापस जिन्दा हो सकती है।

डॉ. शर्मा ने ढोल, तबला व नगाड़ा वादन की लुप्त होती शैलियों की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए संगीत सभा की सार्थकता को उचित बताया और कहा कि वे खुद अभी संगीत के विद्यार्थी हैं।

विशिष्ट अतिथि कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने  कहा कि प्रस्तुति देते समय वे कलाकार को अपनी आंखें खुली रखें व चेहरे के हाव-भाव में सौम्यता, मुस्कराहट रखनी चाहिये।

मोहन मारु ने प्रशिक्षुओं के मनोबल की तारीफ की। तबला वादक गुलाम हुसैन ने कहा कि कलाकार की विनम्रता ही उसे आगे बढ़ा सकती है।

कार्यक्रम संयोजक पुखराज शर्मा ने प्रशिक्षु कलाकारों को गजल गाकर प्रस्तुतिकरण का ढंग बताया। संचालन संगीत प्रशिक्षु नूतन सुराणा ने किया।

संस्था अध्यक्ष डालचन्द सेवग ने आभार जताया।