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उधर उसका तकब्बुर और वो है इधर मेरी अना है और मैं हूं : डॉ. मन्जू कच्छावा

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बीकानेर, (समाचार सेवा) उधर उसका तकब्बुर और वो है इधर मेरी अना है और मैं हूं। बीकानेर की शाइरा डॉ. मन्जू कच्छावा अना ने रविवार को होटल मरुधर हेरिटेज में चार कवयित्रियां-सोलह कविताएं कार्यक्रम में तरन्नुम में गजलें सुना कर महफिल लूट ली।  शाइरा डॉ. कच्छावा अना की रचना ‘ये सूना रास्ता है और मैं हूँ फकत इक हौसला है और मैं हूँ, उधर उसका तकब्बुर और वो है इधर मेरी अना है और मैं हूँ’।

kavi-sammelon-1 उधर उसका तकब्बुर और वो है इधर मेरी अना है और मैं हूं : डॉ. मन्जू कच्छावा

काफी पसंद की गई। पर्यटन लेखक संघ-महफिले अदब के साप्ताहिक अदबी कार्यक्रम की 390 वीं कड़ी में हुए इस कार्यक्रम में बीकानेर की कवयित्रियों ने सामाजिक सरोकार, नारी विमर्श और जनजीवन से जुड़ी सोलह रचनाएँ पेश कीं। डॉ. मंजू के अलावा युवा कवयित्री नीतू जोशी ने रचनाएँ पेश की। उनकी रचना बेटी की विदाई पर दाद मिली। खुशियों का आँगन मिले या काँटों का चमन मिले ऐसी क्यों रीत बनाई, बेटी को क्यूँ दी विदाई।

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शारदा भारद्वाज की प्रस्तुति चालबाजी, बेहिसासी और यहाँ गुरूर मिले जिन्दगी के उस सफर में सब मुझे माजÞूर मिले भी सराही गई। युवा कवयित्री दीप्ति आसोपा ने जज़्बा, तेरा जिÞक्र, क्या खूब कहूँ और अटल शीर्षक से रचनाएँ सुनाईं। बस और नहीं रुकना हमें बस और नहीं थकना हमें समुद्र की लहरों की तरह आगे बढ़ते रहना हमें। कार्यक्रम अध्यक्ष मोहनलाल जांगीड़ ने कहा कि बीकानेर की इन कवयित्रियों ने काव्य की जिम्मेदारी को भली भांती समझा है।

आयोजक संस्था के डॉ. जिया उल हसन कादरी ने महिला रचनाकारों को सामाजिक परिवेश की प्रवक्ता बताया। उन्होंने कहा कि ये महिला रचनाकार जो देखती और महसूस करती हैं वही लिखती हैं। इसीलिए इनके काव्य में बनावटीपन नहीं है। इस अवसर पर पूनमचन्द गोदारा, सोनू लोहमरोड़, अब्दुल जब्बार बीकानवी, डॉ के एल बिश्नोई, कमल किशोर पारीक सहित आदि गणमान्यजन उपस्थित थे। शुरू में असद अली असद ने आगन्तुकों का स्वागत किया। जकिर अदीब ने धन्यवाद दिया।

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