एसएचजी के हस्त शिल्प कार्यो का भी जियोग्राफिकल इंडिकेटर नंबर पंजीकृत करवाये नाबार्ड – महापौर सुशीला कंवर
बीकानेर, (समाचार सेवा)। बीकानेर नगर निगम की महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने राष्ट्रीय कषि और ग्रामीण विकास बैंक (नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एण्ड रुरल डवलपमेंट) नाबार्ड से आग्रह किया कि नाबार्ड स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के हस्तशिल्प कार्यो को भी जीआई में शामिल करवाकर इन समूहों को लाभ दिलवाने का प्रयास करे। महापौर सोमवार को नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक कार्यालय में आयोजित बैठक को संबोधित कर रही थीं।

उन्होंने कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाने में नाबार्ड द्वारा 1992 से चलाये जा रहे स्वयं सहायता समूह कार्यक्रम का विशिष्ट योगदान रहा है। महापौर ने कहा कि स्वयं सहायता समूह महिलाओं के द्वारा लघु व कुटीर उधोगो, हस्तशिल्प कार्य कर अपने परिवार को आगे बढाया है। बैठक में जिला विकास प्रबंधक रमेश ताम्बिया ने बताया कि नाबार्ड भौगोलिक संकेतक (जियोग्रापिफकल इंडीकेटर) जी आई नम्बर को पंजीकृत करवाने के लिए 100 प्रतिशत अनुदान सहायता उपलब्ध करवाती है।

उन्होंने बताया की बीकानेर जिले में स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किये जा रहे कई हस्त-निर्मित उत्पाद भौगोलिक संकेतक पंजीकृत होने के लिए भी पात्र है। जिनको पंजीकृत करवाने के लिए नाबार्ड शिल्पकारों व्यापारियों के साथ बैठक आयोजित करने जा रहा है। जिला विकास प्रबंधक ने बताया कि बीकानेर के इन चिन्हित उत्पादों को भौगोलिक संकेतक पंजीकृत होने पर हस्तशिल्पकार को अपने उत्पादक को बाजार में सही कीमत पर बेचना आसान होगा। एक बार जीआईण् पंजीकृत होने पर वह 10 वर्षो तक उसका स्वामित्व का हकदार होगा उसके बाद उसे दोबारा रिन्वू करवाकर आगे भी इसका लाभ ले सकेगा।
