लाख छुपाओ छुप ना सकेगा राज हो कितना गहरा..
पंचनामा : उषा जोशी
* लाख छुपाओ छुप ना सकेगा राज हो कितना गहरा..
थानेदारजी चाहे किसी भी थाने के हों अपने क्षेत्र की चोरी की घटनाओ को दबाने में थानेदारजी को जो आनंद आता है उसका कोई मुकाबला नहीं।
जांगळ देश के हाईवे पर बने एक थाने में रविवार तड़के ही एक ढाटा बांधा छोरा एक प्राइवेट बैंक के एटीएम को तोड़ने का प्रयास करता रहा।
तड़के तीन बजे से साढ़े तीन बजे तक भााई ने काफी प्रयास किया कि एटीएम तोड़कर रुपये निकाल ले मगर भाई ऐसा कर नहीं पाया।
हां भाई को एटीएम तोड़ते समय इलाके के खाकीधारियों का जरा भी भय नहीं था। भाई जब तोड़ने के प्रयास से थक गया तो खुद ही वहां से चला गया।
अब इलाके के थानेदारजी की बात भी सुन लीजिये। मैने थानेदारजी से पूछा क्षेत्र में कुछ खास। बोले, कुछ नहीं। सब शांति।
मैने कहा, सुना है तड़के एटीएम तोड़ने का प्रयास हुआ। थानेदारजी बोले, कोई लड़का था तोड़ नहीं पाया। अब अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
अब देखिये कमाल इलाके में रविवार तड़के ही एटीएम तोड़ने का प्रयास हुआ। अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया गया मगर मीडिया को देर शाम साढ़े छह बजे जो इवनिंग रिपोर्ट भेजी गई है
उसमें भी इस घटना तथा अज्ञात के खिलफ की गई एफआईआर का कोई जिक्र नहीं किया गया। जय हो।
* खाकी की परीक्षा में पास हुए टाइगर
जांगळ देश में दो दिन चली पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा की व्यवस्था में जांगळ देश के टाइगर भी पास हो गए।
दो दिनों में टाइगर ने खुद जिले के लगभग सभी परीक्षा केन्द्रों में जाकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। परीक्षा से पहले, परीक्षा के दौरान तथा परीक्षा के बाद भी टाइगर ने अपनी टीम को पूरी तरह अलर्ट पर रखा।
परीक्षा केन्द्रो पर भी टाइगर के खाकीवीरों ने परीक्षार्थियों की परीक्षा केन्द्र के बाहर ही परीक्षा लेने में कोई कसर नहीं रखी। किसी की चप्पल खुलवाई, किसी के गहने उतरवाये, किसी के कपड़े कटवाये जो कुछ परीक्षा के हिसाब से अनुचित लगा उसे परीक्षा हॉल में जाने से पहले ही रोक दिया गया।
हालांकि आम जन में विश्वास व अपराधियों में भय पैदा करने वाले खाकीधारियों को नकल माफिया का इतना भय क्यों सता रहा था कि उसे रोकने के लिये उन्हें नेटबंदी तक करवानी पड़ गई। ये सवाल भ्ज्ञी लोगों ने उठाये।
बहरहाल अंत भला तो सब भला वाली कहावत के अनुसार बात को यही विराम दे देना चाहिये।
* मैने नहीं पी है, पिला दी गई है…
काले कोट वालों के क्षेत्र के थाने के थानेदारजी इन दिनों अपनी धौंस के नशे में चूर हैं। वे कहते भी है कि वे मदिरा के हाथ नहीं लगाते मगर थानेदारी की मदिरा उन्हें किसी ने इस कदर पिला दी कि नशा जा ही नहीं रहा है।
सुना है पिछले टाइगर के कार्यकाल में बर्फ में बैठे थाना पाने का इंतजार करते रहे इन साहब को वर्तमान टाइगर के कार्यकाल में जब से थाना मिला है तब से वे आज में ऊपर आसमां नीचे वाला गाना ही गा रहे हैं।
पहले पहले तो उन्होंने अपना रौब जमाने के लिये अपने इलाके के सभी मदिरा विक्रेताओं को कानून और ज्ञान का पाठ पढ़ा दिया था मगर जैसे जैसे मदिरा विक्रेताओं के रिश्ते उनसे मधुर होते जा रहे हैं क्षेत्र में मदिरा की दुकानें तय समय के बाद भी खुली रहती हैं।
अब थानेदार जी कोई ऋषि तो है नहीं कि दीन दुनिया से कोई जुड़ाव नहीं रखे और ना ही वे किसी राज घराने के सदस्य हैं जिन्हें रुपये-पैसों का हिसाब ही नहीं रखना पड़े।
ऐसे में थोड़ी छूट से सबका भला हो तो क्या फर्क पड़ता है। वैसे भी शरण में आये लोगों की रक्षा तो करनी ही चाहिये।
* खाकीधारी साहब की चांदी
एक सीओ साहब के पास अपने काम के अलावा दूसरे इलाके का भी काम आ गया। इससे सीओ साहब से पहले से दुखी रहने वालों को और दुख होने लगा।
दुखी लोगों ने बताया कि सीओ साहब के पास दो दो इलाके का चार्ज होने से उनकी तो डबल चांदी होने लगी है। दुखी लोगों ने बताया कि साहब दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से क्षेत्र के खाकीधारियों व बड़े व्यवसायियों से संपर्क करने में लगे हुए हैं।
ऐसे ऐसे मामलों को तेजी से निबटाया जा रहा है जिनसे लक्ष्मी की कृपा भी हो जाए और महकमे से शाबाशी भी मिल जाए।
साहब की इस कवायद को भली भांति पूरा करने के लिये दोनों इलाके के सभी थानेदार भी एक पैर पर खड़े होकर पूरा कर रहे हैं।
दुखी लोगों से यह बरदाश्त नहीं हो रहा है। अब हम भी क्या कर सकते हैं।
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