इस एक शर्त पर उसने रिहा किया मुझको, रखेगा रहन वो मेरी उड़ान पिंजरे में : अखिलेश तिवारी
जयपुर निवासी शाइर अखिलेश तिवारी का बीकानेर में हुआ सम्मान
बीकानेर, 10 अगस्त। इस एक शर्त पर उसने रिहा किया मुझको, रखेगा रहन वो मेरी उड़ान पिंजरे में : अखिलेश तिवारी।
जयपुर निवासी प्रसिद्ध शाइर अखिलेश तिवारी के सम्मान में शुक्रवार को स्थानीय होटल सागर में शब्दश्री साहित्य संस्थान की ओर से काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
काव्य गोष्ठी में शाइर तिवारी ने भी अपनी रचनाये पेश की। उनकी औरत को केन्द्र में रखकर रची गयी गजल-मुलाहिजा हो मेरी भी उड़ान पिंजर में, अता हुए है मुझे दो जहान पिंजर में, है सैरगाह भी और इसमें आबोदाना भी,
रखा गया है मेरा कितना ध्यान पिंजरे में, यही हलाक हुआ है परिन्दा ख्वाहिश का, तभी तो है ये लहू के निशान पिंजरे में, इस एक शर्त पर उसने रिहा किया मुझको, रखेगा रहन वो मेरी उड़ान पिंजरे में’ बहुत सराही गई।
गोष्ठी में शब्दश्री की अध्यक्षा मोनिका गौड़ ने शाइर अखिलेश तिवारी का परिचय प्रस्तुत किया। सोशल प्रोग्रेसिव सोसाइटी के नदीम अहमद नदीम ने अखिलेश तिवारी को सोसायटी की ओर से प्रकाशित साहित्य भेंट किया।
काव्य गोष्ठी का शुभारंभ बीकानेर के शाइर वली मोहम्मद गौरी ने अपने शेअर ‘जिसे हबीब समझता हूँ मेरी आंखों में वो उदासियों के मंजर उतार देता है, अजीब बात है जिसको गले लगाता हूँ वो मेरी पीठ में खंजर उतार देता है’ को
खूब दाद हासिल हुई। कवि कथाकार प्रमोद कुमार शर्मा ने ‘गीत लिखूंगा बिटिया रानी, सारी-सारी रैन, तू क्या जाने पागल चिड़िया तेरे हिप्टोनाइज नैन’ पेश की। युवा शाइर बुनियाद हुसैन जÞहीन की गजल ‘उसने मेरे वजूद को जरोजबर किया,
जब भी किया है वार तो अहसास पर किया, आये थे बिन लिबास जमाने में हम जहीन, बस इक कफन के वास्ते इतना सफर किया’ को बहुत पसंद किया गया।
कथाकार नदीम अहमद नदीम ने लघुकथा ‘ये कौन थे’ का वाचन किया। एडवोकेट इसरार हसन कादरी ने कविता ‘तनी-तनी रस्सियों के बीच जीने से क्या होगा’ पेश की।
वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती डॉ. उषा किरण सोनी ने ईश्वर को सम्बोधित कविताओं का वाचन किया। शाइर रवि शुक्ला ने ‘मेरे लफ्जों में मिलती है मेरे दिलदार की खुशबू, सुखनवर हूं छुपा सकता नहीं प्यार की खुशबू’ पेश की।
शाइर अमित गोस्वामी ने नज़्म ‘कभी तुम भूलना चाहो तो इतना याद रख लेना, बयाजो में छुपा रखे थे जिसके ख़त वो मैं ही हूं’ सुनाई।
शाइरा डॉ. मंजू कच्छावा ने अपनी गजलें तरन्नुम में पेश की ‘छीन कर कोई सुकु और दे गया है इजितराब, जाने कैसे रब्त की ये इब्दता है इजितराब’ पेश की।
कवि विजय धमीजा ने अपनी हास्य रचनाओं प्रस्तुत की। वरिष्ठ शाइर डॉ. मोहम्मद हुसैन ने ‘जिद पे मासूम की रो पड़ी मुफलिसी, उड़ गई तितलियां बरगे अहसास की’ सुनाई।
कवयित्री मोनिका गौड़ ने अपनी रचना ‘सुनारों के मोहल्ले में सुबह नालियों से मैला निथारती महिलाएं, छानकर साफ करती, फिर पानी से धोकर, निकाल लेती है कुछ स्वर्ण टुकड़े कुछ उपयोगी,
ये औरत का हुनर है जो बीन लाता है जीवन के कचरे से आस के स्वर्ण तंतु’ सुनाई। तिवारी के सम्मान समारोह में राजीव गौतम तथा जयचन्द लाल सोनी ने भी विचार व्यक्त किसे।
संचालन मोनिका गौड़ ने किया। राजीव गौतम ने आभार जताया।
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