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Neeraj Joshi
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खेत में उपज बढानी है तो ये तो करना ही पडेगा
बीकानेर, (समाचार सेवा)। खेत में उपज बढानी है तो ये तो करना ही पडेगा, क्या आप जानते है कि रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से उपज में वृद्धि तो होती है लेकिन ये उपज में वृद्धि लंबें समय तक बरकरार नहीं रहती, धीरे-धीरे ये उपज घटने लगती है और रासायनिक उर्वरकों की मांग को भी लगातार बढ़ाती जाती है और अधिक प्रयोग से मृदा की उर्वरता तथा संरचना पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है इसलिए रासायनिक उर्वरकों (Chemical fertilizers) का अधिक उपयोग हमारी मिट्टी को खराब, बहुत खराब करता चला जाएगा।
एक्सपेर्ट की सलाह माने तो, रासायनिक उर्वरकों (Chemical fertilizers) के साथ साथ जैव उर्वरकों (Bio-fertilizers) का भी प्रयोग करना अच्छा रहता हैं। जैव उर्वरकों के प्रयोग से फसल को पोषक तत्वों की आपूर्ति होने के साथ मृदा उर्वरता भी स्थिर बनी रहती है। जैव उर्वरकों का प्रयोग रासायनिक उर्वरकों के साथ करने से रासायनिक उर्वरकों की क्षमता बढ़ती है जिससे उपज में वृद्धि होती है।
जैव उर्वरक असल में जीवणू खाद है इसमे मौजूद लाभकारी शुक्ष्म जीवाणू (bactria) वायूमण्डल मे उपस्थित नाईट्रोजन को पकडकर फसल को उपलब्ध कराते हैं और मिट्टी में मौजूद अघुलनशील फास्फोरस (insoluble phosphorus) को पानी में घुलनशील बनाकर पौधों को देते हैं।
इस प्रकार रासायनिक खाद की आवश्यकता भी कम हो जाती है। वैज्ञानिक के प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध किया जा चुका है कि जैविक खाद के प्रयोग से 30 से 40 किलो ग्राम नाइट्रोजन प्रति हैक्टेयर भूमि को प्राप्त हो जाता है तथा उपज 10% से 20% तक बढ़ जाती है। जैव उर्वरक, रासायनिक उर्वरक के पूरक तो हैं ही साथ ही ये उनकी क्षमता भी बढाते हैं। फास्फोबैक्टीरिया और माइकोराइजा नामक जैव उर्वरक के प्रयोग से खेत में फास्फोरस की उपलब्धता में 20% से 30% तक की बढोतरी हो जाती है।
जैवक उर्वरकों से लाभ:
- मुख्य रूप से जैवक उर्वरक सस्ते होते हैं जिससे फसल उत्पादन की लागत घटती है।
- जैवक उर्वरकों के प्रयोग से नाईट्रोजन व घुलनशील फास्फोरस की फसल के लिए उपलब्धता बढती हैं लेकिन रासायनिक खाद नहीं।
- इससे रासायनिक खाद का प्रयोग कम हो जाता है जिससे भूमि की मृदा खराब होने से बच जाती है और भूमि की मृदा संरचना अच्छी होने लगती है।
- जैविक खाद से फसल में मृदाजन्य रोगों यानि मिट्टी से होने वाले रोग नहीं होते।
- जैविक खाद से खेतों मे लाभकारी शुक्ष्म जीवों (micro organism) की संख्या में बढोतरी होती है जो मिट्टी को और अधिक उपजाऊ बनाने मैं मदद करते हैं।
- जैविक खाद से पर्यावरण सुरक्षित रहता है और उदपादन की लागत कम होने से लाभ अधिक होता है।
जैविक खाद का प्रयोग कैसे करें
जैवक उर्वरकों का प्रयोग बीजोपचार या जड उपचार अथवा मृदा उपचार दवारा किया जाता है।
बीजोपचार:
- 200 ग्राम जैव उर्वरक का आधा लिटर पानी में घोल बनाएं।
- इस घोल को 10-15 किलो बीज के ढेर पर धीरे-धीरे डालकर हाथों से मिलाएं जिससे कि जैव उर्वरक अच्छी तरह और समान रूप से बीजों पर चिपक जाए।
- इस प्रकार तैयार उपचारित बीज को छाया में सुखाकर तुरन्त बुआई कर दें।
जड उपचारः
- जैविक खाद का जडोपचार द्वारा प्रयोग रोपाई वाली फसलों में करते हैं।
- 4 किलोग्राम जैविक उर्वरक का 20-25 लीटर पानी में घोल बनाएं।
- एक हैक्टेयर के लिए पर्याप्त पौधों की जडों को 25-30 मिनट तक उपरोक्त घोल में डुबोकर रखें।
- उपचारित पौधों को छाया में रखे तथा यथाशीघ्र रोपाई कर दें।
मृदा उपचार:
- एक हैक्टेयर भूमि के लिए, 200 ग्राम वाले 25 पैकेट जैविक खाद की आवश्यकता पडती हैं।
- 50 किलोग्राम मिट्टी 50 किलोग्राम कम्पोस्ट खाद मे 5 किलोग्राम जैव उर्वरक को अच्छी तरह मिलाएं।
- इस मिश्रण को एक हैक्टेयर क्षेत्रफल मे बुआई के समय या बुआई से 24 घंटे पहले समान रूप से छिडकें। इसे बुआई के समय कूडो या खूडो में भी डाल सकते हैं।