Home SAHITYA GATIVIDHI कवयित्री अभिलाषा पारीक ‘अभि’ की काव्य कृति ‘सरद पुन्यूं को चांद’ लोकार्पित

कवयित्री अभिलाषा पारीक ‘अभि’ की काव्य कृति ‘सरद पुन्यूं को चांद’ लोकार्पित

Book 'Sarda Punyun Ko Chand' of Kavitri Abhilasha Pareek Abhi released

जयपुर, (समाचार सेवा)।कवयित्री अभिलाषा पारीक ‘अभि’ की  सद्य प्रकाशित राजस्थानी काव्य कृति ‘सरद पुन्यूं को चांद’ का लोकार्पण शनिवार को जयपुर की कलानेरी आर्ट गैलरी में हुआ। समारोह में कवयित्री अभिलाषा ने अपनी लेखन की प्रेरणा से रचना प्रक्रिया तक की यात्रा साझा की।

लोकार्पित कृति पर आलोचनात्मक पत्र सरोज बीठू ने प्रस्तुत किया। समारोह में साहित्यकार रवि पुरोहित ने कहा कि कवयित्री अभिलाषा पारीक ‘अभि’ की कविताएं और गीत राजस्थानी सांस्कृतिक मूल्यों का अनुरक्षण और सामाजिक संचेतना का उपक्रम है। पुरोहित ने कहा कि आज जब राजस्थानी की एक बड़ी शब्दावली आधुनिक मूल्यों, सुख-सुविधाओं और परिवेश के कारण विलोपित हो रही है, ऐसे में घर-परिवार, तीज-त्यौंहार, मेले-मगरिये, सम्बन्ध-संवेदना, खेल और ऋतुओं को अभि ने पूरी शिद्दत से जीया और रचा है, जो उनकी सामाजिक प्रतिबद्धताओं के प्रति आश्वस्त करता है।

साहित्यकार नंद भारद्वाज ने कहा कि घर-परिवार और समाज के जीवन मूल्यों को जीते तो सभी हैं, पर कवि उसे एक पृथक दृष्टि से देखता है। यह अलग अलहदा नजर ही कवि की रचना का फलक तैयार करती है और इस नवरस के माध्यम से लोक जुड़ाव का मार्ग पशस्त करती है। चिंतक प्रमोद शर्मा ने कहा कि तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद यदि राजस्थानी में सृजन हो रहा है तो यह उसकी आंतरिक शक्ति है। क्षेत्रीय भाषाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बाजार चाहे कितना ही पसराव कर ले,  इन्हें कोई खतरा नहीं है।

पत्रकार प्रवीण नाहटा ने पत्रकारिता और साहित्य के अन्तर्सम्बन्धों को व्याख्यायित किया। अनुराग सोनी के संयोजन में हुए इस समारोह में अनेक शिक्षाविद, संपादक, चिकित्साविद्, साहित्यकार और पत्रकार सहभागी रहे।