बाउसा लाइक्स मी, बाउसा लाइक्स मी नॉट
पंचनामा : उषा जोशी
* बाउसा लाइक्स मी, बाउसा लाइक्स मी नॉट
शहर में कुछ खाकीधारी अच्छा थाना पाने के लिये इन दिनों कीकर के पेड़ की टहनी से जुड़े पत्तों को एक-एक कर तोड़कर अपने भाग्य से यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनको अच्छा थाना मिलेगा कि नहीं।
सुना है कुछ खाकीधारी पत्ते तोड़ते समय बोलते सुनाई दिये हैं, बाउसा लाइक्स मी-बाउसा लाइक्स मी नॉट, जबकि कुछ और खाकी धारी इस प्रकिया को पूरा करते हुए, बाईसा लाइक्स मी, बाईसा लाइक्स मी नॉट दोहराते हुए दिखाई और सुनाई दिये गए हैं।
वैसे कुछ सयाने खाकीधारियों को पूरा भरोसा है कि वे बाउसा व बाईसा की गुड बुक में है ऐसे में उनको ही बढ़िया थाने की थानेदारी मिलेगी।
अरे वैसे तो आप सब जानते हैं कि बाउसा और बाईसा कौन है मगर मेरी ड्यूटी बनती है कि आपको पूरी बात क्लियर करूं। शहर के दो विधायकों को आदर से बाउसा व बाईसा पुकारा जाता है। खाकीधारी अपनी पसंद के थाना पाने के लिये इन्ही बाउसा व बाईसा की डिजायर व आशीर्वाद चाहते हैं।
अब किसको कौनसा थाना मिलता है ये तो पाने वाले और देने वाले जाने मगर यह तय है कि अच्छी थानेदारी पाने के लिये खाकीधारियों को थोड़ी मसक्कत अधिक करनी पड़ेगी। कॉम्पीटिशन तगड़ा है। आरक्षण की सुविधा भी नहीं है।
* देख लो आवाज देकर पास अपने पाओगे..
इन दिनों जो भी परिवादी लॉयन के पास पहुंचा है, उसने यही कहा है, देख लो आवाज देकर, पास अपने पाओगे। परिवादियों के दुख कुछ भी हल्के हुए हैं।
उनको आशा भी है कि जल्द दुख दूर भी होंगे। आपको तो पता ही है जांगळ देश में पिछले हफ्ते ताबड़तोड़ कार्रवाई कर खाकीधारियों ने कई मामलों का खुलासा कर दिया।
लूट की वारदातें खोली, विधायक पुत्र की मौत का राज खोला, हथियार तस्कारों को पकड़ा, छुट भैये अपराधियों से लेकर हिस्ट्रीशीटरों के होश ठिकाने किए।
मैने तो पिछले सप्ताह ही कह दिया था कि भाई लोगों जिसके भी पास अवैध हथियार या और जो भी कुछ अवैध हो कानूनी रूप से जमा करवा दो, कानून और व्यवस्था बनाये रखो।
नये लॉयन साहब का कोई भरोसा नहीं, कब धरपकड़ करवा दे।
सुना है उल्टे काम करने वाले सारे लोगों की कुण्डलिया लॉयन की टेबल पर पहुंच चुकी है। सब पर बारी बारी से गंभीर अध्ययन हो रहा है।
नये लॉयन की कही हुई माने तो उनके लिये तो किसी को थप्पड़ मारकर 100 रुपये छीन कर ले जाने वाला भी बड़ा अपराधी ही है।
* आखिर दे दिया सिर कढ़ाई में
सुना है, तबादले की नई सूची आने के बाद जांगळ देश से रुखसत हो रहे थानेदारों से उनके खाकीधारी दोस्तों ने पार्टी देने की फरमाइश कर दी।
पता यह लगाया गया कि यहां थानेदारी करते किसकी अधिक कमाई हुई वहीं पार्टी देगा। एक ने कहा मैरे तो अच्छे दिन शुरू ही नहीं हुए कि फिर से थाना छोड़ना पड़ गया।
किसी ने कहा कमाई तो पहले ही बांटनी पड़ गई थी ऐसे में मेरा नंबर अव्वल कैसे हो सकता है। आखिरकार जिस थानेदार की थानेदारी के दौरान पांचों उंगलिया घी में रही उस पर पार्टी का बोझ डाला गया।
पता चला कि हाईवे पर थानेदारी करने वाले इलाके में कमाने को खास तो नहीं था मगर थानेदारजी ने घी वालों का कचूमर निकालकर अपनी पांचों उंगलियों को घी में डूबो लिया था।
ऐसे में थानेदारजी भी अपनों में अव्वल रहने का खिताब पाकर फूले नहीं समाये और उन्होंने घी से भरी पांचों उंगलियों व सिर को घी से भरी कढाई से निकाल कर पार्टी देने की हामी भर दी है।
* आशिकों की हुई धुनाई
शहर में पिछले दिनों आशिकों की अच्छी खासी धुनाई मेरी बहनों ने कर दी। खजांची मार्केट व तोलियासर भैरूं जी मार्केट में सरे आम हुई आशिकों की इस धुनाई ने सोशल मीडिया पर काफी धूम मचाई।
वायरल वीडियों को भी लोगों ने बड़े चाव से देखा। यहां यह भी बता दूं कि इस पूरे तमाशे में खाकी ने कोई खास रोल तो नहीं निभाया पर एक स्थान पर खाकीधारी पहुंचे मगर दोनों तरफ से कोई मामला दर्ज नहीं किया गया।
दूसरे मामले भी आशिक मार खाने के बाद मौके से भाग गया। खजांची मार्केट वाले प्रकरण में तो जो महिलायें आई वो किसी ऐसे व्यक्ति का नाम ले रहीं थी जिसे अब तक ढूंढा नहीं जा सका है।
सब उस डी नाम वाले व्यक्ति को अपने अपने हिसाब से डिस्क्राइब करते रहे मगर खुलासा नहीं हो सका।
* इंटेलीजेन्सी पत्रकार की
एक बड़े खाकीधारी साहब जिले के टाइगर रह चुके थे। अब इंटेलीजेन्सी में हैं। जांगळ देश आये तो पहले से ही हुकुम दे दिया कि किसी को पता नहीं चलना चाहिये कि मैं आ रहा हूं।
खासतौर पर मीडिया को नहीं। मगर मीडिया की इंटेलीजेन्सी ने उनको ढूंढ लिया और खबर भी छाप दी।
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