बीकानेर, (samacharseva.in)। क्या बीकानेर में एक बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है भू-उपयोग परिवर्तन का प्रयास?, क्या बीकानेर के वरिष्ठ नगर नियोजक कार्यालय दवारा एक बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए बीकानेर में भू-उपयोग परिवर्तन का प्रयास किया जा रहा है। क्या नगरीय विकास विभाग द्वारा बीकानेर की जनता के साथ भू-उपयोग परिवर्तन के बहाने अन्याय किया जा रहा है? बीकानेर नगरीय विकास समिति नामक संस्था से जुडे लोगों का तो कम से कम यही मानना है।
इन लोगों अनुसार बीकानेर के वरिष्ठ नगर नियोजक कार्यालय ने गत माह 22 सितंबर को जो अधिसूचना जारी कर लोगों से भू-उपयोग परिवर्तन पर आपत्तियां आमंत्रित की हैं उसका मकसद केवल और केवल व्यक्ति विशेष यानी एक बिल्डर को फायदा पहुंचाना है। यही कारण है कि बीकानेर नगरीय विकास समिति ने बीकानेर के मास्टर प्लान 2023 को लेकर मंथन किया है और अपनी ओर से आपत्तियां भी दर्ज कराई हैं।
साथ ही समिति ने बीकानेर के लोगों से भी आव्हान किया है कि वे भी मास्टर प्लान 2023 को देख पढकर अपनी आपत्तियां दर्ज कराये। समिति ने इस संदर्भ में विभिन्न वर्गों के लोगों से ऑन लाईन वार्ता करके भी मास्टर प्लान 2023 में आपत्तियां दर्ज कराने का आग्रह किया है। बीकानेर के वरिष्ठ अधिवक्ता आर.के.दासगुप्ता, वरिष्ठ उद्योगपति कन्हैयालाल बौथरा और वरिष्ठ पत्रकार अशोक माथुर द्वारा मुख्य नगर नियोजक जयपुर व वरिष्ठ नगर नियोजक बीकानेर को आपत्तियां भेजी जा चुकी हैं।
बीकानेर नगरीय विकास समिति के अनुसार वर्ष 2002 से लागू बीकानेर के मास्टर प्लान-2023 में वर्ष 2008 में 10 गांव और शामिल किये थे। इसके बावजूद राज्य सरकार ने बीकानेर के नगरीयकरण योग्य क्षेत्र को नहीं बढाया गया। बीकानेर शहर के विकास के लिए वर्तमान में मास्टर प्लान-2023 प्रभावी है। समिति के अनुसार पूर्व में प्रभावी बीकानेर मास्टर प्लान-2006 के स्थान पर बीकानेर प्रारुप मास्टर प्लान-2023 पर जनता की आपत्ति, सुझाव आमंत्रित करने के लिये 22 दिसंबर 2001 को अधिसूचना जारी की गई थी।
इसका अनुमोदन कर इसे 22 अक्टूबर 2002 को लागू किया गया। इसमें 26 राजस्व ग्राम शामिल थे। वर्ष 2008 में 10 राजस्व ग्रामों का क्षेत्र मास्टर प्लान-2023 में और शामिल किया गया। तत्समय राज्य सरकार को बीकानेर के मास्टर प्लान में शामिल किये गये क्षेत्र के हिसाब से नगरीयकरण योग्य क्षेत्र बढाना चाहिए था, जो नहीं बढाया गया।
बीकानेर के विकास के लिए वर्तमान व प्रस्तावित रोड बाई पास से व अन्दर की सभी लिंक रोड़ के दौनों तरफ एक-एक किलोमीटर मिश्रित तथा अन्दर का क्षेत्र नगरीयकरण भू-उपयोग परिवर्तन के प्रस्ताव भिजवाये गये थे। सरकार ने उन्हें रद्दी की टोकरी में डाल दिया। राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्णय की पालना में नगरीय विकास विभाग द्वारा सभी शहरों के जोनल व सेक्टर प्लान बनाने के आदेश बीकानेर नगर विकास न्यास व वरिष्ठ नगर नियोजक बीकानेर ने रद्दी की टोकरी के हवाले कर दिये।
नतीजतन बीकानेर का सुनियोजित विकास होने के स्थान पर चारों ओर खातेदारी/गैरखातेदारी व राजकीय जमीनों पर अनियोजित अवैध आवासीय कॉलोनियों के बनने से बीकानेर का स्वरुप बिगड़ता जा रहा हैं। समिति सदस्यों के अनुसार हाल में कार्यालय वरिष्ठ नगर नियोजक बीकानेर द्वारा एक व्यक्ति विशेष/बिल्डर की भूमि को रेल बाई पास के अलाईनमेंट को आड़ बनाकर झूठे तथ्यों के आधार पर ग्रीन बेल्ट से बाहर करने की कवायद की गई है। जबकि बीकानेर शहर के चारों ओर जन सामान्य आवास की समस्या से जूझ रहे हैं।
इस बारे में राजस्थान उच्च न्यायालय में 2004 में दायर याचिका गुलाब कोठारी व अन्य बनाम सरकार में न्यायालय के निर्देश हैं कि मास्टर प्लान लागू होने के बाद स्थानीय निकाय सिर्फ व्यापक जनहित में भू-उपयोग परिवर्तन प्रस्तावित कर सकते हैं या सरकार भी सिर्फ व्यापक जनहित में भू-उपयोग परिवर्तन कर सकती है। किसी भी सूरत में व्यक्ति विशेष के नीजि हित में भू-उपयोग नहीं करेंगे।
लेकिन इस अधिसूचना के जरिये व्यापक जनहित में भू-उपयोग परिवर्तन नहीं किया जाकर, व्यक्ति विशेष/एक बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए भू-उपयोग परिवर्तन किया जा रहा है। रेल फाटकों के सम्बन्ध में 2014 में दायर रिट याचिका में राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा 06.सितंबर 2018 को स्थगन आदेश जारी किया हुआ है और रेल बाई पास या ऐलीवेटेड रोड किसी के लिए कोई भूमि अवाप्ति नहीं की जा रही है।
जबकि नगर नियोजन विभाग की अधिसूचना में रेल बाई पास के लिए रेलवे द्वारा भूमि अवाप्ति को आधार बनाकर भू-उपयोग परिवर्तन की कवायद की जा रही है।