वादे पे तेरे मारा गया बंदा में सीधा-साधा…
पंचनामा – उषा जोशी
* वादे पे तेरे मारा गया बंदा में सीधा-साधा…
चुनावी सीजन में नेताओं का बड़े-बड़े वादे करना बनता है। यदि वादा कुछ अधिक ही बड़ा हो तो चर्चा तो होगी ही।
हालांकि बड़े-बुढ़ों का कहना है कि चुनावी दौर में किए गए नेताओं के वादों पर अधिक एतबार नहीं करना चाहिये।
पता चला है कि जांगळ देश की विधायकी की सात सीटों में से एक सीट के दावेदार ने अपने क्षेत्र के लोगों को यह वादा कर दिया है कि वे उसे यहां से जीता दें, आगे एक नंबर की सीट पर कैसे पहुंचना है उसके रास्ते उनको पता हैं।
कहने वाले कह रहे हैं कि नेताजी को वर्तमान सीट डावांडोल होती नजर आ रही है ऐसे में क्षेत्र में बड़े से बड़ा वादा करना कुछ कमाल कर सकता है।
वैसे जांगळ देश से जिसने भी सीएम बनने का ख्वाब देखा है या उनको ख्वाब दिखाया गया है उनको उनकी ही पार्टी के लोगों ने धराशयी करने में पल भर की भी देर नहीं की थी।
नेताजी की वर्तमान स्थिति तो यह है कि उनकी विधायकी को ही परिवार से चुनौती मिल रही है। वूमन एम्पावरमेंट की बात करने वाले कुछ लोग नेताजी को परिवार में ही घेरने की पूरी तैयारी कर चुके हैं। सावधान।
* जारी है खाकी की तू तू-मैं मैं
शहर के सीओ व हाईवे स्थित एक थाने के थानेदारजी के बीच दूरी बनाने वाले एक रीडर की खाकी महकमे में बड़ी चर्चा है।
थानेदारजी खाकीधारी ‘राजा हरिशचन्द्र’ के वशंज के रूप में फेमस होने की आशा पाले हुए हैं जबकि हकीकत में तो वैसे ऐसे बिलकुल ही नहीं है, तो दूसरे खाकीधारीजी ‘खेबी खां’ यानी फाइलों में बिला वजह मीन मेख निकालने वाले के रूप में ख्याति प्राप्त है।
सीओ साहब और थानेदारजी के बीच थाने की फाइलों में मीन मेख निकालने से उपजा यह विवाद वैसे दोनों किरदारों के लिये नया नहीं है मगर इस विवाद की पराकाष्ठा होने पर महमके के लोगों को बीच-बचाव करना पड़ता है।
इस बार तो थानेदारजी ने देख खेबी खां को लेने की चेतावनी के साथ यह भी बता दिया कि उनको तो यानी थानेदारजी को खुद को तो इस थाने में रहना ही नहीं है
मगर यहां से जाते जाते वे खेबी खां का जरूर गेम बजाकर जाएंगे।
अपनी बात में और दम लाने के लिये थानेदारजी ने यह कहने में भी लिहाज नहीं रखा कि खेबी खां सीओ साहब का खास बताते हुए जानबूझकर पोस्टिंग भी उनके ही अधीन करवा ली है।
बहरहाल इस बार तो सहकर्मियों ने दोनों को सम्हाल लिया मगर देखते हैं कहीं दिवाली पर कोई बम नहीं फूट जाए। खुदा खैर करे।
* थोड़ी सी जो पी ली है, चोरी तो नहीं की है…
अगर अवैध रूप से परिवहन कर इलाके से ले जाई जा रही शराब की पेटियों में से कुछ पेटियां खाकीधारी अपने लिये रख ले तो इससे किसी को क्या तकलीफ है।
पर नहीं जिनको खाकी महकमा फूटी आंख नहीं सुहाता वो छोटी छोटी चुगलियां करने से भी बाज नहीं आते।
वैसे चुनाव के सीजन में खाकी महकमा अन्य कामों के साथ अवैध शराब पकड़ने में कुछ ज्यादा ही व्यस्त है। कहते है इससे सभी को फायदा होता है। सुना है गत दिवस ही जांगळ देश के एक थानेदारजी ने अपने इलाके में से अवैध परिवहन कर ले जाई जा रही 255 पेटी शराब जप्त की।
इलाके के शराब ठेकेदार से समझौता कर 200 पेटी वापस लौटा दी। 5 पेटी थाने की पार्टी के लिये रख ली।
50 पेटी का मुकदमा बना दिया। महकमा व आला खाकीधारी खुश अवैध शराब पकड़ी, शराब ठेकेदार खुश सस्ते में छूट गया।
थाना स्टाफ खुश बैठे बिठाये पार्टी का मौका मिल गया।
* हर गली में विधायक
विधानसभा चुनाव है तो दोवदार तो विधायक बनने के ही अधिक दिखेंगे मगर इन दिनों तो हालात यह है कि हर गली में विधायक घूम रहे हैं।
दावा किया जा रहा है कि जी पांच साल दे दो सत्तर साल में जो नहीं हुआ वो हम पांच साल में कर देंगे।
सोशल मीडिया में भी विधायकों के प्रोफाइल भरे पड़े हैं। बड़े नेताओं के साथ फोटो के अलावा वादों के पोस्टर सोशल मीडिया पर छाये हुए हैं।
विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि कुछ दिन के इन विधायकों में से कुछ विधायक तो इसी महीने 22 नवंबर को ही विधायकी से त्याग पत्र दे देंगे। इस दिन नामांकन वापसी का दिन है।
जबकि शेष धिगानियां विधायकों को जनता 11 दिसंबर को बर्खास्त कर देगी। इस दिन मतगणना होनी है।
* मिले ना फूल तो कांटो से दोस्ती करली..
जांगळ देश में फूल वालों की पार्टी के बड़े नेताजी प्रचार में रहने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं।
सुना है प्रचार के लिये नेताजी दुश्मन तक को गले से लगाने में देर नहीं करते। वैसे नेताजी पार्टी के लिये भी ऐसे जो ना निगलते बनते हैं ना उगलते।
नेताजी की यही फितरत उन्हें हमेशा चर्चा में रखती है। नेताजी ने जिनको पानी पी पी कर कोसा था
गत दिवस उनको ही अपने घर पर बुलाकर पानी ऑफर कर दिया। यह नेताजी का ठरका ही है
जो जांगळ देश आने वाले उनकी पार्टी के नेताओं को उनसे मिलना ही पड़ता है।
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