कपड़ों से बाहर आते खाकीधारी
पंचनामा : उषा जोशी
@ कपड़ों से बाहर आते खाकीधारी
टाइगर के दफ्तर में थानेदारी पा जाने के इरादे से पूरे जोश के साथ घुसे एक सीआई साहब को उल्टे पैर वापस आना पड़ गया।
सुना है सीआई साहब जैसे ही टाइगर के दफ्तर में घुसे टाइगर ने सीआई साहब के कपड़ों से बाहर आते हुए बदन का उलाहना देते हुए फिटनेस का पाठ पढ़ा दिया।
सीआई साहब एक अच्छा थाना हासिल करने के लिये जेब में बड़े खादीधारियों के सिफारिशी पत्र भी अपनी जेबों में ठूंस कर लाये थे मगर डिजायरों या कहें सिफारिशी खत तो जेब से बाहर आने के लिये कुलबुलाते रहे मगर टाइगर की दहाड़ के सामने सीन ही बदल गया।
मुहं लटकाकर बाहर आये सीआई साहब ने खुद भी माना कि इन दिनों उनका शरीर कुछ अधिक ही बढ़ गया है। ऐसे में खादीधारियों के आसपास चक्कर लगाने के साथ साथ कुद भ्रमण पथ के भी चक्कर सुबह शाम लगाने होंगे।
हालांकि सीआई साहब को अब भी आस है कि वे जिस थाने को पाना चाहते हैं वो उसे जरूर मिलेगा।
@ यहां नहीं चल पा रही टाइगर की मनमर्जी
आगामी चुनावों को देखते हुए जांगळ देश में कई थानेदारों सहित अनेक खाकीधारियों को इधर-उधर किया गया। सुना है हाईवे के एक थाने में टाइगर अपनी मनमर्जी के खाकीधारी को बिठाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं।
इलाके के खादीधारी पूरी तरह से थाने की सीट पर अपने आदमी को बिठाने के लिये कुण्डली मारकर बैठे हुए हैं।
अब खाली थाने को देखकर उम्मीदवारों की सूची भी बढ़ती जा रही है। वैसे तो टाइगर के बारे में यह कहा जाता रहा है कि वे महकमे में अधिक फेरबदल पसंद नहीं करते मगर पिछले दिनों टाइगर ने थोक भाव के तबादले किए हैं।
हैड कांस्टबल से लेकर अनेक सीआई को इधर से उधर किया है। मगर हाईवे वाले थाने के मामले में टाइगर का अश्वमेघ का घोड़ा अटक गया है।
सुना है इस थाने के लिये कई खादीधारियों ने भी अपने अपने पसंद के खाकीधारी को थाना सौंपने का चक्कर चला रखा है, आगे देखना दिलचस्प होगा कि ऊंट किस करवट बैठता है।
@ हमसे का भूल हुई…
किसी भी महकमे में तबादला एक प्रक्रिया है। लोग इन तबादलों पर भी अपनी राय देने से नहीं चूकते।
अब नई तबादला सूची में कुछ थानेदारों को दूसरे थानों में सैकंड अफसर व चौकी प्रभारी लगा दिया तो इसमें भी आला खाकीधारियों की मंशा पर सवाल उठा दिया।
अब कहा तो यह जा रहा है कि इन कुछ थानेदारों से जरूर कोई भूल हुई होगी तभी इनको थाने से चौकी व सैकंड अफसर की नौकरी पर लगा दिया गया है।
कहने वाले कुछ भी कहे मगर जिनका तबादला हुआ है वे अपने नये काम से भी खुश है। उन्हें उम्मीद है उनके अच्छे दिन फिर से आयेंगे।
जी हां, मेरे करण-अर्जुन फिर से थानेदार बनकर क भी ना कभी जरूर आयेंगे। आमीन।
@क्या से क्या हो गया…
एक ग्रामीण इलाके के थाने में जमे खाकीधारी जी गए तो क्षेत्र के लोगों ने पटाखे जलाकर अपनी खुशी का इजहार किया।
कुछ दिनो बाद ही वे थानेदारजी शहर में एक अच्छा थाना पाने में कामयाब हो गए तो ग्रामीण क्षेत्र में फिर मायूसी छा गई।
लोगों का कहना था कि गाली गलौज के आदि हो चुके थानेदारजी को कुछ समय थाने से बाहर रखा जाना चाहिये था मगर जरूरी नहीं कि सब वैसा ही हो जैसा पब्लिक चाहे। थानेदारजी को नई थानेदारी मुबारक।
@ सेवा का मिला मेवा
एक खाकीधारी चौकी इंजार्ज से थानेदार क्या बना लोगों की नजर में आ गया।
पर जो थानेदार बनना चाहते थे मगर नहीं बन पाए ऐसे खाकीधारियों ने अपनी खोज में दावा किया है कि जिस चौकी इंचार्ज को थानाधिकारी बना दिया गया है उस खाकीधारी ने अपने आला खाकीधारी के परिजनों की काफी सेवा की हुई है।
यही कारण है कि उसे सेवा का मेवा मिला है।
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