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गाँधी जी ने बदली राजनीतिक चरित्र की धारा – प्रो. विनोद कुमार सिंह

Gandhiji changed the stream of political character - Prof. Vinod Kumar Singh

बीकानेर, (समाचार सेवा)। गाँधी जी ने बदली राजनीतिक चरित्र की धारा – प्रो. विनोद कुमार सिंह, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय  (एमजीएसयू )के कुलपति प्रो. विनोद कुमार सिंह ने कहा कि राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ऐसे नेता रहे जिन्‍होंने देश में राजनीतिक चरित्र की धारा को ही बदल दिया।

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प्रो. सिंह शनिवार को महात्मा गाँधी की 150 वीं जयन्ती वर्ष श्रृंखला के तहत विश्वविद्यालय में ‘‘राष्ट्र निर्माण एवं वर्तमान में गाँधी जी के विचारों की प्रासंगिकता’’ विषय पर सेंटर फॉर गांधीयन स्ट्डीज के तत्वाधान में आयोजित वर्चुअल व्याख्यान की अध्‍यक्षता कर रहे थे।

उन्‍होंने कहा कि महात्मा गाँधी प्रयोगधर्मी चिंतक थे जिनका वजूद सांस्कृतिक चेतना के सूत्र में राष्ट्र को जोड़ने के प्रति समर्पित रहा।

प्रो. सिंह ने कहा कि गाँधी जी राजनीतिक चरित्र की धारा बदलकर एक ऐसे संगम के रूप में स्थापित हुए, जिसमें गरम दल और नरम दल दोनों की लकीरें विलीन हो गयी। भारतीय क्रांति की अभिव्यक्ति गाँधी जी के विचारों में परिलक्षित होती है।

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उन्होंने कहा कि गांधी जी एक महान शिक्षाविद् थे, उनका मानना था कि किसी देश की सामाजिक, नैतिक और आर्थिक प्रगति अंततः शिक्षा पर निर्भर करती है।

उनकी राय में शिक्षा का सर्वोच्च उद्देश्य आत्म मूल्याकंन है। उनके अनुसार विद्यार्थियों के लिए चरित्र निर्माण सबसे महत्वपूर्ण है और यह उचित शिक्षा से ही संभव है।

व्‍याख्‍यान कार्यक्रम का संयोजन करते हुए विवि में इतिहास विभाग की डॉ. मेघना शर्मा ने गांधीजी व शास्त्रीजी सरीखी विभूतियों के आदर्शो को आत्मसात करने की आवश्यकता को कार्यक्रम के परिचय के साथ व्यक्त करते हुए अतिथियों का परिचय मंच से दिया।

मुख्य वक्ता प्रो. सतीश कुमार ने गांधी को बहुआयामी व्यक्तित्व बताते हुए अपने संभाषण में प्लेटफार्म पर फेक दिये जाने वाले गांधी और उसके बाद उठकर खडे़ होने वाले गांधी के अन्तर को स्पष्ट किया।

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प्रो. कुमार ने गांधी जी के स्वतंत्रता आन्दोलन के महानायक तक के सफर को चित्रित करते हुए उनके जीवन से प्रेरणा लेने का स्मरण करवाया।

वक्ता के रूप में प्रबन्ध बोर्ड सदस्य डॉ. विनोद चन्द्रा ने कहा कि आज गांधी को विचारों एवं व्याख्यानों की परिधि से बाहर निकालकर आचरण में उतारने व व्यवहारिक रूप से उनके स की पालना सुनिश्चित करवाने की जरूरत है।

इससे पूर्व सर्वप्रथम राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी व शास्त्री जी के चित्र पर माल्यार्पण के साथ आयोजन का विधिवत शुभारम्भ हुआ। सेन्टर के डॉयरेक्टर एवं कार्यक्रम प्रभारी  प्रो. अनिल कुमार छंगाणी द्वारा स्वागत भाषण देते हुए कार्यक्रम की संक्षिप्त  रूपरेखा प्रस्तुत की गई।

व्याख्यान में धन्यवाद ज्ञापन शोध निदेशक डॉ. रविन्द्र मंगल द्वारा किया गया।

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कार्यक्रम में प्रो. सुरेश कुमार अग्रवाल, प्रो. राजाराम चोयल, डॉ. गौतम मेघवंशी, डॉ. धर्मेश हरवानी,

डॉ. अभिषेक वशिष्ठ, डॉ. ज्योति लखाणी, डॉ. प्रभुदान चारण, डॉ. सीमा शर्मा, अमरेश कुमार सिंह,

उमेश शर्मा, निर्मल भार्गव आदि उपस्थित रहे।

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