ये पोपा बाई का राज नहीं
पंचनामा : उषा जोशी
* ये पोपा बाई का राज नहीं
जांगळ देश में बढ़े अपराध को लेकर टाइगर की चिंता रविवार को हुई क्राइम मीटिंग में साफ दिखी। टाइगर ने अपने थानेदारों को साफ कहा कि आपके क्षेत्र के असामाजिक तत्वों को ये लगेगा कि यहां तो पोपा बाई का राज है हमारा कुछ बिगड़ना नहीं है तो अपराध होते रहेंगे। टाइगर ने थानेदारों को मंत्र दिया कि आप अपने क्षेत्र के असामाजिक तत्वों पर 107 सीआरपीसी गुण्डा एक्ट 122, राजपाशा या एनएसए के तहत कार्रवाई कर गुण्डा तत्वों पर रोकथाम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जो जैसे डिजर्व करता है उसका वैसा ईलाज हो। ये अहसास आप उनके दोगे तो वह अपराध नहीं करेगा। टाइगर को अपने थानेदारों को कहना पड़ा कि जब तक आपके इलाके का अपराधी मानसिकता वाला व्यक्ति आपकी रडार में नहीं होगा अपराध बढ़ते रहेंगे। टाइगर ने खाकीधारियों को साफ कह दिया कि यदि अपने क्षेत्र में अपराध प्रवृत्ति रखने वालों को कानून का राज का आभास नहीं कराओगे तो अपराध रोकना आपके बस का नहीं रहेगा। अपराध रोकना सबसे पहली प्राथमिकता है। पता नहीं चला कि टाइगर की बात को कितनों ने गंभीरता से सुना, कितनों ने अमल करने की सोची तथा कितनों ने हर बार की तरह इस बार भी ऐसी बातें इस कान से सुनी और दूसरे कान से निकाल दी।
* चोर पकड़ कर चौड़े हुए थानेदारजी
एक खाकीधारी जी डेढ़ साल की तपस्या के बाद थानेदार बने। उनके इलाके की एक पुलिस चौकी में मोबाइल चोर पकड़ा गया। लोगों ने इस चोर को काफी धोने और सुखाने के बाद चौकी को सौंपा था। चौकी के पुलिसकर्मियों ने भी मीडिया को मामले की जानकारी दे दी। उधर, बड़े संघर्ष के बाद थाना हासिल कर सके थानेदारजी को चोर पकड़ने वाले मामले में बड़ा प्रचार दिखाई दिया। उन्होंने पहले चौकी इंचार्ज को फटकार लगाई कि क्यों उन्होंने मीडिया को जानकारी दी। हुआ यह कि शाम को जब मीडिया ने चौकी वालों से डिटेल मांगी तो सबके मुहं पर ताले लग चुके थे। दूसरे दिन थानेदार साहब ने बड़ा सा प्रेस नोट भेजकर अपनी चोर पकड़ने में अपनी वाहवाही बटोरनी चाही थी। जबकि मीडिया में घटना का विवरण उसी दिन साया कर दिया गया था। मोबाइल चोरों से आठ-10 मोबाइल बरामद हुए थे।
* जांगळ देश में जिन्ना का जिन्न
अलीगढ़ में भले ही जिन्ना के जिन्न ने तबाही मचा रखी हो मगर जांगळ देश में जिन्ना का जिन क्या हुकुम मेरे आका कहता ही नजर आया। यहां इस जिन्न ने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। नेशनल मीडिया में जांगळ देश की जिन्ना रोड को समाचार प्रसारित हुए तो खाकी भी सक्रिय हुई। टोह लेनी शुरू की मगर इलाके के कांस्टेबल इतने कॉन्फीडेंट थे कि सबको यही कह रहे थे कि अठे कांई पंगों कोनी हुए। वास्तव में उसकी बात भी सही रही। मीडिया में किसी ने जिन्ना के नाम लगे बोर्डस पर कालिख पोतने की सलह दी तो किसी ने प्रशासन को कार्रवाई करने की। मगर इस मामले का हल तो एक कांस्टेबल ने पहले ही कर दिया था कि अठे ई बातों रो असर कोनी हुए।
(साभार दैनिक नवज्योति बीकानेर)
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