पंचनामा : उषा जोशी
नया नौ दिन, पुराना सौ दिन, जांगळ देश के कलक्टर की सक्रियता से सरकारी महकमे के लोग सकते में हैं, सफाई मजदूर से लेकर अधीनस्थ अधिकारी तक अलर्ट मोड में है ना जाने कब और कहां कलक्टर साहब प्रकट हो जाएं।
कड़ाके की इस ठंड के बावजूद आम सरकारी कारिंदों के घरों में प्रात: काल से ही हचलल शुरू होने लगी है।
पहले धूप निकलने पर दफ्तर पहुंचने वाले और धूप नहीं निकले तो अनऑफिसियली छुट्टी मनाने वाले साहब और बाबू भी समय पर दफ्तर पहुंच रहे हैं।
दफ्तरों में भी लोग दबी जुबान चर्चा करते हैं कि कलक्टर साहब कहीं कुछ अधिक ही सक्रिय तो नहीं हो रहे हैं, इसके पीछे माजरा क्या है।
अब जब तक उनको माजरा समझ में नहीं आता तब तक तो सही समय पर दफ्तर आना ही पडेगा।
कलक्टर साहब भी दारु की दुकान चलाने वालों से लेकर सफाईकर्मियों तक स्कूल के शिक्षकों से लेकर सरकारी अधिकारी-कर्मचारी सभी को सही करने की धुन में जुटे हुए हैं।
नया नौ दिन पुराना सौ दिन कहावत को मामने वाले अब कलक्टर साहब के सौ दिन पूरे होने का इंतजारा कर रहे हैं।
सेवानिवृत्तों व बाहरी लोगों के भरोसे जिला परिषद
जांगळ प्रदेश में जिला परिषद के हाल बुरे ही नहीं बदतर है।
यहां अधिकारियों व कार्मिकों की इतनी कमी है कि कुछ अधिकारी तो दूसरे विभागों से डेप्यूट करने पड़ रहे हैं और कुछ सेवानिवृत्त कार्मिकों के भरोसे काम धिकाये जा रहे हैं।
सुनने में तो यह भी आया है कि कुछ सेवानिवृत्त कार्मिकों को दुबारा काम करने का सरकारी आदेश ना होते हुए भी आदेश के इंतजार में उन्हीं कार्मिकों से काम लिया जा रहा है।
सरकार की कोई भी योजना हो सबसे कम नतीजे अगर मिलते हैं तो वो जगह है जिला परिषद, पंचायतीराज वि•ााग व ग्रामीण विकास विभाग।
करोड़ो रुपये का बजट, बस इस बैंक से उस बैंक में रखने व ब्याज पाने का काम ही हो रहा है।
आंकड़ों का कागजी जाल ऐसे दिखाया जाता है जिसमें सभी खो जाते हैं।
एक और चुनाव की आचार संहिता लगने वाली है जिला परिषद वालों को काम नहीं करने के इस अच्छे बहाने का बेसब्री से इंतजार है।
खाकी के रंग निराले
नई सरकार आने के बाद शहर में ऐसा कोई अपराध नहीं है जो ना हुआ हो।
मगर कहीं कोई हल्ला नहीं है। ना जिम्मेवार आलाधिकारियों के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई हो रही है ना ही सर्दी में सितम ढा रहे चोर उच्चकों को रोकने का कोई काम।
कलक्टर साहब ने एक शराब की दुकान से रात आठ बजे बाद शराब खरीदकर खाकी महकमे में हलचल पैदा कर दी। इस हलचल का नतीजा है कि संबंधित थानाधिकारी जी को लाइन हाजिर करना पड़ गया।
खाकी वाले अब चाहते हैं कि आबकारी वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो।
मंत्रियों तक पहुंची कलक्टर की शिकायत
कलक्टर साहब की सक्रियता से परेशान कुछ कार्मिक अब अपने राजनीतिक आकाओं तक बात पहुंचाने लगे हैं।
राजनीतिक आका है कि इस मामले में फिलहाल कुछ कहने व करने की स्थिति में नहीं है।
कुछ लोग कहते हैं कि जिले के आला मंत्री की सहमति से कलक्टर साहब सक्रिय हैं।
जबकि कुछ लोग कहते हैं जो भी हो रहा है वो सब ठीक हो रहा है। अब तक जितने भी कलक्टर आये ऐसी सक्रियता किसी ने दिखाई ही नहीं।
यदि दिखाई होती हो शहर का ये हाल ना होता।