लॉयन को गुस्सा क्यों आता है…
पंचनामा : उषा जोशी
लॉयन को गुस्सा क्यों आता है…सुना है जांगळ देश के लॉयन के गुस्से से इलाके के लगभग सभी खाकीधारी परेशान हैं। लॉयन को गुस्सा क्यों आता है इसे लेकर टाइगरों की मांद से लेकर थानाधिकारियों के ठिकानों पर अलग-अलग चर्चा व कयास है।
हालांकि वर्तमान लॉयन का कार्यकाल कम ही बचा है ऐसे में खाकीधारियों ने भी उनका बचे हुए समय को हैण्डल विद केयर श्रेणी में रखते हुए ही अपना काम करने की रणनीति बना रखी है।
हां, फिलहाल लॉयन का भय इतना है कि थाने में बैठा थानाधिकारी अपने मोबाइल पर लॉयन के नंबर देखकर ही उचक जाता है और जब वास्तव में लॉयन का फोन आ जाता है तो बस राम राम करते हुए ही फोन पर जी सर, जी सर की ध्वनि उच्चारित कर पाता है।
पता चला है कि लॉयन का खुफिया तंत्र बड़ा मजबूत है। इलाके में हुई वारदात, बदमाशी और तो और थाने लेवल के पुलिसकर्मियों की कारगुजारी तक थानेदार व टाइगर से पहले लॉयन तक पहुंच जाती है।
जब लॉयन उस घटना की जानकारी टाइगर अथवा थानेदार को देते हुए स्पष्टीकरण मांगते हैं तो घटना की जानकारी नहीं होने के कारण कई बार टाइगर व संबंधित थाने का थानेदार भी निरुत्तर हो जाता है।
क्यों बहनजी, सब कुशल मंगल तो है ना
अलवर तथा बीकानेर के जसरासर दुष्कर्म प्रकरण के बाद तो जांगळ देश के थानेदारों को सपने में भी थाने के सामने औरते आती-जाती दिखाई देने लगी हैं।
सुना अपने काम से निकली औरतों को थाने के सामने से गुजरते देख थानेदार साहब खुद आगे आकर पूछ लेते हैं कि क्यों बहन जी, सब कुशल मंगल तो है ना।
एक सीमांत इलाके के थाने में तो सुबह बहु पहुंची तो उसकी रपट दर्ज कर ली और शाम को सास पहुंची तो उसकी भी रपट तुरंत दर्ज कर ली।
अलवर के थानागाजी इलाके के सामुहिक दुष्कर्म प्रकरण के बाद हाथ वालों की सरकार ने खाकीधारियों को सख्त हिदायत दे रखी है कि महिला अपराध सहित किसी भी प्रकार के अपराध के खिलाफ प्रकरणों को दर्ज करने में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
यही कारण है कि थानेदारों को दिन में ली जाने वाली झपकी में भी थाने के सामने औरतें दिखाई देने लगी हैं। कुछ खाकीधारी तो इतने सक्रिय हो गए हैं कि दूसरे थाना क्षेत्र की पीड़ित महिला की एफआईआर दर्ज करने में पलक झपकने जितनी देर भी नहीं कर रहे हैं।
तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो..
बढ़ते अपराधों की रोकथाम के लिये आला खाकीधारी कुछ तगड़े उपाय करे ना करें, कलमकारों की स्तुति जरूर शुरू कर देते हैं। पिछले तीन महीनों में अपराध की दृष्टि से जांगळ देश की जो गत हुई है वह पहले शायद ही कभी हुई होगी।
हर दिन अपराध, लॉयन, टाइगर, थानेदार सब परेशान ऐसे में कलमकार ही डूबती नैया को पार लगाने वाला मानकर खाकीधारियों ने कलमकारों की स्तुति करनी शुरू की। छोट से छोटे अपराध को सुलझा लेने, छोटे अपराधी को पकड़ लेने की बड़ी-बड़ी खबरे दिखाने, छापने की गुहार की गई।
ये उपाय भी किया गया कि कलमकारों को थानों से रिपोर्ट नहीं दी जाकर जिला स्तर पर एकजाई मनमर्जी वाली रिपोर्ट दी जाए। यह प्रयोग कामयाब नहीं रहा। कलमकारों ने टाइगर के सुरक्षा चक्र को भेदते हुए सोशल मीडिया के माध्यम से अपराध की खबरे वायरल करनी शुरू कर दी।
ऐसे में खाकीधारियों को वापस कलमकारों को ही छोटे सुलझे अपराध की खबरें बड़ी, व बड़े अन सुलझे अपराध की खबरें छोटी करने की गुहार शुरू की है।
सीजन में भी कमाई को तरसे!
जांगळ देश के आला खाकीधारी की अतिसक्रियता के चलते अधीनस्थ खाकीधारियों को इस बार कमाई के सीजन में भी कमाई नसीब नहीं हुई।
सुनते हैं कि आला खाकीधारी के किक्रेट सट्टा गिरोह को नेस्तनाबूद कर देने से थानास्तरों पर खाकीधारियों को होने वाली कमाई में काफी गिरावट आ गई। अब कमाई के नये सीजन में भी ऐसा ही हाल होने की संभावना से खाकीधारी आहत महसूस कर रहे हैं।
आला खाकीधारी की सक्रियता से किक्रेट सट्टा कारोबारी भी घाटे से उबरने का रास्ता तलाश कर रहे हैं मगर इससे बचने के सारे रास्ते आला खाकीधारी की ओर ही इशारा कर रहे है जहां बात बनती दिख नहीं रही है। सुना है आला खाकीधारी ने सट्टाबाजों को अपनी ओर भेजने वाले खाकीधारियों को भी तलब कर लिया है।
इस सीजन में कैसे हो कमाई इस पर मंथन जारी है।
-साभार दैनिक नवज्योति बीकानेर
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