बीकानेर में किया गया उर्दू रामायण नज़्म का वाचन
NEERAJJOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा)। बीकानेर में किया गया उर्दू रामायण नज़्म का वाचन, रंजो हसरत की घटा सीता के दिल पर छा गई, गोया जूही की कली थी, ओस से मुरझा गई। बीकानेर में उर्दू के प्रोफेसर रहे बादशाह हुसैन खां राना द्वारा 1935 में लिखित उर्दू रामायण नज़्म का वाचन रविवार को होटल मरुधर हेरिटेज में डॉ. जिया उल हसन कादरी ने किया।
पर्यटन लेखक संघ-महफिल अदब की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ. कादरी, जाकिर अदीब व असद अली असद ने उर्दू रामायण प्रभावशाली का वाचन किया। मौजूद श्रोताओं की मांग पर नज़्म की कई पक्तियों को बार बार पढ़ा गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व महापौर हाजी मकसूद अहमद ने कहा कि राना साहिब द्वारा लिखित उर्दू रामायण साम्प्रदायिक सौहार्द और भाषाई एकता की प्रतीक है।
मुख्य अतिथि इंजीनियर निर्मल कुमार शर्मा रहे। कार्यक्रम में जुगल किशोर पुरोहित, अब्दुल शकूर सिसोदिया, अब्दुल जब्बार जज़्बी, अमर जुनूनी, मंजुल मुकुल वर्मा ने भी विचार रखे।
उर्दू रामायण नज़्म लिखने पर मिला गोल्ड मेडल
बीकानेर में उर्दू के प्रोफेसर बादशाह हुसैन खां राना ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की ओर से वर्ष 1935 में तुलसीदास जयंती के पर आयोजित उर्दू में रामायण नज़्म लिखने की अखिल भारतीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था।
प्रो. राना द्वारा लिखी उर्दू रामायण नज़्म देशभर में प्रथम आई। बीएचयू ने राना को गोल्ड मेडल से नवाजा।
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