राजस्थानी में अनुवादित पुस्तक ‘ब्रह्मपुत्र रै आसै-पासै’ का लोकार्पण
बीकानेर, (समाचारसेवा)। राजस्थानी में अनुवादित पुस्तक ‘ब्रह्मपुत्र रै आसै-पासै’का लोकार्पण, बीकानेर के युवा साहित्यकार डॉ. नमामी शंकर आचार्य द्वारा राजस्थानी में अनुवादित किए गए नेपाली उपन्यास ‘ब्रह्मपुत्र का छेउछाउ’ के राजस्थानी के संस्करण ‘ब्रह्मपुत्र रै आसै-पासै’ का लोकार्पण शनिवार को किया गया।
मुक्ति संस्था की ओर से आयोजित इस समारोह में कवि-आलोचक डॉ. अर्जुन देव चारण, कथाकार राजेन्द्र जोशी, नगेन्द्र किराड़ू उपस्थित रहे।
अनुवादक डॉ. आचार्य ने बताया कि नेपाली के साहित्यकार अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत पद्मश्री लील बहादुर क्षेत्री के नेपाली भाषा में लिखे इस उपन्यास के राजस्थानी अनुवाद की पुस्तक को भी केन्द्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली ने प्रकाशित किया है।
अनुवादक डॉ. आचार्य ने अनुवाद कर्म पर अपनी बात रखते हुए कहा कि ब्रह्मपुत्र रै आसै-पासै उपन्यास का अनुवाद करते हुए भावनात्मक रूप से मैं असम में रहने वाले नेपालियों की दास्तान को झेलने वाले लोगों के दिलों में गोते लगाने लगा।
उन्होंने बताया कि किसी मनुष्य के दर्द को भाषा में उकेरना उसमें शामिल होने जैसी अनुभूति होने लगती है।
Share this content: