आज गधों के बारे में कोई बात भी नहीं करना चाहता- डॉ. एस. सी. मेहता
प्रभागाध्यक्ष बोले, देश में गधों की कुछ नस्लें समाप्ति के कगार पर
NEERAJ JOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा)। राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र बीकानेर के प्रभागाध्यक्ष डॉ. एस. सी. मेहता ने कहा कि देश में पिछले 6-7 वर्षों में 60 प्रतिशत गधे कम हुए हैं। साथ ही देश में हलारी नस्ल के गधे मात्र 439 ही बचे हैं। उन्होंने कहा कि आज स्थिति यह हो गई है कि गधों के बारे में तो कोई बात भी नहीं करना चाहता है।
डॉ. मेहता ने यह जानकारी शुक्रवार को राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र बीकानेर में दो दिवसीय संरक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए बताई। उन्होंने कहा कि देश में घोड़ों, गधों एवं ऊँटों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है। डॉ. मेहता के अनुसार देश में जहाँ पिछले 6-7 वर्षों में 45 प्रतिशत घोड़े कम हुए हैं वहीं 60 प्रतिशत गधे कम हुए हैं। उन्होंने बताया कि गधों की कुछ नस्लें तो समाप्ति के कगार पर है। देश में हलारी गधे मात्र 439 हैं। ऐसी स्थिति में इनका संरक्षण बहुत ही आवश्यक हो गया है।
केंद्र के पास हलारी नस्ल के 43 गधे
डॉ. मेहता ने बताया कि वर्तमान में अश्व अनुसंधान केंद्र के पास हलारी नस्ल के 43 पशु है जो कि इनकी कुल संख्या का लगभग 10 प्रतिशत है। उन्होंने इस संदर्भ में राष्ट्रीय स्तर से राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो करनाल हरियाणा द्वारा दी गई परियोजना के लिए ब्यूरो के निदेशक को धन्यवाद दिया और कहा कि दोनों संस्थाएं मिल कर एवं प्रशिक्षण के माध्यम से इसके किसानों को उन्नत करने के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
कठिन लक्ष्यों का सामना
प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो करनाल हरियाणा के निदेशक डॉ. बी. पी. मिश्रा ने कहा कि हर व्यक्ति को समय-समय पर अपने कार्यक्षेत्र में अनेक कठिन लक्ष्यों का सामना करना पड़ता है एवं जो व्यक्ति संपूर्ण इच्छा शक्ति से कार्य करता है वही उस लक्ष्य को भेदने में सफल होता है। इंजीनियरिंग महाविद्यालय के प्रो. हरजीत सिंह ने कहा कि हम अश्व अनुसंधान केंद्र के साथ मिल कर फार्म ऑटोमेशन की दिशा में कदम बढ़ाने जा रहे।
इन्होंने भी रखे विचार
विशिष्ठ अतिथि डॉ. नरेश गोयल ने डॉ. मिश्रा के उज्जवल भविष्य की कामना की। विशिष्ट अतिथि राजेन्द्र जोशी ने बीकानेर में शिक्षा एवं साहित्य के विकास के बारे में अपने विचार रखे। प्रशिक्षण कार्यक्रम डॉ रमेश देदड एवं डॉ. टी. राव के निर्देशन में चल रहा है एवं इसका संयोजन डॉ कुट्टी एवं डॉ जितेन्द्र सिंह कर रहे हैं।
कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ. सुहैब ने किया। कार्यक्रम में एडवोकेट महेंद्र जैन, पूरण चन्द राखेचा, कल्याण राम, डॉ. पूजा मोहता, सुरेश गुप्ता, करना यादव एवं भुजिया पापड़ संघ के अध्यक्ष एवं केंद्र के अधिकारीयों एवं कर्मचारियों ने भाग लिया । प्रशिक्षणकार्य क्रम में गुजरात से आए किसान भी शामिल हुए।
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