केन्द्र सरकार 10 करोड़ लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए राजस्थानी भाषा को तुरंत मान्यता दे : डॉ. कल्ला
बीकानेर, (समाचार सेवा)। राज्य के साहित्य संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा कि केन्द्र की सरकार को दस करोड़ से अधिक लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए तुरंत राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करना चाहिए।
डॉ. कल्ला शुक्रवार को इटली
मूल के राजस्थानी भाषा के विद्वान डॉ. एल.
पी. तैस्सितोरी की 132वीं जयंती पर स्थानीय म्यूजियम परिसर में आयोजित कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप
में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थान में वर्ष 2003 में कांग्रेस की सरकार ने राजस्थानी
भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची
में शामिल करने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भेजा था।
अब यह निर्णय केन्द्र सरकार
के स्तर पर लंबित है। डॉ. कल्ला ने इटली मूल के राजस्थानी विद्वान डॉ. तैस्सितोरी को
याद करते हुए कहा कि डॉ. तैस्सितोरी द्वारा राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति
के क्षेत्र में किये गये कार्यों पर गर्व कर सकते हैं। डॉ कल्ला ने कहा कि हमने इटली
के शहर उदीने एवं भारत के शहर बीकानेर को
जुड़वा शहर बनाने के लिए भी प्रयास किया मगर तत्कालीन
भाजपा की अटल बिहारीजी की सरकार
ने उस कार्य को अंजाम तक नहीं पहुंचने दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते
हुए शहर जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष हीरालाल हर्ष ने कहा कि डॉ. तैस्सितोरी के
अथक प्रयासों का ही सुपरिणाम है कि जिसके कारण अनेक प्राचीन लेख प्रकाश में आ सके हैं।
इस अवसर पर सादूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट बीकानेर के मानद सचिव, कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि डॉ तैस्सितोरी
कल्पनाशक्ति के भाषा विद्वान थे। जोशी ने
कहा कि तैस्सितोरी एक लेखक, भाषावैज्ञानिक व विद्वान होने के साथ-साथ एक
इतिहासकार भी थे।
कार्यक्रम में शिक्षाविद् और
राज्य शिक्षा नीति के सदस्य ओमप्रकाश सारस्वत ने कहा कि तैस्सितोरी का मन राजस्थानी भाषा में ही रमण करता था तभी प्रारंभिक काल में ही अपने देश में रहते हुए ही फ्लोरेंस विश्वविद्यालय में राजस्थानी हस्तलिखित
ग्रंथों का अध्ययन किया। संगीतज्ञ डॉ कल्पना
शर्मा ने कहा कि तैस्सितोरी प्रखर बुद्धि व जिज्ञासु प्रवृत्ति होने के कारण राजस्थानी
भाषा साहित्य एवं संस्कृति का
ज्ञान प्राप्त करने में अग्रणी भूमिका निभा सकें।
इस अवसर पर चन्द्रशेखर जोशी, सखा संगम के अध्यक्ष एन डी रंगा, डॉ फारूक चैहान, योगेन्द्र पुरोहित, विमल शर्मा, निरंजन पुरोहित ने भी डॉ एल पी तैस्सितोरी को राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति का विद्वान बताते
हुए विचार रखे। कार्यक्रम में अर्चना सक्सेना, शकुर मोहम्मद, जनमेजय व्यास, शंशाक शेखर जोशी, पूर्व पार्षद हजारी देवड़ा, राजाराम स्वर्णकार रमेश महर्षि, सहित अनेक लोग उपस्थित थे।
भाजपा ने नहीं बनने दिया उदीने-बीकानेर को जुडवां शहर
बीकानेर, (समाचार सेवा)। राज्य केसाहित्य संस्कृति एवं पुरातत्व मंत्री डॉ.बी.डी.कल्ला ने कहा कि केन्द्र सरकार की अनिच्छा के कारण राजस्थानी भाषा के विद्वान डॉ. एल. पी. तैस्सितोरी की जन्म भूमि उदीने (इटली) तथा उनकी कर्म भूमि बीकानेर (भारत) जुडवां शहर नहीं बन सके।
डॉ. कल्ला
शुक्रवार को सादूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट के तत्वावधान में इटली मूल
के राजस्थानी भाषा के विद्वान डॉ एल पी तैस्सितोरी की 132वीं जयंती के अवसर
पर म्यूजियम परिसर स्थित तैस्सितोरी की प्रतिमा स्थल पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। डॉ. कल्ला ने बताया कि पूर्व में प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने उदीने बीकानेर को
जुडवां शहर बनाने के प्रयास किए थे, मैं खुद बीकानेर
नगर निगम के तत्कालीन सभापति विजय कपूर के साथ उदीने शहर गया।
उस यात्रा का भी तत्कालीन अटल जी की सरकार ने सहयोग नहीं किया था। डॉ बी डी कल्ला ने कहा कि डॉ एल पी तैस्सितोरी की जयंती पर उन्हें याद करते हुए हम उनके द्वारा राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में किये गये कार्यों पर गर्व कर सकते हैं, उन्होंने कहा कि तैस्सितोरी द्वारा राजस्थानी भाषा के लिए किए गए काम को विश्व स्तर पर सराहा गया है।
संस्कृति पर हमला बर्दाश्त नहीं – डॉ. बी. डी. कल्ला
बीकानेर, (समाचार सेवा)। साहित्य संस्कृति एवं पुरातत्व मंत्री डॉ.बी.डी.कल्ला ने कहा कि देश की संस्कृति पर होने वाले किसी भी हमले और मिलावट को किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। डॉ. कल्ला शुक्रवार को सादुल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीटयूट के स्थानीय म्यूजियम परिसर में डॉ. टैस्सी टोरी जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि देश में सांस्कृतिक प्रदूषण बढ रहा है। इस सांस्कृतिक प्रदूषण्को रोकने की आवश्यकता है। डॉ. कल्ला ने कहा कि संस्कृति से ऊपर कोई नहीं है। डॉ. कल्ला ने कहा कि संस्कृति से बडा कुछ नहीं है। हमारी संस्कृति बहुत ऊंची है, उसकी बडी थाती है। उन्होंने लोगों से आव्हान किया कि वे देश की संस्कृति को आगे बढाने के लिये मिलजुलकर काम करें।
देश को डॉ.तैस्सितोरीपर है गर्व – डॉ. कल्ला
बीकानेर, (समाचार सेवा)। राजस्थान सरकार के कला संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने कहा कि में इटली मूल के राजस्थानी भाषा के विद्वान डॉ.एल. पी. तैस्सितोरी द्वारा राजस्थानी भाषा के लिए किए गए काम को विश्व स्तर पर सराहा गया है।
डॉ. कल्ला शुक्रवार को सादूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट की ओर से डॉ एल पी तैस्सितोरी की 132वीं जयंती म्यूजियम परिसर में आयोजित कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि
डॉ. तैस्सितोरी द्वारा राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के
क्षेत्र में किये
गये कार्यों पर
गर्व कर सकते
हैं, डॉ. कल्ला
ने कहा कि
डॉ तैस्सितोरी के
अथक प्रयासों से
ही सरस्वती जी
की दो मूर्तियों की
खोज हुई। ऐतिहासिक
तथ्यों प्रागैतिहासिक व
पुरातात्विक तथ्यों का भी
शोध व अन्वेषण कार्य
करके हमें एक
और प्राचीन सभ्यता और
संस्कृति से अवगत
कराया।
उन्होंने कहा
कि विषम परिस्थितियों में
भी डॉ. तैस्सितोरी ने
राजस्थानी साहित्य को समृद्ध करने
के लिए काम
करते हुए अनेक
यात्राएं भी की।
प्रारंभिक काल में ही
अपने देश में
रहते हुए ही
फ्लोरेंस विश्वविद्यालय में
राजस्थानी हस्तलिखित ग्रंथों का अध्ययन किया।
उनको
अनेक भाषाओं का
ज्ञान था, हम उनके प्रति
कृतज्ञता व्यक्त करते
है। डॉ. कल्ला ने कहा कि हमने डॉ. तैस्सितोरी के जम्न स्थान उदीने तथा उनके कर्मस्थान बीकानेर को
जुड़वा शहर बनाने
के लिए प्रयास किया।