तैस्सीतोरी सांस्कृतिक पुरोधा एवं भारतीय आत्मा थे – कमल रंगा
तैस्सीतोरी की याद में दो दिवसीय ओळू समारोह का हुआ आगाज
NEERAJJOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा)। राजस्थानी विद्वान डॉ. लुईजि पिओ तैस्सीतोरी की पुण्यतिथि पर प्रज्ञालय तथा राजस्थानी युवा लेखक संघ का दो दिवसीय ओळू समारोह शुक्रवार प्रातः उनकी समाधि स्थल से शुरू किया गया।
समारोह के पहले दिन की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ राजस्थानी साहित्यकार एवं राजस्थानी मान्यता आंदोलन के प्रवर्तक कमल रंगा ने कहा कि डॉ. तैस्सीतोरी ने राजस्थानी मान्यता का बीजारोपण 1914 में ही कर दिया था, परन्तु दुखद पहलू यह है कि आज भी इतनी समृद्ध एवं प्राचीन भाषा को संवैधानिक मान्यता न मिलना साथ ही प्रदेश की दूसरी राजभाषा न बनना करोड़ो लोगों कि जनभावना को आहत करना है।
मुख्य अतिथि इतिहासविद् डॉ. फारूक चौहान ने कहा कि स्वर्गीय एल.पी. तैस्सीतोरी जनमानस में राजस्थानी भाषा की अलख जगाने वाले महान साहित्यिक सेनानी थे। विशिष्ठ अतिथि वरिष्ठ व्यंग्यकार आत्माराम भाटी ने कहा कि तैस्सीतोरी भाषा वैज्ञानिक थे।
कार्यक्रम में कवि जुगलकिशोर पुरोहित, कवि गिरिराज पारीक, भैरूरतन रंगा शन्नू अशोक शर्मा, कार्तिक मोदी, अख्तर, किशन सांखला, कन्हैयालाल, राजपाल, तोलाराम सारण, घनश्याम आचार्य, सुनील व्यास, वीणा बजाज, इन्द्रा बेनीवाल, रामकिशन, मोहित गाबा, सुन्दर मामवाणी ने भी विचार रखे। समारोह का संचालन भवानी सिंह ने किया। आशीष रंगा ने आभार जताया।
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