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स्वामी संवित सोमगिरि ब्रह्मलीन, शहर में शोक की लहर

Swami Samvit Somagiri Brahmalin, a wave of mourning in the city

शिवकुमार सोनी

बीकानेर, (समाचारसेवा)स्वामी संवित सोमगिरि ब्रह्मलीन, शहर में शोक की लहर, शिवबाड़ी के लालेश्वर महादेव मंदिर के अधिष्ठाता स्वामी संवित सोमगिरि महाराज का मंगलवार रात को बीकानेर के पी.बी.एम. अस्पताल के श्वसन व टी.बी.अस्पताल में ब्रह्मलीन हो गए। स्वामीजी 78 वर्ष के थे। स्वामीजी 30 अप्रेल से करोना का ईलाज करवा रहे थे। करोना के ठीक होने पर उन्हें पुनः पोस्ट कोविड से फेफड़़ों के कमजोर पर सांस में तकलीफ के कारण टी.बी.एवं श्वसन रोग विभाग के आई.सी.यू. में ईलाज करवा रहे थे।

श्वसन रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. गुंजन सोनी ने बताया कि मंगलवार रात को उनका एक फेफड़ा फट गया था। तत्काल उन्हें श्वास के लिए ऑपरेश्न कर नली लगाई गई लेकिन ऑक्सीजन में बढ़ोतरी नहीं हुई। स्वामीजी अस्पताल में अपने ईलाज से पूर्ण संतुष्ट थे, तथा हर समय प्रभु नाम व गीता श्लोकों के स्मरण करते थे तथा चिकित्सकों व नर्सिंग स्‍टॉफ को आशीर्वाद देते थे।

वे अपने ईलाज के बारे में अपने शिष्यों के माध्यम से देश-विदेश में विख्यात अमेरीका सहित अनेक देशों के नामी चिकित्सकों से भी चर्चा करते थे, सबने ईलाज को बेहतर बताया। अथक प्रयास के बावजूद उन्हें नहीं बचाने का मलाल हमेशा रहेगा। स्वामीजी वंदनीय व पूजनीय तथा महान संतों में एक थे। स्वामीजी के शिष्य स्वामी विमर्शानंद गिरि ने बताया कि स्वामीजी के लौकिंक देह को बुधवार को सुबह नौ बजे भू समाष्टि कर पंच महाभूतों में विलीन किया जाएगा।

बीकानेर में गोगागेट क्षेत्र में ब्राह्मण परिवार में जन्में स्वामी ने इंजीनियरिंग करने के बाद कुछ वर्ष जोधपुर इंजीनियरिंग महाविद्यालय में शिक्षण कार्य किया इसी दौरान उन्होंने स्वामी ईश्वरानंद गिरि से दीक्षा लेकर संन्यासी बन गए। कुछ वर्षों तक माउंट आबू में गुरुजी के सान्निध्य में धर्म आध्यात्म के गुढ़ रहस्यों को समझा तथा जाना।

श्री धनीनाथ गिरि मठ पंच मंदिर के अधिष्ठाता स्वामी सोमेश्वरानंद भारती ने स्नेह,आत्मीयता व विद्वता, धर्म के प्रति निष्ठा के कारण शिवबाड़ी के लालेश्वर महादेव मंदिर में 24 नवम्बर 1994 को अधिष्ठाता बनाया गया।  उन्होंने शिवबाड़ी के जीर्णोंद्धार व विकास के अनुकरणीय कार्य किए वहीं गीता प्रतियोगिता के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की। गीता को जन-जन तक पहुंचाया, भगवत गीता के मर्म को समझाया।  लाखों विद्यार्थियों को श्रीमद भगवत गीता से जोड़ा।

लालेश्वर महादेव मंदिर के अधिष्ठाता बनने के बाद पहला साक्षात्कार करने का सौभाग्य मुझे मिला। साक्षात्कार व उसके बाद की मुलाकातों में स्वामीजी कहते थे कि बीकानेर की धर्मधरा में लोगों को अधिकाधिक गीता का ज्ञान के माध्यम से संस्कारित करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने खेल में भी रूचि दिखातें हुए शूटिंग रेंज की स्थापना की। अनेक निशानेबाजों ने शूटिंग रेंज से प्रशिक्षण लेकर बीकानेर का नाम किया।

स्वामीजी ने अनेक पुस्तकें लिखी तथा अनेक पुस्तकों सम्पादन व प्रकाशन किया। एक बार की बात है कि एक प्रशासनिक अधिकारी ने शिवबाड़ी के लालेश्वर महादेव मंदिर का अवलोकन किया। अवलोकन के दौरान वे इसकी भव्यता की प्रशंसा के बाद अंग्रेजी में कुछ बोलने लगे। स्वामीजी ने उनके साथ धारा प्रवाह अंग्रेजी में उनसे बात कर उन्हें नतमस्तक होने के लिए मजबूर कर दिया।

स्वामीजी अनेक सामाजिक एवं स्वयं सेवी संस्थाओं के संरक्षक व प्रेरणा स्तोत्र रहे है। शास्त्री नगर की श्री वीर हनुमान वाटिका के वे आजीवन संरक्षक थे। प्रतिवर्ष हनुमान जयंती पर होने वाले कार्यक्रम में पहुंचकर आशीर्वाद देते थे। श्री वीर हनुमान वाटिका की सचिव पूर्व पार्षद छाया गुप्ता ने स्वामीजी के ब्रह्मलीन होने को बीकानेर के लिए अपूर्णिय क्षति बताया है।

नगर निगम के पूर्व सभापति अखिलेश प्रताप सिंह, जन स्वास्थ्य अभियंात्रिकी विभाग के पूर्व अधीक्षण अभियंता बी.जी. व्यास, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की क्षेत्रीय प्रभारी बी.के.कमल, जैन श्वेताम्बर तपागच्छ संघ की साध्वीश्री सौम्य प्रभा, सौम्य दर्शना, भारत विकास परिषद की प्रदेश उपाध्यक्ष श्रीमती शशि चुग, भारत विकास परिषद मीरां शाखा अध्यक्ष डॉ. दिप्ती वाहल, डॉ. गुंजन सोनी ने स्वामीजी के निधन को दुखद व अपूर्णीय बताया।

शिव कुमार सोनी

वरिष्ठ स्वतंत्र सांस्कृतिक पत्रकार

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