मातृभाषा दिवस पर राजस्थानी विषय के विद्यार्थियों को सौंपी छात्रवृत्ति
केबिनेट मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला के मुख्य आतिथ्य में हुआ आयोजन
गंगा मिशन कोलकाता के प्रहलाद राय गोयनका ने शुरू की छात्रवृत्ति
बीकानेर, (समाचार सेवा)। मातृभाषा दिवस पर राजस्थानी विषय के विद्यार्थियों को सौंपी छात्रवृत्ति, अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर गुरुवार को महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के राजस्थानी विभाग द्वारा छात्रवृत्ति वितरण समारोह आयोजित किया गया।
राज्य के केबिनेट मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला के मुख्य आतिथ्य में आयोजित इस समारोह में गंगा मिशन कोलकाता के सचिव भामाशाह प्रहलाद राय गोयनका की ओर से राजस्थानी पाठ्यक्रम में अध्ययनरत समस्त विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति सौंपी गई।
आयोजन संयोजक व विश्वविद्यालय में राजस्थानी विभाग की प्रभारी डॉ. मेघना शर्मा ने बताया कि समारोह में एम.ए राजस्थानी के विद्यार्थियों को 3-3 हजार और पीएच.डी. के विद्यार्थियो को 5-5 हजार प्रति छात्र छात्रवृति दी गई।
समारोह मे सूर्य प्रकाशन मंदिर के प्रो. प्रशांत बिस्सा ने अपने पिता की स्मृति मे 51 हजार रु. की राजस्थानी पाठ्यक्रम की पुस्तके विभाग को दान की।
साहित्यकार व चिंतक प्रो. नंद किशोर आचार्य के सानिध्य में आयोजित हुए इस समारोह को संबोधित करते हुए केबिनेट मंत्री डॉ. कल्ला ने कहा कि ऐसे सदुप्रयास किए जाने चाहिए कि महाराजा गंगा सिंह विवि का कद इतना ऊँचा हो जितना कि विश्व मे आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह ने कहा कि बीकानेर में जयपुर लिटरेचर फेस्टीवल की तर्ज पर वार्षिक आधार पर साहित्य महोत्सव आयोजित होने को महती आवश्यकता है।
चिंतक डॉ. नंद किशोर आचार्य ने वर्तमान पीढ़ी को मातृभाषा से जुड़ने व उसमे सृजन की आवश्यकता पर बल दिया।
भामाशाह प्रहलाद राय गोयनका ने मायड़ भाषा में अपनी बात रखते हुए कहा कि अपनी भाषा बोलने मे कत्तई शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए।
विवि के उप कुलसचिव डॉ. बिठ्ठल बिस्सा ने स्वागत भाषण दिया। विशिष्ट अतिथि संस्कृति कर्मी राजीव हर्ष ने इस प्रकार के आयोजनों को समय की जरूरत बताया। कुलसचिव राजेन्द्र डूडी ने आभार जताया।
कार्यक्रम मे साहित्यकार मालचंद तिवाडी, डॉ. श्रीलाल मोहता, सरल विशारदे, डॉ. बृजरतन जोशी, डॉ. राकेश हर्ष प्रो. अग्रवाल, प्रो. अनिल कुमार छंगाणी सहित डूँगर कॉलेज व स्थानीय महाविद्यालयों के प्राचार्य डॉ. एन. के. व्यास, डॉ. वी.के. ऐरी, डॉ. भंवर विश्नोई, डॉ. अनंत जोशी, डॉ. रितेश व्यास, डॉ. पंकज जैन व डॉ. नितिन गोयल आदि शामिल हुए।
डॉ कल्ला ने निर्माण कार्यों का जायजा लिया
केबिनेट मंत्री डॉ.बी.डी.कल्ला ने गुरुवार को महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय में चल रहे विकास कार्यों का जायजा लिया। इन निर्माण कार्यों का शिलान्यास कुछ दिन पूर्व राज्यपाल ने राज भवन में किया था।
डॉ.कल्ला ने कहा कि निर्माण कार्यों का रोड मैप बना हुआ होना चाहिए, जिससे पता चल सके कि कितने दिनों में कार्य पूर्ण होगा। निर्माण कार्यों की साप्ताहिक समीक्षा व मॉनिटरिंग के दौरान यदि कार्य में गति धीमी नजर आए तो उसमें तेजी लाई जाए।
उन्होंने कहा कि निर्माण कार्यों में बीकानेर की स्थापत्य कला की झलक दृष्टि गोचर होनी चाहिए।
छगन मोहता की स्मृति में खोलें शोध संस्थान
डॉ. कल्ला ने कहा कि राट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर विश्वविद्यालय को गांधी अध्ययन केंद्र भी प्रारंभ करना चाहिए।
साथ ही विश्वविद्यालय आने वाले सत्र से विश्वविद्यालय में बीकानेर के ख्यातनाम दर्शन शास्त्री छगन मोहता की स्मृति में एक शोध संस्थान खोले। उन्होंने कहा कि छगन मोहता राष्ट्रीय स्तर के विचारक और चिंतक रहे हैं
उनके नाम से यह संस्थान खुलने से हम सब बीकानेरवासी भी अपने आप को गौरवान्वित महसूस करेंगे।
‘सगे से पैली सूं केवायदो.. जारी हुआ, विडियो
बीकानेर, (समाचार सेवा)। विवाह संबंधी नेगचारों के दौरान रीत के नाम पर होने वाली कुरीतियों पर कटाक्ष करते हुए प्र यात साहित्यकार डॉ.भगवानदास किराड़ू की कालजयी रचना ‘सगे ने पैली सूं केवाय दो…’ का लांच आज देश की राजधानी नई दिल्ली में हुआ।
विश्व मातृभाषा दिवस और पुष्करणा समाज के सावे के मौके जारी इस गीत को कवि-कथाकार नगेंद्रनारायण किराड़ू ने गाया है। संगीत संयोजन कलाधर्मी येशुदास भादाणी का है। निर्देशक वरिष्ठ रंगकर्मी रामसहाय हर्ष हैं।
लगभग बीस साल पहले स्व.भगवानदास किराड़ू का लिखा यह गीत बीकानेर के जन-जन की जुबां पर है। इस गीत में कुरीतियों पर कटाक्ष करते हुए इनसे बचकर सादगी पूर्ण शादी पर जोर दिया है।
रंगकर्मी, नाटककार व पत्रकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ और कवि-आलोचक कुमार अनुपम ने गीत का ऑडियो-वीडियो जारी किया।
राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिये सोशल मीडिया पर मिला भरपूर समर्थन
बीकानेर, (समाचार सेवा)। राजस्थानी युवा लेखक संघ तथा प्रज्ञालय संस्थान ने राजस्थानी भाषा की मान्यता के संबंध में विश्व मातृभाषा दिवस पर आयोजित आयोजनों के दूसरे दिन गुरुवार को सोशल मीडिया के माध्यम से विश्व के कई देशों एवं भारत के अनेक प्रांतों के साथ अनेक भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों एवं अन्य कला से जुडे लोगों से संपर्क किया।
सभी ने राजस्थानी की मान्यता का भरपूर समर्थन किया। सोशल मीडिया के माध्यम से राजस्थानी के हित में व्यापक समर्थन लेने का कार्य यह कार्यक्रम प्रभारी युवा शायर कासिम बीकानेरी ने किया।
उन्होंने बताया कि गुरुवार को सोशल मीडिया के माध्यम से नेपाल की प्रभा सिंह, मलेशिया के डॉ गुरिन्दर गिल, आस्ट्रेलिया के रविन्द्र हर्ष, लन्दन के डॉ. राजेन्द्र कुमार ने राजस्थानी के समर्थन में अपनी बात रखते हुए कहा कि राजस्थानी रोटी-रोजी और शिक्षा की भाषा शीघ्र बननी चाहिए।
इसी क्रम में उतर प्रदेश के नीरज सिंह ‘नीर’, डॉ अफजल, डॉ प्रभा गुप्ता, मध्य प्रदेश के डॉ अरविन्द श्रीवास्तव, सुरेन्द्रसिंह हमसफर, अनील गुप्ता, महाराष्ट के जोधराज बी व्यास, डॉ विनय पुरोहित, डॉ प्रियंका, सागर त्रिपाठी एवं उमेश नारायण चॉव्हान, छतीसगढ़ की स्रेहलता, बी डी गुप्ता हरियाणा के संजय कोशिक, डॉ अनिता भारद्वाज, दिल्ली के चन्द्रकांत एवं डॉ अशोक गुजरात के विनोद मोर्य, आसाम दीपिका सुतौदिया, बिहार साजिद इकबाल, पश्चिमी बंगाल खुर्शीद आलम, कर्नाटक नन्द सारस्वत,
पंजाब डॉ बलवन्त सिंह, डॉ मधु प्रधान, डॉ. नरेशकुमार सागर, उतराखण्ड जिया हसन, विरेन्द्र डंगवाल झारखंड सुरेश मांझी आदि ने जो कि उर्दू, हिन्दी, छतीसगढ़ी, हरियाणवी, गुजराती, बंगाली, असमिया, पंजाबी, बुदेलखण्डी, मराठी गढवाली, ब्रज, मगही, मैथली और भोजपुरी आदि भारतीय भाषा के इन साहित्यकारों एवं अन्य कला से जुडे हुए लोगों ने राजस्थानी मान्यता के लिए व्यापक समर्थन देने की बात कहते हुए यह भी कहा कि किसी भी प्रदेश के प्रादेशिक भाषा को वहां की दूसरी राजभाषा बनाने एवं संवैधानिक मान्यता देने से न तो हिन्दी और अन्य किसी भारतीय भाषा का अहित होता है।
वस्तुत: अन्य भाषाएं और हिन्दी अधिक समृद्ध होती है। राजस्थानी मान्यता आंदोलन के प्रवर्तक कमल रंगा ने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से राजस्थानी को व्यापक समर्थन मिलना राजस्थानी मान्यता आंदोलन को जहां एक ओर बल मिलता है, वहीं यह बात भी स्पष्ट हो जाती है, कि राजस्थानी को दूसरी राजभाषा बनाने एवं संवैधानिक मान्यता देने से कहीं पर भी किसी भाषा का अहित नहीं है।
अपितु सभी भाषाएं समृद्ध होती है। रंगा ने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से यह नव पहल संस्था द्वारा पहली बार करने पर सार्थक परिणाम आए है। जिससे राजस्थानी मान्यता को बल मिलेगा।
जनसुनवाई में भाटी ने जानी लोगों की समस्यायें
बीकानेर, (समाचार सेवा)। उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने गुरुवार को बीकानेर सर्किट हाउस, नाल, गजनेर मीठड़ी और कोलायत मुख्यालय पर जनसुनवाई कर आमजन की समस्याएं जानी।
इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आमजन के लिए पानी, बिजली, सड़क जैसी आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध है।
भाटी ने अधिकारियों को जन समस्याओं के निस्तारण के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पानी, बिजली, सड़क जैसी सुविधाएं विकास की बुनियाद है और सरकार इन सुविधाओं की उपलब्धता के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध करवाएगी।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि गांवों में विद्युत की सिंगल फेज की 24 घंटे विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। इस कार्य में कोताही न हो और यह सुनिश्चित हो कि आम लोगों को बिजली की सुविधा मिले।
उन्होंने कहा कि शुद्ध पेयजल सभी लोगों का हक है और यदि कहीं पर पानी की कमी या अशुद्ध पानी आपूर्ति से जुड़ी शिकायत मिलती हैं तो अधिकारी ऐसे प्रकरणों को प्राथमिकता पर लेकर निस्तारित करें।
भाटी ने कहा कि जिन गांवों में ग्रामीणों द्वारा सामुदायिक भवन निर्माण, खेल मैदान आदि की मांग की जाती है, अधिकारी स्थानीय जनप्रतिनिधि से सम्पर्क कर खेल मैदान, सामुदायिक भवन निर्माण आदि के लिए जमीन आवंटन की प्रक्रिया को पूरे करने की कार्यवाही करें।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के सर्वागीण विकास के लिए प्रदेश भर में गांवों में खेल मैदान विकसित हो इस प्रोजेक्ट पर रा’य सरकार गंभीरता से कार्य कर रही है। इसके लिए आवश्यक पैसा भी उपलब्ध करवाया जाएगा।
उन्होंने चिकित्सा, श्रम, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सहित अन्य विभागों के अधिकारियों को पेंशन, छात्रवृति आदि से जुड़े आवेदनों के समय पर निस्तारण के निर्देश दिए। इस अवसर पर सम्बंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
तकनीक प्रयोग से पशुपालन में मिल सकते हैं उद्यमिता के नए आयाम-राठौड़
एसकेआरएयू में तीन दिवसीय कार्यशाला प्रारंभ
बीकानेर, (समाचार सेवा)। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में गुरूवार को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत राजस्थान में पशुपालन में खेतीहर महिलाओं की उद्यमिता संभावनाएं विषय पर रा’य स्तरीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ।
तीन दिवसीय रा’य स्तरीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के उपमहानिदेशक (कृषि शिक्षा) डॉ एन एस राठौड़ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि पशुपालन के माध्यम से खेतीहर महिलाओं को
उद्यमिता के नए आयाम प्रस्तुत करने के लिए तकनीक का प्रयोग अनिवार्य है। इस कार्यशाला में माध्यम से यह तलाश करने की आवश्यकता है कि किस तकनीक का प्रयोग इन महिलाओं को प्रशिक्षित करने में किया जा सकता है।
उद्यमिता संभावना के लिए इसकी पहचान करना सर्वाधिक जरूरी है कि किस तकनीक का और कैसे इस्तेमाल किया जाए। उन्होंने कहा कि डिजीटल मोड का प्रयोग करते हुए प्रौद्योगिकीय नवाचारों का उपयोग किया जाए।
राठौड़ ने कहा कि महिला सशक्तीकरण की दिशा में कार्य करने के लिए प्रशिक्षण सर्वाधिक अहम है लेकिन इसके लिए तकनीकी की पहचान, उसका विकेन्द्रीकरण और इसे लक्ष्ति तक पहुंचाने के लिए सम्बंधित की जवाबदेही तय करनी होगी।
इस अवसर पर स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो विष्णु शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय इस सम्बंध में मॉडल तैयार करें और इसका उपयोग कैसे महिलाओं को दिया जाएगा इस सम्बंध में कार्यशाला में रोडमैप तैयार कर प्रस्तुत की जाएगी।
उन्होंने कहा कि रा’य स्तरीय कार्यशाला के माध्यम से इस विषय पर नए सुझाव मिल सकेंगे, जिन्हें शामिल करते हुए इस दिशा में और बेहतर कार्य किया जाएगा। उद्घाटन सत्र में अनुसंधान निदेशक एस एल गोदारा, क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान पी एस शेखावत ने अपने विचार रखे।
प्रोजेक्ट की मुख्य अन्वेषक प्रो चित्रा हेनरी ने बताया कि सहायक अन्वेषक डॉ सीमा त्यागी व तीन छात्रों अमित, सुभाष और देवेन्द्र की टीम द्वारा 10 हजार 800 खेतीहर महिलाओं पर अध्ययन कर यह सर्वे तैयार किया है।
इस प्रोजेक्ट में खेती से जुड़ी महिलाओं को पशुपालन के जरिए नये रोजगार सृजित करने के लिए बैंक, गैर सरकारी संगठनों, वेटरनरी, कृषि, पशुपालन विभाग सहित सम्बंधित एंजेसियों से विस्तृत विचार विमर्श कर
इस विषय पर एक रोडमैप प्रस्तुत किया गया है। इस विषय पर तीन दिन तक चलने वाली इस कार्यशाला में विस्तृत चर्चा की जाएगी।
डॉ. बी.डी. कल्ला ने किया पुष्करणा विवाह पद्धति पुस्तक का विमोचन
बीकानेर, (समाचार सेवा)। पं.विमल किराडू एवं पंडित अशोक रंगा द्वारा लिखित पुष्करणा विवाह पद्धति (पुस्तक) का विमोचन ऊर्जा, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ.बी.डी. कल्ला ने किया।
समारोह में डॉ. कल्ला ने कहा कि वर्तमान में 16 संस्कारों में आई मलीनता को दूर किया जाना जरूरी है। उन्होंने दहेज प्रथा, वैदिक विवाह पर आतीशबाजी को कुरीति बताया और मांगलिक गीतों के स्थानों पर बजने वाले डीजे को मूल संस्कारों से भटकाने वाला बताया।
डा.गोपाल नारायण व्यास ने पुष्करणा विवाह पद्धति की उपयोगिता पर प्रकाश डाला और वर्तमान परिवेश में उपनयन संस्कार में उक्त पुस्तक की उपादयता बताई।
समारोह में महेश व्यास, डॉ.गोपाल नारायण व्यास, मोहन लाल किराडू, मगन बिस्सा, करतार सिंह सोढ़ी, राजेन्द्र प्रसार पुरोहित आदि उपस्थिति रहे। सूर्य प्रकाश किराडू स्मृति संस्थान के चंद्र प्रकाश ने आभार व्यक्त किया।
भदोही में जैसलमेर-हावड़ा ट्रेन का स्टोपेज करने पर जताई खुशी
बीकानेर, (समाचार सेवा)। बीकानेर जिला उद्योग संघ, जेडआरयूसीसी, डीआरयूसीसी के पदाधिकारियों व सदस्यों ने जैसलमेर-हावड़ा ट्रेन का स्टोपेज भदोही करने पर खुशी जताई है।
इसके लिये केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल, महाप्रबंधक उत्तर पश्चिम रेल्वे एवं मंडल रेल प्रबंधक ए.के. दुबे का धन्यवाद भी ज्ञापित किया है।
डीआरयूसीसी सदस्य एवं बीकानेर जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष द्वारकाप्रसाद पचीसिया ने बताया जैसलमेर हावड़ा के मध्य चलने वाली साप्ताहिक गाड़ी का स्टोपेज भदोही करना अत्यंत आवश्यक था क्योंकि बीकानेर को एशिया की सबसे बड़ी उन मंडी होने का गौरव प्राप्त है तथा यहाँ के उधमी, व्यापारियों को अपनी व्यावसायिक गतिविधियों के सम्बन्ध में भदोही आना जाना पड़ता है,
क्योंकि भदोही कारपेट की बड़ी मंडी है। जैसलमेर हावड़ा के मध्य चलने वाली साप्ताहिक गाड़ी का ठहराव भदोही ना होने से उन्हें अन्यत्र साधन से भदोही जाना नहीं पडेगा इससे व्यापारियों उद्यमियों को समय एवं धन की अनावश्यक हानि भी नहीं उठानी पड़ेगी।
इस अवसर पर जेडआरयूसीसी सदस्य नरेश मित्तल, डीआरयूसीसी सदस्य अनन्तवीर जैन, कमल कल्ला, नरसिंहदास मिमाणी, बीकानेर जिला उद्योग संघ के उपाध्यक्ष निर्मल पारख एवं सचिव विनोद गोयल ने भी विचार रखे।
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