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‘सांस री सौरम है बसंत, उमंग तरंग है बसंत’ : कमल रंगा

saans ree sauram hai basant, umang tarang hai basant’ kamal ranga

बीकानेर, (समाचारसेवा)।  ‘सांस री सौरम है बसंत, उमंग तरंग है बसंत’ : कमल रंगा,‘सांस री सौरम है बसंत/ उमंग तरंग है बसंत/ ऋतु राज है बसंत/धरा रो ताज है बसंत/ शिशिर रे बाद आवै बसंत पतझड़ बाद आवै बसंत।’

स्थानीय वरिष्ठ कवि कमल रंगा ने सोमवार को श्री नागरी जुबली भंडार स्थित महारानी सुदर्शन आर्ट गैलरी में नागरी भंडार पाठक मंच और फन वर्ल्ड वाटर पार्क नाल की ओर से आयोजित त्रिभाषा कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में समारोह की अध्यक्षता करते हुए अपनी रचना पेश की तो सम्मेलन में उपस्थित हर श्रोता आनंदित हो गया।

प्रमिला गंगल ने-‘आओ ऋतुराज प्रकृति का मानूं मैं आभार रचना के माध्यम से बसंत के आगमन सुनाई। शायर कासिम बीकानेरी ने गीत-पीले पीले गुल खिले कलियां सभी मुस्का गई, बाग में लो आज फिर से रुत बसंती छा गई पेश की। मौलाना अब्दुल वाहिद अशरफी ने कलियों पर रंगोनूर है गुल पे निखार है, ख़ुशियां मनाओ आमद फसले बहार है रचना सुनाई।

शायर जाकिर अदीब ने हो नवीद आज आ गया है बसंत, अपने हर दर्द की दवा है बसंत रचना पेश की। शायर डॉ. जियाउल हसन कादरी ने क्यों न हो ऐश्तबार फूलों का, दिल पर है इख्तियार फूलों का की प्रस्तुति दी। मनीषा आर्य सोनी ने अपनी रचना धरती फौरियो पसवाड़ो अर ओढ़ण चाली कसूमल रंग सुनाई। किशननाथ खरपतवार ने मनाले अपने साजन नै बसंती बार बाजे है तथा मदन जैरी ने बसंत की आई बहार है रचना पेश की।

मुख्य अतिथि कवि नेमचंद गहलोत, शायर बुनियाद जहीन, इंदिरा व्यास, विप्लव व्यास, कवि प्रमोद कुमार शर्मा, गंगाविशन बिश्नोई, गौरीशंकर प्रजापत, जुगल किशोर पुरोहित सागर सिद्दीकी, हनुमंत गौड़ नजीर, कैलाश टाक, बाबूलाल छंगाणी, गिरिराज पारीक, लक्ष्मी नारायण आचार्य, हरिकृष्ण व्यास आदि रचनाकारों ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।

कार्यक्रम में नन्दकिशोर सोलंकी, आत्माराम भाटी, रंगनेत्री मीनू गौड़, श्रीगोपाल स्वर्णकार, संस्कृति कर्मी डॉ. फारुक चौहान, संतोष शर्मा, ललित कुमार, छगनलाल एवं गोपाल गौतम आदि उपस्थित रहे। संचालन कासिम बीकानेरी ने किया।

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