सांचू में गोलियों की गूंज, अब दुश्मन की खैर नहीं
उषा, नीरज जोशी
बीकानेर, (समाचार सेवा)। उषा, नीरज जोशी, सांचू में गोलियों की गूंज, अब दुश्मन की खैर नहीं, सीमा सुरक्षा बल बीकानेर सेक्टर ने सोमवार 21 जनवरी को सांचू माता मंदिर के लोकार्पण समारोह के दौरान फायरिंग का डेमो दिखाकर बता दिया है कि अब भारत की ओर आंख उठाकर देखने वाले दुश्मन की खैर नहीं।
बीएसएफ डीआईजी पुष्पेन्द्र सिंह राठौड़ के निर्देशन में यहां जवानों ने किसी भी समय दुश्मन के दांत खटटे कर देने की अपनी क्षमता दिखाई। जवानों ने अपने हथियारों के इस्तेमाल के साथ बताया कि वे सुरक्षित बचाव तथा हमले का किस प्रकार मुकाबला करने को एकदम तैयार हैं। इस प्रदर्शन के गवाह बने केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी तथा जिन्दा शहीद कहे जाने वाले एम. एस. बिट्टा।
दोनों अतिथियों ने यहां सांचू माता के मंदिर के जीर्णोद़धार कार्यों का लोकार्पण भी किया। राठौड़ के निर्देशन में ही पाकिस्तान से सटी राजस्थान की पश्चिमी सीमा पर बीकानेर की सांचू पोस्ट पर्यटकों को इंटरनेशनल बॉर्डर दिखाने के लिए तैयार की गई है।
सीमा दर्शन कार्यक्रम के लिए इसे जनसहयोग से विकसित किया गया है। यहां एक छोटा वार म्यूजियम बनाया गया है। भारत-पाक के बीच 1965 और 1971 में हुए युद्ध की जानकारी एक शिलालेख पर दी गई है। एक बड़ा हॉल बनाया गया है।
इसमें युद्ध की डॉक्यूमेंट्री दिखाई जाती है। सांचू से फेंसिंग मात्र दो किमी दूर है। यहां व्यू पॉइंट बनाया गया है। इस पर वॉच टावर होगा, जहां बीएसएफ के जवान तैनात रहते हैं। पर्यटक यहां बैठकर बायनोक्यूलर से बॉर्डर देख सकते हैं।
सांचू विजिट के दौरान लोगों को यह जानने का भी मौका मिलेगा कि सीमा प्रहरी विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों में किस प्रकार बॉर्डर की सुरक्षा करते हैं।
सांचू का इतिहास
सामरिक दृष्टि से सांचू महत्वपूर्ण पोस्ट है। भारत-पाक के बीच 1965 और 1971 का युद्ध सांचू पोस्ट पर लड़ा गया था।
1965 युद्ध से पहले बीकानेर जिले के बॉर्डर बेल्ट में सांचू सबसे बड़ा गांव था। 1965 युद्ध के दौरान पाक सेना ने सांचू पर कब्जा कर लिया। जिसे वापस फतह कर लिया गया।
1971 के युद्ध में सांचू पोस्ट से ही भारतीय सेना और बीएसएफ जवानों ने पाकिस्तान की रनिहाल, बीजनोठ और रुकनपुर पोस्ट कैप्चर की थी।
Share this content: