रीमादेवी की आंखों में हैं सुनहरे भविष्य के सपने
शरद केवलिया
बीकानेर (समाचार सेवा)। रीमादेवी की आंखों में हैं सुनहरे भविष्य के सपने राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद द्वारा बनाए गए महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से जिले के दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं का आर्थिक सशक्तीकरण हो रहा है। इन समूहों के द्वारा महिलाएं, स्वरोजगार की दिशा में मजबूती से कदम उठा कर आत्मनिर्भर बन रही हैं व अपने परिवार की खुशहाली में प्रभावी भूमिका निभा रही हैं।
कुछ ऐसी ही कहानी है जैसलसर गांव की रीमा देवी की। रीमा देवी के समूह का नाम जय भवानी स्वयं सहायता समूह है। वे वर्ष 2016 से समूह में सदस्य हैं व उनके गांव में कुल 6 स्वयं सहायता समूह हैं। वे बताती हैं कि समूह में जुड़ने से पहले उनका परिवार भीषण आर्थिक संकट में था। गरीबी के कारण जीवनयापन भी दूभर था। उनके परिवार में कुल 6 सदस्य हैं। कमाने वाले केवल उनके पति हैं जो मजदूरी करते हैं, पर उनकी आय बहुत कम थी।
वे बताती हैं कि राजीविका उनके जीवन में सूरज बनकर आया, जिसने उनके अन्धेरे जीवन में उजाला भरा। रीमा देवी के गांव जैसलसर में आकर राजीविका टीम ने आमसभा के दौरान स्वयं सहायता समूह के लाभ बताए, जिससे वे बहुत प्रभावित र्हुइं और समूह से जुड़ गईं। समूह में जुड़ने के बाद राजीविका अनुदान राशि आई जिसमें से उन्होंने 5 हजार रूपये का ऋण लेकर सिलाई मशीन खरीदी।
इससे वे महीने में 2 हजार 500 रूपये कमाने लगीं। कुछ समय बाद उनका समूह सखी के रूप में चयन हुआ, जिससे उन्हें 2 हजार 250 रूपये का मानदेय मिलने लग गया और उनके परिवार का पालन-पोषण बेहतर तरीके से होने लगा। पर उनके पति को मजदूरी का काम हर रोज नहीं मिल पाने के कारण वे तनाव में रहते थे। रीमा देवी ने इस समस्या को हल करने के लिये कुछ समय पश्चात आजीविका संवर्धन राशि में से 30 हजार रूपये का ऋण लेकर अपने पति के लिए डी.जे. का सामान खरीदा और काम शुरू करवा दिया।
अब शादी और अन्य समारोहों के माध्यम से महीने की 3 हजार रूपये आय होने लग गयी और उनका जीवन अच्छा चलने लगा है। रीमा देवी की आंखों में अपने बच्चों को अच्छा भविष्य देने के सपने तैर रहे हैं। वे राज्य सरकार और राजीविका को धन्यवाद देते हुए कहती हैं कि इनके माध्यम से आज वे आत्मनिर्भर बन गयी हैं और उनका परिवार आर्थिक दृष्टि से सशक्त हो गया है।
सहायक जनसम्पर्क अधिकारी, बीकानेर
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