राष्ट्रीय महत्व का है रातीघाटी युद्ध उपन्यास – डॉ. अन्नाराम शर्मा
NEERAJ JOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा)। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के क्षेत्रीय अध्यक्ष, शिक्षाविद डॉ. अन्नाराम शर्मा ने कहा कि रातीघाटी युद्ध उपन्यास एक राष्ट्रीय महत्व का उपन्यास है। डॉ. शर्मा मंगलवार को अखिल भारतीय साहित्य परिषद बीकानेर इकाई द्वारा आयोजित पुस्तक चर्चा कार्यक्रम को कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम की पहली कड़ी में इतिहासवेत्ता जानकीनारायण श्रीमाली के उपन्यास रातीघाटी युद्ध पर चर्चा आयोजित की गयी। शिक्षाविद डॉ. शर्मा ने कहाकि उपन्यास में लेखक जानकीनारायण श्रीमाली ने इतिहास के आधार पर समकालीन भारत की राष्ट्र विरोधी शक्तियों तथा समस्याओं से लोहा लिया है।
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रचना में सामाजिक समरसता, पर्यावरण, स्व जागरण एवं नारी स्वत्व के युगीन प्रश्नों पर भी सम्यक् विमर्श हुआ है। उन्होंने कहा कि उपन्यास का नायक जैतसी कामरान के साथ हुए दुर्धर्ष संघर्ष में राष्ट्रीय नायक के रूप में उभरता है। रचना में इतिहास एवं कल्पना का मणिकांचन योग हुआ है। उपन्यास लेखक जानकी नारायण श्रीमाली ने श्रोताओं की जिज्ञासा दूर करते हुए उपन्यास लेखन को 41 वर्षों की गहन तपस्या का फल बताया।
उपन्यास भारतीय आत्मबोध का उत्कृष्ट उदाहरण
परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. आख़िलानन्द पाठक ने कहा कि यह ऐतिहासिक उपन्यास भारतीय आत्मबोध का उत्कृष्ट उदाहरण है। पटकथा, कला और उपन्यासित तत्व की दृष्टि से भी यह एक श्रेष्ठ उपन्यास है। परिषद की बीकानेर इकाई की अध्यक्ष डॉ.बसन्ती हर्ष ने कहा कि राजस्थान के इतिहास के पन्नों में रातीघाटी युद्ध तथा राव जैतसी अपने अद्वितीय पराक्रम और धेर्य तथा अनुशासन बद्धता के कारण चिरकाल तक स्मरणीय रहेंगे।
तथ्यपरक, शोधपूर्ण, तथा रोमांचक वर्णन
कार्यक्रम में उदयपुर से फोन पर अपनी बात कहते हुए वरिष्ठ साहित्यकार भवानीशंकर व्यास विनोद ने कहा कि श्रीमाली द्वारा रातीघाती युद्ध पर रचित ऐतिहासिक उपन्यास में जो तथ्यपरक, शोधपूर्ण, तथा रोमांचक वर्णन किया है वह इसे अपूर्व साधना का सर्वथा मौलिक उपन्यास बनाता है। वास्तुमार्तण्ड कृष्णकुमार शर्मा ने कहा कि उपन्यास में कथानक प्रामाणिक ऐतिहासिक तथ्यों तथा उस काल खंड में सनातन संस्कृति, परंपराओं एवं राष्ट्र के लिए प्राण उत्सर्ग करने वाले विचारों से ओत प्रोत है।
मातृभूमि की रक्षा करने के भाव
कवयित्री मोनिका गौड़ ने कहा कि रातीघाटी युद्ध के जरिये राजस्थान के गौरव व मातृभूमि की रक्षा करने के भाव को जन जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है। समारोह के दौरान लेखक जानकीनारायण श्रीमाली का अभिनंदन किया गया। संचालन साहित्य परिषद के महासचिव जितेन्द्रसिंह राठौड़ ने किया। समारोह में कृष्णलाल विश्नोई, सुभाष, बाबू बमचकरी, विनोद ओझा, राधाकिशन भजूड़, ऋषि श्रीमाली, जगदीशदान रतनू आदि मौजूद रहे। राजाराम स्वर्णकार ने आभार प्रकट किया।
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