प्रो. नरोत्तम दास स्वामी ने राजस्थानी साहित्य लेखन को दिये नए आयाम–राजेन्द्र जोशी
NEERAJ JOSHI बीकानेर, (समाचार सेवा)। प्रो. नरोत्तम दास स्वामी ने राजस्थानी साहित्य लेखन को दिये नए आयाम–राजेन्द्र जोशी, वरिष्ठ साहित्यकार, कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि राजस्थानी व्याकरण और इतिहास लेखन के क्षेत्र में प्रो. नरोत्तम दास स्वामी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
जोशी मंगलवार को प्रो. स्वामी की 119वीं जयंती पर सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट के तत्वावधान् में म्यूजियम परिसर स्थित संस्था सभागार में आयोजित विचार गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में अपनी बात रख रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर स्वामी ने सीमित संसाधनों के बावजूद भी राजस्थानी साहित्य लेखन को नए आयाम दिए। जोशी ने कहा कि युवा साहित्यकारों को इनके कृतित्व से सीख लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि उस दौर में प्रो. स्वामी ने अनेक राजस्थानी पत्रिकाओं का संपादन किया। विशिष्ठ अतिथि साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि नरोत्तम दास स्वामी ने शोध परम्परा को विशेष पहचान दिलाई। उन्हें राजस्थानी साहित्य का पाणिनी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में उनके रचना कर्म की प्रासंगिकता में वृद्धि हुई है।
मुख्य वक्ता व्यंगकार-सम्पादक डॉ. अजय जोशी ने बताया कि प्रो. स्वामी ने सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट की मासिक पत्रिका राजस्थान भारती का संपादन भी किया। जोशी ने कहा कि राजस्थान भारती वर्तमान में प्रोफेसर स्वामी की परम्पराओं को निर्वाहित कर रहा है।
कवि जुगल पुरोहित ने प्रोफेसर नरोत्तम दास स्वामी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। पुस्तकालयाध्यक्ष विमल शर्मा ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन विजय जोशी ने किया।
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