पंचनामा : उषा जोशी 21 सितंबर 2020, जांगळ देश के टाइगर की चाल-ढाल कुछ-कुछ समझ में आने लगी है। टाइगर ने अच्छी तरह समझ लिया है कि शहर वाले नेताजी शहर में किसी और की पंचायती नहीं चाहते और अनोखा शहर के एक बड़े लाल को गांव-गुवाड़ के इलाके में किसी दूसरे की पंचायती पसंद नहीं है। बस टाइगर ने संतुलन बिठा लिया है।
अनोखा वाले लाल की पंचायती गांवों के थानों में थानेदारों की नियुक्ति हो या किसी जांच अधिकारी को लगाने या बदलवाने का मामला हो टाइगर उनकी बात को सुनकर निर्णय लेते हैं। सुना है अनोखा के लाल का कोई आदमी टाइगर के पास काम लेकर चला जाए तो टाइगर उसे कभी निराश नहीं होने देते।
शहर वाले नेताजी का क्या उनके लोगों को तो कुछ जुआरियों-सटोरियों को बचाने से ही फुर्सत नहीं है। ऐसे में टाइगर को जांगळ देश में अपनी पकड़ मजबूत बनाये रखने में कोई परेशानी नहीं आ रही है।
अपराधियों की फायरिंग रेंज बना जांगळ देश
जांगळ देश के टाइगर की कम होती गर्जना के चलते जांगळ देश अपराधियों की फायरिंग रेंज बनता जा रहा है। किसी दुश्मन को खत्म करना है तो जांगळ देश में दिन दहाड़े फायर कर किसी की भी जान ली जा सकती है। लोगों को डराना है तो कर दो फायरिंग।
बैंक या डाकघर को लूटना है तो फिर पिस्टल कब काम आएगी। पिस्टल है तो कुछ भी संभव है। ऐसा नहीं है कि लॉयन, टाइगर, पीटर अवैध हथियारों के खिलाफ अभियान का आगाज नहीं करते, करते हैं जी, कई हथियार पकड़े भी जाते हैं मगर जिनको पुलिस को खौफ नहीं वे हथियार तो और भी खरीद ही सकते हैं।
जांगळ देश में खाकीधारियों को धत्ता बताते हुए अपराधी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। जबकि आला खाकीधारी अपनी ही रामायण व महाभारत में व्यस्त हैं।
अपराधियों में विश्वास, पुलिस में भय
कोरोना महामारी ने चोर-पुलिस के रिश्तों को तार-तार कर दिया है। जांगळ देश में चोर दिन दहाड़े वारदातों को अंजाम देते हैं मगर शायद सोशल डिस्टेंसिंग के नियम की पालना करते हुए खाकीधारी चोरों से वाजिब दूरी बनाकर ही चल रहे हैं। पहले अपराधी पुलिस से डरते थे मगर जब से कोरोना महामारी ने अपना जाल फैलाया है पुलिस अपराधियों से डरने लगी है।
जान है तो जहान है को आदर्श वाक्य मानकर पुलिसकर्मियों ने वर्तमान में बदमाशों से उचित दूरी बनाई हुई है। खाकीधारियों के मन में भय है कौन कब पॉजिटिव मिल जाए। थानों में भी कई पुलिसकर्मी पॉजिटिव आ चुके हैं। अपराधियों को पकड़ने में जल्दबाजी दिखाने के बजाया अब उनसे उचित दूरी रखते हुए जांच को अंजाम दिया जा रहा है।
पद सैंकड का मगर काम नंबर वन का
किसानों से पंगा लेने के बाद एक थाने से हटाये गए खाकीधारीजी अब फिर सुर्खियों में हैं। इन खाकीधारी साहब को एक शहरी थाने में सैकंड अफसर तो लगाया गया है मगर साहब को रुतबा पूरा थानेदारी वाला सौंपा गया है। शहर के इस थाने के असली थानेदारजी से तो ना तो लाने वाले खुश हैं और ना महकमे वाले।
ऐसे में अब अपने पूर्व थाने में हंगामा बरपाकर शहर पहुंचे इन सब इन्सपेक्टर साहब ने यहां भी अपनी कारस्तानी दिखानी शुरू कर दी है। साहब यहां को पायलट नहीं बल्कि मुख्य पॉयलट की भूमिका पूरे जोश खरोश से निभा रहे हैं।
अब ये डीएसटी बना मुसीबत
थानेदारों पर अपने आला पुलिस अधिकारियों का प्रेशर हमेशा किसी ना कसी रूप में बना रहता है मगर थानेदार अब जिला पुलिस के विशेष दल (डीएसटी) से भी परेशान हैं। यह दल किसी भी थाने में अपराधियों को पकड़ने व उनके खिलाफ कार्रवाई करता है, यहां तक तो ठीक है मगर जब थानों को मिलने वाले हफ्ते व वसूली में भी इनको भागीदार बनाने की बात कोई भी थानेदार हजम नहीं कर पा रहा है।
थाना क्षेत्रों के जुआरी, सट्टेबाज, अवैध धंधों में लिप्त लोगों का भी करहा है एक काम की दो दो वसूली वे नहीं करवा सकते है। ऐसे में अब कई थानेदारों ने टाइगर से डीएसटी पर लगाम लगाने का आग्रह किया है।
गंदा है पर धंधा है ये
शराब सहित अन्य मादक पदार्थों के अवैध परिवहन, अवैध बिक्री आदि को रोकने वाले खाकीधारी अपनी कार्रवाई के नाम पर चांदी काटने में लगे हुए हैं। इस कार्रवाई को अंजाम देने के लिये कई खाकीधारी एक स्थान पर चलने वाले अवैध धंधे को दूसरी जगह बताते हैं और तीसरी जगह कार्रवाई दिखाकर वारे न्यारे कर रहे हैं।