अतिथि तुम कब जाओगे… पंचनामा : उषा जोशी
अतिथि तुम कब जाओगे…
हाईवे के किनारे वाले थाने के थानेदारजी चार साल से जांगळ प्रदेश के थानों में ही विचरण कर रहे हैं। अब उनकी हालत उस मेहमान की तरह हो गई है जिसके जाने का सभी घर वालों को इंतजार रहता है। थानेदार जी का खूंटा मजबूत है इसलिये उनका खूंटा ना तो चुनाव आयोग के निर्देश उखाड़ सके हैं ना ही जांगळ देश के के आला खाकीधारी उनका बाल बांका कर सके हैं। खादी की ओट में बैठे खाकीधारी थानेदारजी की खादी में हर कोई टाट का पैबंद लगाना चाह रहा है मगर पार नहीं पड़ रही है। थानेदारजी की खादी का खूंटा इतना मजबूत है कि कोई ऐरा-गैरा नत्थू खेरा तो उसे उखाड़ नहीं सकता है। बहरहाल थानेदारजी अपनी शहंशाही थाने में बाकायदा चला रहे हैं। देवी-देवताओं सी कृपा बरसाने वाली खादी की सेवा में लगातार संलग्न रहे से थानेदारजी को किसी देवी का वरदान मिला हुआ दिखता है कि वे किसी स्थान पर रहना या जाना चाहेंगे तो उनकी या देवी-देवता की मर्जी से ही हो सकेगा। लगता है चुनाव आयोग को अपने निर्देश व महकमे को अपनी पॉलिसी में ही बदलाव करना होगा क्योंकि थानेदारजी तो यहां से खिसकने से रहे। भले ही कोई कितना ही कहे अतिथि तुम कब जाओगे।
फूल आहिस्ता फैंकों फूल बड़े नाजुक होते हैं..
एक सीओ साहब तथा एक थानेदारजी ने एक हत्या के मामले में अपनी सजातीय आरोपी महिला को बचाने का खूब प्रयास किया। मामला जब उछला तो इन खाकीधारियों को उस आरोपी महिला को गिरफ्तार भी करना पड़ गया। गिरफ्तारी की भी तो ऐसी कि मीडियाकर्मियों को कानोंकान खबर नहीं लगने दी। अरे भाई कोई अपनों के लिये इतना तो कर ही सकता है ना। ढिंढोंरा थोड़े पीटा जाता है। फिर खाकी पहनने का फायदा ही क्या। समाज में ऊंच नीच तो सब जगह होती रहती है। संकट के समय ही तो अपनों और परायों का ज्ञान होता है। ऐसे में खाकीधारियों ने एक महिला को सेफ करने के लिये कुछ प्रयास कर दिये तो किसी को क्या परेशानी है। हत्याकांड के मुख्य आरोपी को पकड़कर खाकीधारियों ने अपनी पीठ पहले ही थपथपा ली थी। अब थोड़ी सहायता जान पहचान वालों की कर दें तो क्या बुरा है। ऐसे ही थोड़े ही कहा जाता है अपने तो अपने होते हैं। बचाने का काफी प्रयास किया नहीं बचा सके। गिरफ्तार करना पड़ गया यह सजा भी क्या कम है कि किसी अपने को गिरफ्तार करना पड़े। जे -बात।
ए दिल है मुश्किल जीना यहां ..
एक खाकीधारी छोटे साहब अरसे बाद थाने की ड्यूटी में लगे थे। थाना भी कमाउ मिल गया। लगता है साहब ने भी जल्दी जल्दी थाने की ड्यूटी पाने के लिये खर्च की गई रकम को बटोरना चाहा मगर होम करते हुए हाथ जला बैठे। एक युवा खादीधारी ने टाइगर को शिकायत कर दी। टाइगर ने जांच कराई थानेदारजी जांच में उलझ गए। सुलझने के लिये लाईन भेज दिया गया। क्या हुआ अगर छोटे खाकी साहब ने जुए की राशि अधिक पकड़कर कर कम दिखा दी। सभी तो ऐसा ही करते हैं। जो राशि बचाई उसे बांटा भी तो सभी को था ना फिर थाने से केवल साहब को ही क्यों चलता किया गया। युवा खादीधारी को भी थोड़ा सोचना चाहिये जो मिलबांटकर खाता हो उस पर कार्रवाई नहीं करवानी चाहिये। इस हमाम में तो सभी .. हैं। अरे क्या हो गया एक लाख रुपये का जुआ पकड़ा और 65 हजार ही बताये। कौनसी आफत आ गई।
लो मैं बन गया थानेदार, भईया ..
वीआईपी इलाके के एक थाने में नये नये थानेदार बनकर आये साहब इन दिनों काफी खुश हैं। पिछले डेढ़ साल से वे एक अदद थाने के इंतजार में जांगळ देश के सभी खादीधारी नेताओं के यहां चक्कर लगा चुके थे। अब सुनवाई हुई है। किस किस ने आश्वासन नहीं दिया, सभी ने समय का इंतजार करने को कहा। अब समय आ गया है। सुना है एक स्थानीय युवा खादीधारी की मदद से गृह मंत्रालय की सिफारिश से भाई को थाना मिला है।
साभार दैनिक नवज्योति बीकानेर 7 मई 2018 सोमवार
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