संस्कृत जैसी संप्रेषण की ताकत अन्य किसी भाषा में नहीं – डॉ. बी. डी. कल्ला
पांच दिवसीय पांडुलिपि प्रशिक्षण कार्यशाला प्रारम्भ
NEERAJ JOSHI (समाचार सेवा) बीकानेर। संस्कृत जैसी संप्रेषण की ताकत अन्य किसी भाषा में नहीं – डॉ. बी. डी. कल्ला, कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा कि संस्कृत भाषा में जैसी संप्रेषण की ताकत है, वह दूसरी किसी भाषा में नहीं है।
डॉ. कल्ला मंगलवार को आसाणियों के चौक स्थित सूरज भवन में राजस्थान संस्कृत अकादमी एवं विश्व हैरिटेज एंड पांडुलिपि शोध संस्थान जयपुर के तत्वावधान् में पांच दिवसीय पांडुलिपि प्रशिक्षण कार्यशाला के शुभारंभ समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हमारे वेद, पुराण, जैन एवं बौद्ध शास्त्र एवं ग्रन्थ संस्कृत भाषा में रचे गए हैं। यदि संस्कृत का ज्ञान नहीं हुआ तो यह भाषा और इससे जुड़ा गूढ़ ज्ञान खत्म हो जाएगा। डॉ. कल्ला ने कहा कि इन पांडुलिपियों को हजारों वर्षों तक संरक्षित रखने और आवश्यक केमिकल ट्रीटमेंट का कार्य भी किया जाए।
इस अवसर पर राजस्थान संस्कृत अकादमी की अध्यक्ष डॉ. सरोज जैन ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने सैकड़ों वर्षों के शोध को इन पांडुलिपियों में संकलित किया है। अकादमी इनके संरक्षण की ओर कार्य कर रही है।
अकादमी निदेशक डॉ. राज कुमार जोशी ने कहा कि संस्थान के पास विभिन्न विषयों एवं विधाओं की एक लाख से अधिक पांडुलिपियां संरक्षित हैं। संस्थान द्वारा राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन से जुड़ने का प्रयास भी किया जा रहा है। कार्यक्रम में प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान के अनुसंधान अधिकारी डॉ. नितिन गोयल ने भी विचार रखे।
समारोह में विजय कोचर, बनवारी शर्मा, गायत्री प्रसाद शर्मा, ऋषभ नाहटा, प्रीतम बरड़िया, संभागीय संस्कृत शिक्षा अधिकारी बीकानेर डॉ. किशन लाल उपाध्याय, संस्कृत शिक्षा विभाग के वरिष्ठ उप निरीक्षक पवन कुमार शर्मा सुनील खत्री, सुरेन्द्र शर्मा तथा सुमित कोचर सहित अनेक लोगों ने शिरकत की।
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